SC/ST एक्ट मामले में गिरफ्तार व्यापम घोटाले के व्हिसलब्लोअर डॉ आनंद राय को बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट जमानत की शर्तें तय करेगी. बता दें मध्य प्रदेश सरकार के विरोध के बावजूद डॉ आनंद राय को जमानत मिली है. मध्य प्रदेश सरकार की ओर से SG तुषार मेहता ने कहा उनके खिलाफ व्यापम से पहले भी केस हैं. आनंद राय की ओर से कपिल सिब्बल ने कोर्ट में कहा कि इन चारों मामलों में वो बरी हो चुके हैं .
मध्य प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर जमानत याचिका को खारिज करने की मांग की थी और कहा था अपराध की गंभीरता और बड़े पैमाने पर समाज पर इसके बड़े प्रभाव को देखते हुए जमानत ना दी जाए. आनंद राय का आपराधिक इतिहास रहा है. वो न्याय की प्रक्रिया से भाग सकते हैं. राज्य सरकार ने कहा है कि उसने याचिकाकर्ता की आपराधिक पृष्ठभूमि की जांच की है. अब तक उसके नाम पर 7 FIR दर्ज की जा चुकी है. याचिकाकर्ता द्वारा 'व्यापम घोटाले का खुलासा करने का बदला लेने की बात झूठी है, क्योंकि व्यापम 2008 में प्रकाश में आया. जबकि साल 1999, 2000 और 2004 में चार FIR दर्ज होने का पता चला है. आनंद राय के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने से हुई हिंसा पर पुख्ता सबूत हैं. इनके कारण ही राज्य में शांति व्यवस्था बिगड़ी और अफसरों पर हमला हुआ.
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आनंद राय की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर, 13 जनवरी तक जवाब मांगा था. CJI डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पी एस नरसिम्हा की बेंच ने ये नोटिस जारी किया था. सुनवाई के दौरान आनंद राय की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल ने इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई बताया था. याचिका में कहा गया है कि ये मामला और कुछ नहीं बल्कि एक और मामला है जिसमें आनंद राय खिलाफ साजिश रची और प्रताड़ित किया है. सरकार के अधिकारियों द्वारा याचिकाकर्ता ये हर संभव अवसर पर बदला लेने की कोशिश की जा रही है. क्योंकि उन्होंने घोटाले को उजागर किया था. याचिकाकर्ता कानून का पालन करने वाला नागरिक है और न तो किसी के संबंध में किसी न्यायालय द्वारा दोषी ठहराया गया है. उनका पूरा पिछला रिकॉर्ड बेदाग है. ये मामले राजनीतिक बदले की भावना से शुरू किए गए हैं.
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट से जमानत न मिलने पर डॉक्टर आनंद राय ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत अर्जी दाखिल की है. राय पर रतलाम में हुई हिंसा के बाद अन्य धाराओं के साथ- साथ अनुसूचित जाति जनजाति प्रताड़ना निरोधक कानून के तहत मुकदमा दर्ज किए गए हैं. पिछले साल 15 नवंबर 2022 को उनको गिरफ्तार किया गया था. तभी से वो जेल में हैं. 12 दिसंबर 2022 को मध्य प्रदेश की इंदौर बेंच ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी. सुप्रीम कोर्ट में आनंद राय की ओर से कपिल सिब्बल, विवेक तन्का और समीर सोंढी पेश हुए हैं.
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