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This Article is From Jun 01, 2023

पढ़ाई का बोझ कम करने की कवायद, NCERT ने 10वीं के सिलेबस से हटाई पीरियोडिक टेबल

सिलेबस से मुगलों का इतिहास हटाने, मौलाना आजाद के विषय में चैप्टर हटाने को लेकर भी एनसीईआरटी लगातार विवादों में बना हुआ है. हालांकि, एनसीईआरटी का कहना है कि छात्रों पर सिलेबस के बोझ को कम किया जा रहा है.

पढ़ाई का बोझ कम करने की कवायद, NCERT ने 10वीं के सिलेबस से हटाई पीरियोडिक टेबल
प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) लगातार चर्चा में बना हुआ है. एनसीईआरटी ने 10वीं के कोर्स से पीरियोडिक क्लासिफिकेशन ऑफ एलिमेंट, प्रजातंत्र, राजनीतिक पार्टी (पूरा पेज), प्रजातंत्र की चुनौतियों वाले पूरे चैप्टर हटा दिए हैं. एनसीईआरटी ने ऐसा छात्रों पर सिलेबस के लोड को कम करने के इरादे से किया है. एनसीईआरटी का कहना है कि कोविड के दौर में रेगुलर क्लास नहीं लगीं. अब उन छात्रों पर एकदम से पढ़ाई का बोझ बढ़ा है, ऐसे में इसे कम करने के लिए यह फैसला किया गया.

हालांकि, शिक्षाविदों ने राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT)के इस फैसले पर आपत्ति जाहिर की है. शिक्षाविदों का कहना है कि 10वीं क्लास के सिलेबस से ऐसे चैप्टर हटाए जा रहे हैं, जो छात्रों के बौद्धिक विकास के लिए जरूरी हैं. पीरियोडिक टेबल केमस्ट्री समझने के लिए बहुत अहम मानी जाती है. इससे पहले एनसीईआरटी ने चार्ल्स डार्विन की इवोल्यूशन थ्योरी के चैप्टर को भी नौंवी क्लास के सिलेबस से हटा दिया था. शिक्षाविदों ने इसपर भी सवाल उठाए थे. करीब 1,800 से ज्यादा साइंटिस्ट और टीचर्स ने इसके खिलाफ लेटर लिखा था.

NCERT ने बताया क्यों हटाए चैप्टर
सिलेबस से मुगलों का इतिहास हटाने, मौलाना आजाद के विषय में चैप्टर हटाने को लेकर भी एनसीईआरटी लगातार विवादों में बना हुआ है. इस पूरे विवाद पर एनसीईआरटी ने भी सफाई दी है. एनसीईआरटी का कहना है कि छात्रों पर सिलेबस के बोझ को कम किया जा रहा है. सिलेबस का रैशनलाइजेशन किया जा रहा है. ऐसा नहीं है कि केमस्ट्री में पीरियोडिक टेबल क्लासिफिकेशन नहीं पढ़ाया जाएगा. पीरियोडिक टेबल अभी 11वीं के सिलेबस में शामिल है.

एक्सपर्ट की स्टैंडिंग कमेटी ने की थी गहन चर्चा 
एनसीईआरटी का तर्क है कि इन चैप्टर्स के कठिन होने, एक ही कंटेंट की ओवरलैपिंग और इन कंटेंट का आज के संदर्भ में महत्व न होने की वजह से इसे हटाने का फैसला लिया गया है. एनसीईआरटी का यह भी कहना है कि पिछले एक-डेढ़ साल में एक्सपर्ट की स्टैंडिंग कमेटी ने इस पर गहन विचार किया था. जिसके बाद सिलेबस से कुछ चैप्टर्स या विषयों को हटाने का फैसला लिया गया, ताकि छात्रों पर पढ़ाई का बोझ कम रहे.

हालांकि, एनसीईआरटी पर यह भी आरोप लग रहे हैं कि वह जानबूझकर कुछ ऐसे विषयों या चैप्टर को सिलेबस से हटा रही है, जिसे छात्रों की पढ़ाई और विषयों को लेकर उनकी समझ प्रभावित हो सकती है.

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