
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने बृहस्पतिवार को कहा कि राजनीति में आना उनके जीवन का 'टर्निंग प्वाइंट' था और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उन्हें सियासत में लेकर आए थे. राज्यपाल ने यहां अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय में अपने जीवन पर आधारित पुस्तक 'चुनौतियां मुझे पसंद हैं' के विमोचन के अवसर पर यह बात कही. विनोद जोशी, अशोक देसाई और पंकज साहनी द्वारा लिखित इस पुस्तक का उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने विमोचन किया.
'चुनौतियां मुझे पसंद हैं'- आनंदीबेन की किताब
राज्यपाल ने कहा, ''यह पुस्तक मेरे जीवन में आयी चुनौतियों, परिश्रम और आत्मबल का लेखा-जोखा है. इसमें मेरी भावनाओं, संघर्षों और अनुभवों की यात्रा है. इसके माध्यम से मेरा यह प्रयास रहा है कि मैं उन संघर्षों को साझा कर सकूं जो शायद किसी और के जीवन में आशा की एक किरण बने, किसी थके हुए यात्री को संबल दे या किसी युवा को यह विश्वास दे कि इच्छाशक्ति प्रबल हो तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता.'' उन्होंने कहा, ''इस पुस्तक की कीमत 500 रुपये है और यह किसी को मुफ्त में नहीं मिलने वाली है.. लेकिन इससे जो धन प्राप्त होगा वह मैंने जहां-जहां काम किया है वहां के बच्चों को पढ़ाने के लिए उपयोग किया जाएगा.''
राज्यपाल ने कहा कि उन्होंने पुस्तक के विमोचन के लिये एक मई का दिन इसलिये भी चुना है क्योंकि आज गुजरात का स्थापना दिवस भी है. साथ ही श्रमिक दिवस भी आज ही मनाया जा रहा है.
आनंदीबेन का राजनीति तक का सफर
पटेल ने कहा, ''मुझे खुशी है कि इस समाज को बदलने का काम भी हमारे जैसे हजारों भाई बहनों ने किया है, लेकिन राजनीति में आना मेरे लिए टर्निंग पॉइंट बना. उस समय गुजरात में तीन साल तक लगातार अकाल पड़ा था. ऐसी स्थिति में नरेन्द्र मोदी जी के मार्गदर्शन में न्याय यात्रा का आयोजन हुआ. मैं भी उसमें शामिल हुई. मैं उस वक्त पार्टी में नहीं थी. नरेन्द्र भाई ने मुझे सुझाव दिया कि आप भाजपा ज्वाइन करिये.'' उन्होंने कहा, ''मैंने थोड़ी आनाकानी भी की. एक तरफ मेरा स्कूल था, बच्चे थे और सास को कैंसर भी था. तब मैंने सोचा कि चलिए एक जिले का दायित्व संभालू तो दूसरे दिन महिला मोर्चा के अध्यक्ष के रूप में मेरे नाम की घोषणा हो गई. महिलाओं का संगठन तैयार करने की जिम्मेदारी मुझे मिली और बहुत दिल से मैंने पूरे गुजरात में महिलाओं का संगठन बनाया, जो आज भी काम कर रहा है.'' राज्यपाल ने गुजरात की महिला मोर्चे की अध्यक्ष, मंत्री और मुख्यमंत्री के रूप में अपने अनेक अनुभवों को साझा किया और कहा, ''यह पुस्तक मेरे अतीत का दस्तावेज है लेकिन इसका उद्देश्य आने वाले भविष्य को प्रेरणा देना है
पटेल ने कहा, ''राजभवन केवल प्रशासनिक इकाई नहीं है. समाज के लिए यह एक प्रेरणा का केंद्र बने इसलिए राजभवन को भी मैंने शैक्षणिक केंद्र बनाया और हमारे हजारों छात्र यहां आते हैं, देखते हैं और सीखते हैं ..टीबी मुक्त यूपी बनाना, आंगनबाड़ियों को साधन संपन्न बनाना, यह सभी काम आप सभी लोगों के सहयोग से चल रहे हैं और मैं चाहती हूं कि इन्हें और आगे बढ़ाया जाए."
शून्य से शिखर तक महिला का पहुंचना : आदित्यनाथ
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस अवसर पर राज्यपाल आनंदी बेन पटेल को पुस्तक के विमोचन की बधाई दी और कहा कि हम सबके सामने एक चुनौती अक्सर आती है और मुझे लगता है कि यह चुनौती नहीं हो तो फिर जीवन भी बेकार हो जाता है. उन्होंने कहा, ''चुनौती से पलायन पतन का एक मार्ग होता है और जो चुनौती को स्वीकार करते हुए आगे बढ़ते हैं, वे ही निखरकर लोगों के लिए प्रेरणा बन जाते हैं.''आदित्यनाथ ने कहा कि शून्य से शिखर की यात्रा को तय करना और वह भी किसी महिला के लिए अत्यंत दुरूह कार्य है निरंतर संघर्ष की ही वजह से पटेल एक प्रधानाचार्या, विधानसभा और राज्यसभा सदस्य के रूप में, गुजरात सरकार की मंत्री और पहली महिला मुख्यमंत्री के रूप में और आज देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की राज्यपाल के रूप में समाज को दिशा देती रही हैं.
उन्होंने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का जिक्र करते हुए बिना किसी संदर्भ के कहा, ''अभिव्यक्ति अपने आप में लोकतंत्र की एक खूबी है और लोकतंत्र केवल तभी कुंद नहीं होता है जब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कुठाराघात होता है. यह तब भी कुंद होता है जब सुनने वाले लोग सुनने को तैयार नहीं होते हैं.''
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं