
देश के नक्सल प्रभावित जिलों में बीते कुछ समय से जिस तरह से बड़े ऑपरेशन किए जा जा रहे हैं, इससे नक्सली अब बैकफुट हैं. सुरक्षाबलों के इन ऑपरेशन में कई बड़े नक्सली कमांडर और बड़े नाम ढेर किए जा चुके हैं. केंद्र सरकार के स्पष्ट दिशा-निर्देश के बाद सुरक्षाबल योजनाबद्ध तरीक से नक्सलियों के खिलाफ अपने ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दे रहे हैं. इन ऑपरेशन का ही नतीजा है कि अब नक्सली अब लगातार सीजफायर की मांग कर रहे हैं. केंद्र सरकार ने नक्सलियों के खात्मे के लिए मार्च 2026 की डेडलाइन पहले ही तय की हुई है.

आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर 2023 से अब तक नक्सल विरोधी अभियानों में सुरक्षा बलों ने उल्लेखनीय सफलता हासिल की है. इस अवधि में करीब 453 माओवादी मारे गए, 1616 गिरफ्तार किए गए और 1666 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया. दूसरे राज्यों से अलग अकेले छत्तीसगढ़ राज्य में 65 नए सुरक्षा कैंप(FOB )खोले गए हैं और सड़क, पुल-पुलिया तथा मोबाइल नेटवर्क जैसी आधारभूत सुविधाओं का तेजी से विस्तार हुआ है.
खात्मे के करीब नक्सल समस्या
बीते कई दशकों से जारी नक्सल हिंसा के खिलाफ लड़ाई में देश को बड़ी जीत मिलती दिखाई दे रही है. छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों में लाल आतंक का पर्याय बनी सीपीआई माओवादी ने विज्ञप्ति जारी कर युद्धविराम और हथियार छोड़ने का एलान किया. हालांकि इस विज्ञप्ति में 15 अगस्त, 2025 की तारीख लिखी हुई है. विज्ञप्ति में माओवादी प्रवक्ता अभय ने लिखा है कि हथियार छोड़ कर मुख्यधारा में शामिल होने के लिए किए जा रहे अनुरोधों के मद्देनज़र हमने हथियार छोड़ने का निर्णय लिया है. हथियारबंद संघर्ष को अस्थायी रूप से विराम घोषित करने का निर्णय लिया है.

टूटी फूटी भाषा में लिखी इस विज्ञप्ति में माओवादियों ने संघर्ष विराम के लिए कोई शर्त नहीं रखी है. अभय ने लिखा है कि भविष्य में माओवादी जनसमस्याओं पर राजनीतिक पार्टियों और संघर्षरत संस्थाओं के साथ कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष करेंगे. साथ ही माओवादी प्रवक्ता ने केंद्र सरकार से वार्ता के लिए तैयार होने की घोषणा भी की है.
हालांकि माओवादी नेता ने लिखा है कि इस बदले हुए विचार के बारे में पार्टी में एकमत तैयार करना होगा जिसके बाद एक प्रतिनिधिमंडल का गठन कर शांति वार्ता में शिरकत की जाएगी. अभय ने अनुरोध किया है कि उनके सीमित कैडर और नेतृत्व से जुड़े साथी नये निर्णय से सहमत हैं लेकिन देश के अलग-अलग राज्यों में कार्यरत और जेल में बंद साथियों से सलाह-मशविरा करने के लिए उन्हें एक महीने का समय दिया जाए.
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