
- कभी वोट डालने भर को लोकतंत्र का हिस्सा मानी जाने वाली महिलाएं अब चुनावी जीत की धुरी बन चुकी हैं.
- चुनाव लड़ने, संसद पहुंचने से लेकर मतदान करने तक में महिलाओं की हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है.
- पिछले 11 वर्षों में भारत में महिलाओं के सियासी सशक्तिकरण में परिवर्तनकारी बदलाव आया है.
जो महिलाएं कभी रसोई की चौखट तक सीमित थीं, अब सत्ता के गलियारों की बुलंद आवाज बन रही हैं. एक समय था, जब महिलाओं को कोई राजनीतिक ताकत नहीं माना जाता था, लेकिन अब इनके बिना चुनाव लड़ने की बात दूर की कौड़ी लगती है. कभी सिर्फ वोट डालने भर को लोकतंत्र का हिस्सा मानी जाने वाली महिलाएं अब चुनावी जीत की धुरी बन चुकी हैं. सत्ता की सीढ़ी चढ़नी हो तो इन्हीं महिलाओं के मजबूत सहारे की जरूरत पड़ती है.
महिलाओं पर PM मोदी के 5 बयान
- "नारी शक्ति के बिना राष्ट्र निर्माण अधूरा है."
- "महिलाएं सिर्फ घर नहीं, देश की दिशा तय करने की ताकत रखती हैं."
- "मैं दुनिया का सबसे अमीर आदमी हूं, क्योंकि मेरे पास करोड़ों माताओं और बहनों की दुआएं हैं."
- "भारत को विकसित राष्ट्र बनाना है तो नारी शक्ति को आगे लाना होगा."
- "बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ सिर्फ नारा नहीं, यह भारत के भविष्य की नींव है."

संसदीय चुनावों में ऐसे बढ़ी भागीदारी
- 1957 के आम चुनाव में कुल उम्मीदवारों में महिलाओं की हिस्सेदारी 2.9% थी.
- 2009 में चुनाव लड़ने वाले कुल उम्मीदवारों में महिलाओं की संख्या करीब 7% थीं.
- 2014 में कुल उम्मीदवारों में महिलाओं की भागीदारी बढ़कर 8% हो गई थी.
- 2019 में इसमें और इजाफा हुआ और ये 9 प्रतिशत तक पहुंच गया था.
- 2024 का संसदीय चुनाव लड़ने वालों में करीब 10 फीसदी महिलाएं थीं.
महिलाओं ने पहचानी वोट की ताकत
2014 के लोकसभा चुनाव में महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत लगभग 64% के करीब था. 2024 के पिछले लोकसभा चुनाव में महिला वोटरों ने निर्णायक भूमिका निभाते हुए 65.78 फीसदी मतदान किया था, जबकि पुरुषों का टर्नआउट 65.66 रहा था. ये लगातार दूसरी बार था, जब महिलाओं ने पुरुषों से ज़्यादा मतदान किया था. इससे पहले 2019 में महिलाओं से पुरुषों से आगे बढ़कर वोट दिए थे. 15 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में महिलाओं ने पुरुषों से ज़्यादा वोट डाले थे. 2014 से 2024 तक महिला मतदाताओं की संख्या में 5.3 करोड़ की बढ़ोतरी हुई, जो पुरुषों की वृद्धि से अधिक है.
महिलाओं को संसद पहुंचाने में BJP आगे
पीएम मोदी की अगुआई में बीजेपी महिलाओं को टिकट देने और संसद तक पहुंचाने में बाकी दलों से आगे रही है. 2024 के चुनाव में बीजेपी ने 16% (69) महिलाओं को मैदान में उतारा था, जिनमें से 31 जीतकर संसद पहुंचीं. कांग्रेस पार्टी की 41 महिला उम्मीदवारों में से 13 चुनी गईं. टीएमसी की सभी 11 महिला प्रत्याशियों ने चुनावी जीत दर्ज की. इनके अलावा सपा से 5, डीएमके से 3, जेडीयू व एलजेपी (पासवान) से 2-2 महिलाओं संसद की सीढ़ियां चढ़ीं. कई दलों से एक-एक महिलाओं ने जीत पाई. 2019 और 2024 के चुनावों में बीजेपी को महिलाओं का भारी समर्थन मिला था.

संसद में महिलाओं का प्रतिनिधित्व
1951 में पहली लोकसभा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व केवल 5% (22 महिलाएं) था. 2014 में 16वीं लोकसभा में जहां 64 महिला सांसद चुनी गई थीं, वहीं 2019 में हुए चुनाव में रिकॉर्ड 78 महिलाएं लोकसभा पहुंचीं. 2024 के चुनाव में 74 महिलाओं ने विजय हासिल की थी. हालांकि कई देशों के मुकाबले ये अभी भी काफी कम है. संसद के निचले सदन में महिलाओं के प्रतिनिधित्व के मामले में भारत अब भी 185 देशों के लिस्ट में 143वें पायदान पर हैं. हालांकि इसमें लगातार बढ़ोतरी हो रही है. महिलाओं को संसद में 33 फीसदी आरक्षण से इसमें इजाफा होने की उम्मीद है.
मोदी कैबिनेट में नारी शक्ति
- सिर्फ वोट डालने और चुनाव लड़ने में ही नहीं, पीएम मोदी महिलाओं को कैबिनेट में जगह देने के मामले में भी अन्य नेताओं से आगे रहे हैं. नरेंद्र मोदी ने 2014 में जब पहली बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी तो उनके मंत्रिमंडल में 6 महिला मंत्री शामिल थीं.
- 2019 के चुनाव के बाद मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में भी महिला मंत्रियों की संख्या में बढ़ोतरी हुई. शुरू में 6 महिला मंत्री थीं, लेकिन 2021 के कैबिनेट विस्तार के बाद इनकी संख्या बढ़कर 11 हो गई. यह पिछले 17 वर्षों में सबसे अधिक संख्या थी.
- 2024 में मोदी सरकार 3.0 में 7 महिलाओं को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई, जिनमें से दो निर्मला सीतारमण और अन्नपूर्णा देवी को कैबिनेट रैंक की शपथ दिलाई गई. निर्मला वित्त मंत्री जैसा अहम विभाग संभाल रही हैं.
पीएम मोदी का 'नारी वंदन'
पिछले 11 वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत में महिलाओं के सशक्तिकरण में परिवर्तनकारी बदलाव आया है. महिलाओं को राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं. निर्वाचित प्रतिनिधियों में महिलाओं की संख्या बढ़ाने के लिए मोदी सरकार ने महत्वपूर्ण कानून नारी शक्ति वंदन अधिनियम को पारित कराया है. इसमें संसद और राज्यों की विधानसभाओं में 33 फीसदी महिला आरक्षण का प्रावधान है. इस कानून के जनगणना और परिसीमन जैसी प्रक्रियाओं की वजह से इसके 2029 से प्रभावी होने की संभावना है. भारत के कई राज्य पहले से ही महिलाओं को काफी प्रतिनिधित्व दे रहे हैं. मोदी सरकार ने पंचायत स्तर पर महिला सरपंचों के सशक्तिकरण के लिए भी कई योजनाएं चलाई हैं.
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