
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार को बताया कि छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों के साथ हुई मुठभेड़ में नंबाल्ला केशव राव उर्फ बसवराजू की मौत हो गई है. बसवराजू प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) का महासचिव था. उसने गणपति के बाद यह जिम्मेदारी संभाली थी.बसवराजू की मौत को नक्सलियों के लिए बड़ी क्षति बताया जा रहा है. गृहमंत्री ने बताया कि पिछले तीन दशक में यह पहली बार है कि सुरक्षा बलों ने नक्सलियों के साथ लड़ाई में महासचिव स्तर के किसी पदाधिकारी को मार गिराया है.आइए जानते हैं कि कौन था बसवराजू.
अमित शाह ने एक बार फिर दोहराया है कि नरेंद्र मोदी सरकार 31 मार्च 2026 से पहले देश से माओवाद का खात्मा कर देगी. उन्होंने जानकारी दी है कि ऑपरेशन ब्लैक फारेस्ट के दौरान सुरक्षा बलों ने छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और तेलंगाना में 54 नक्सलियों को गिरफ्तार किया है और 84 नकस्लियों ने सुरक्षा बलों के समक्ष आत्म समर्पण किया है.
A landmark achievement in the battle to eliminate Naxalism. Today, in an operation in Narayanpur, Chhattisgarh, our security forces have neutralized 27 dreaded Maoists, including Nambala Keshav Rao, alias Basavaraju, the general secretary of CPI-Maoist, topmost leader, and the…
— Amit Shah (@AmitShah) May 21, 2025
कब और कहां हुई मुठभेड़
छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में अबूझमाड़ के जंगल में बुधवार सुबह सुरक्षाबलों के साथ हुई मुठभेड़ में 27 नक्सली मारे गए. सुरक्षा बलों ने सभी 27 शव बरामद कर लिए हैं. इस मुठभेड़ में जो नक्सली मारे गए उनमें 1.5 करोड़ का इनामी बसवराजू भी शामिल है. 70 साल का बसवराजू आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के एक गांव का रहने वाला था. उसने 1980 के दशक में तेलंगाना के वारंगल के रिजनल इंजीनियरिंग कॉलेज (आरईसी)से पढ़ाई की थी. जब वह आरईसी में पढ़ाई कर रहा था तो उसने रेडिकल स्टूडेंट यूनियन के बैनर तले कॉलेज छात्र संघ का चुनाव भी लड़ा था. इस चुनाव में उसे छात्र संघ का अध्यक्ष चुना गया था.
बसवराजू का पुराने नाम नंबाल्ला केशव राव था. वह 1985 के आसपास भूमिगत हो गया था. उस समय वह पीपुल्स वार ग्रुप (पीडब्लूजी) का सदस्य था. उस समय वह संगठन के सभी बड़े अभियानों में शामिल रहता था. इस वजह से पार्टी में उसका प्रमोशन भी खूब हुआ.
भाकपा (माओवादी) का जन्म कैसे हुआ
दिसंबर 2004 में दक्षिण के राज्यों में सक्रिय भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) पीपुल्स वार और उत्तर के राज्यों में सक्रिय माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर (एमसीसी) का विलय हो गया था. इसके बाद से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) अस्तित्व में आई थी. भाकपा (माओवादी) में दक्षिण भारत के राज्यों से आए कैडर का बोलबाला था. लेकिन दक्षिण और उत्तर के कैडर के बीच पुल बनाने का काम बसवराजू ही करता था.
दक्षिण भारत और नक्सलबाड़ी के कैडरों में समन्वय बनाने वाले मुपल्ला लक्ष्मणा राव उर्फ गणपति को 2004 में विलय के बाद अस्तित्व में आई नई पार्टी भाकपा (माओवादी) का महासचिव बनाया गया था. एमसीसी और पीडब्लूजी के विलय में भी गणपति की भूमिका महत्वपूर्ण थी.स्वास्थ्य कारणों से पद छोड़ने के बाद बसवराजू को महासचिव बनाने का प्रस्ताव भी गणपति ने ही दिया था. बसवराजू की तरह गणपति भी वारंगल के ही पढ़े-लिखे हैं.

भाकपा माओवादी ने एक बयान जारी की बसवराजू को पार्टी का नया महासचिव बनाए जाने की जानकारी दी थी.
भाकपा (माओवादी) का नया महासचिव
बसवराजू को अपना महासचिव चुनने की घोषणा भाकपा (माओवादी) ने 10 नवंबर 2018 को जारी एक बयान में की थी. इससे पहले कोटेश्वर राव उर्फ किशन जी की पश्चिम बंगाल में पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने के बाद बसवराजू को माओवादियों की जनमुक्ति छापामार सेना के सेंट्रल मिलिट्री कमीशन (सीएमसी)का कमांडर इन चीफ बनाया गया था.
बसवराजू पर देश के कई राज्यों और केंद्रीय सुरक्षा संगठनों ने 1.57 करोड़ का ईनाम रखा हुआ था. वहीं गणपति के ऊपर भी पलिस और दूसरी सुरक्षा एजेंसियों ने करीब पौने तीन करोड़ का इनाम घोषित कर रखा है. यहां आश्चर्य की बात यह है कि पुलिस के पास गणपति और बसवराजू के जवानी के दिनों की छोड़कर कोई ताजा तस्वीर नहीं है.
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