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This Article is From Nov 20, 2022

खसरे के प्रकोप से जूझ रहा मुंबई; वैक्सीनेशन की कमी, खराब जीवन स्तर को ठहराया जा रहा जिम्मेदार

अधिकारियों ने बताया कि जीवन स्तर की दयनीय स्थिति, बड़ा परिवार, उचित स्वास्थ्य सेवाओं की कमी, स्वच्छता सुविधाओं और पोषण की कमी बीमारी के पांव पसारने के कुछ प्रमुख कारण

खसरे के प्रकोप से जूझ रहा मुंबई; वैक्सीनेशन की कमी, खराब जीवन स्तर को ठहराया जा रहा जिम्मेदार
प्रतीकात्मक फोटो.
मुंबई:

देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में भले ही कोविड-19 के मामलों में लगातार कमी आ रही हो, लेकिन यह महानगर बच्चों में खसरे के भीषण प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए संघर्ष कर रहा है. शहर में खसरे से अब तक आठ लोगों की मौत हो चुकी है और 184 मामलों की पुष्टि हो चुकी है. यह जानकारी नगर निकाय के अधिकारियों ने दी है.

अधिकारियों ने ‘पीटीआई-भाषा' को बताया कि जीवन स्तर की दयनीय स्थिति, बड़ा परिवार, उचित स्वास्थ्य सेवाओं की कमी, स्वच्छता सुविधाओं और पोषण की कमी, खराब प्रतिरक्षा, टीके की खुराक न देना और टीकाकरण के प्रति अनिच्छा शहर में इस बीमारी के पांव पसारने के कुछ प्रमुख कारण हैं.

नगर निकाय के आंकड़ों के अनुसार, मुंबई में इस साल खसरे के मामलों में कई गुना वृद्धि देखी गई है, जबकि 2020 में 25 और पिछले साल नौ मामले दर्ज किए गए थे. सरकार ने 2023 के अंत तक इस बीमारी को खत्म करने का लक्ष्य रखा है, जबकि महानगर में बीमारी का प्रकोप देखने को मिल रहा है.

इससे पहले, मुंबई में 2019 में खसरे के कारण तीन मौतों की सूचना दी गई थी. वर्ष 2020 में नागपुर, चंद्रपुर और अकोला में एक-एक मौत दर्ज की गई थी. ठाणे और मुंबई में भी 2021 में एक-एक मौत दर्ज की गई थी.

महाराष्ट्र के स्वास्थ्य निगरानी अधिकारी प्रदीप आवटे ने ‘पीटीआई-भाषा' को बताया कि यदि एक सप्ताह में संक्रमण के पांच संदिग्ध मामले सामने आते हैं, जिनमें से दो से अधिक की प्रयोगशाला परीक्षण में पुष्टि हुई हो, तो इसे प्रकोप कहा जाता है.

राज्य बुलेटिन के अनुसार, स्वास्थ्य विभाग खसरा के लिए घर-घर निगरानी कर रहा है और अभियान के रूप में विशेष टीकाकरण सत्रों की व्यवस्था की जा रही है. बुलेटिन के अनुसार, इस साल महाराष्ट्र में 17 नवंबर तक खसरे के 503 मामले दर्ज किये गये, जबकि 2019 में 153, 2020 में 193 और पिछले साल 92 मामले सामने आए थे.

बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) के एक अधिकारी ने कहा कि 2020 और 2021 में कोरोना महामारी के कारण खसरे का नियमित टीकाकरण कार्यक्रम प्रभावित हुआ है और परिणामस्वरूप खसरे के खिलाफ टीकाकरण भी बाधित हुआ. इसलिए बड़ी संख्या में बच्चे या तो पहली या दूसरी खुराक लेने से चूक गए.

बीएमसी की कार्यकारी स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर मंगला गोमारे ने कहा, ‘‘अब हमने खसरे के प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए तीन-सूत्री कार्यक्रम शुरू किया है.'' अधिकारी ने कहा कि उन्होंने पहले ही शून्य से दो वर्ष आयु वर्ग के 10,000 बच्चों को टीका लगाया है और एक सप्ताह के भीतर इस आयु वर्ग के शेष 10,000 बच्चों तथा पांच वर्ष तक की आयु के 40,000 उन बच्चों का टीकाकरण पूरा करने का लक्ष्य रखा है, जो किसी कारण से टीके की खुराक से वंचित रह गए थे.

बीएमसी अधिकारियों ने बताया कि इस साल सितंबर के आखिरी हफ्ते से मामले अचानक बढ़ने लगे और अब स्थिति चिंताजनक हो गई है. सिविक द्वारा संचालित कस्तूरबा अस्पताल ने सितंबर में प्रकोप के बाद एक विशेष आइसोलेशन वार्ड जोड़ा. बीएमसी अधिकारियों ने कहा कि शहर के कुल 24 निगम क्षेत्रों में से आठ वार्ड के 17 इलाकों में बीमारी फैल गई है, जबकि कुछ मरीज कृत्रिम जीवन रक्षक प्रणाली पर हैं.

उन्होंने कहा कि संक्रमण का अधिकतम प्रसार एम-ईस्ट वार्ड में है, जिसमें गोवंडी और देवनार जैसे क्षेत्र शामिल हैं, इसके बाद एल-वार्ड का स्थान आता है जिसमें कुर्ला और चूनाभट्टी क्षेत्र शामिल हैं.

बीएमसी ने अब तक खसरे के 2,900 संदिग्ध मामलों का पता लगाया है, जिनमें बुखार और चकत्ते जैसे सामान्य लक्षण वाले मरीज हैं. एक निगम अधिकारी ने कहा, ‘‘सभी मौतें मुस्लिम समुदाय से हुई हैं और जिन क्षेत्रों में वे रह रहे थे, उनमें भी (मुस्लिम) समुदाय का वर्चस्व है.'' स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा कि क्षेत्र में कई फर्जी डॉक्टर भी हैं जो रोगियों को सही उपचार नहीं देते हैं, स्वास्थ्य के मुद्दों को बिगड़ते हैं.

मुंबई का सबसे बड़ा डंपिंग ग्राउंड एम-ईस्ट वार्ड में स्थित है जहां ज्यादातर लोग गरीब आर्थिक पृष्ठभूमि से हैं. इस क्षेत्र में काम करने वाले कार्यकर्ताओं के अनुसार, वे अनौपचारिक व्यवसायों में लगे हुए हैं और रहने की स्थिति अच्छी नहीं है. 

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शहर में खसरे के मामलों में वृद्धि का जायजा लेने के लिए तुरंत एक उच्च-स्तरीय बहु-विषयक टीम मुंबई भेजी. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने 17 नवंबर को भी खसरे के प्रकोप की स्थिति की समीक्षा की और बीएमसी तथा राज्य के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को बीमारी के खिलाफ टीकाकरण के बारे में जागरूकता फैलाने में धार्मिक नेताओं की मदद लेने का निर्देश दिया.

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