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पुण्यतिथि: लालू यादव के 'चाचा' थे राम जेठमलानी! 1 रुपये में लड़ा था चारा घोटाले का केस, रखी थी साथ जाम छलकाने की शर्त

राम जेठमलानी का जन्म 14 सितंबर 1923 को सिंध (वर्तमान पाकिस्तान) में हुआ था. विभाजन से पहले उन्होंने कराची में अपनी वकालत शुरू की थी. विभाजन के बाद मुंबई आ गए, जहां उन्होंने नए सिरे से अपने करियर की शुरुआत की. जेठमलानी का 8 सितंबर 2019 को निधन हो गया.

पुण्यतिथि: लालू यादव के 'चाचा' थे राम जेठमलानी! 1 रुपये में लड़ा था चारा घोटाले का केस, रखी थी साथ जाम छलकाने की शर्त
  • राम जेठमलानी ने 75 वर्षों तक वकालत की और अपने तेज दलीलों से अनेक हाईप्रोफाइल केस जीते.
  • जेठमलानी ने इंदिरा गांधी हत्या, नानावटी केस, हर्षद मेहता, आसाराम और अफजल गुरु के केस जैसे कई मुकदमे लड़े.
  • उन्होंने लालू प्रसाद यादव के चारा घोटाले केस में एक रुपये फीस लेकर केस लड़ा, हालांकि एक अजीब शर्त भी रखी.
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Ram Jethmalani Death Anniversary: साल था 2016, जब लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद ने उन्‍हें राज्‍यसभा का उम्‍मीदवार बनाया तो सियासी गलियारों में ये बड़े आश्‍चर्य का विषय था. जेठमलानी न तो बिहार से थे और न ही राजद के नेता थे. लेकिन एक बड़ी वजह थी. वो थी- चारा घोटाले में फंसे लालू प्रसाद यादव का केस लड़ना. दिग्‍गज वकीलों में से एक जेठमलानी की दलीलों से जज भी खूब प्रभावित होते थे, जबकि दूसरी ओर से लड़ रहे वकील 'मुंह से खाली' हो जाते थे. महज एक रुपये की फीस से वकालत शुरू करने वाले राम जेठमलानी अपने करियर के शीर्ष पर पहुंचे तो हर क्‍लाइंट के लिए उनकी फीस अफोर्ड कर पाना बस की बात नहीं थी. वकालत के पेशे में 75 साल तक रहे. 

'चाचा खिलाते हैं, पिलाते हैं, जिताते हैं' 

लालू प्रसाद भले ही सक्षम थे, लेकिन जेठमलानी ने उनका केस लड़ने के लिए महज एक रुपये की फीस ली. हालांकि उनकी एक अजीबोगरीब शर्त थी- साथ जाम छलकाने की शर्त. जेठमलानी ने लालू के साथ शर्त रखी कि वे उनके साथ ड्रिंक पर कुछ शाम बिताएंगे. 

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राम जेठमलानी और लालू यादव के संबंध व्यक्तिगत और पेशेवर दोनों स्तरों पर मधुर रहे. जेठमलानी को लालू यादव चाचा कहते थे और लालू ने कहा था कि चाचा खिलाते हैं, जबरदस्ती पिलाते हैं और केस भी जिताते हैं. जेठमलानी ने चारा घोटाले से जुड़े केस समेत कई कानूनी मामलों में लालू का बचाव किया था.

राम जेठमलानी का जन्म 14 सितंबर 1923 को सिंध (मौजूदा पाकिस्तान) में हुआ था. उन्होंने भारत के विभाजन से पहले कराची में अपनी वकालत शुरू की थी. विभाजन के बाद वे मुंबई आ गए, जहां उन्होंने नए सिरे से अपने करियर की शुरुआत की. जेठमलानी का 8 सितंबर 2019 को निधन हो गया.

इंदिरा गांधी से अफजल गुरु तक, कई केस लड़े 

देश के दिग्गज वकील राम जेठमलानी अपनी बेबाकी और बिंदास अंदाज के लिए पहचाने जाते रहे. अदालत में उन्होंने अपनी तेज तर्रार दलीलों से दशकों तक अपनी वकालत का लोहा मनवाया. वो भारतीय राजनीति और कानून के क्षेत्र में एक बेहद प्रभावशाली व्यक्तित्व माने जाते हैं. जेठमलानी ने करीब 75 साल वकालत की. उन्होंने बहुचर्चित नानावटी से लेकर इंदिरा गांधी के हत्यारों का केस और फिर हर्षद मेहता का केस भी लड़ा था. कोर्ट में आसाराम से लेकर अफजल गुरु तक की जबरदस्त पैरवी की थी. उनके क्लाइंट में बॉलीवुड एक्टर संजय दत्त भी शामिल थे.

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दिलचस्‍प रहा राजनीतिक करियर 

जेठमलानी का पॉलिटिकल करियर में उतना ही दिलचस्प रहा, जितनी उनकी वकालत. वह न्यायपालिका, सरकार और यहां तक कि अपनी ही पार्टी की नीतियों पर भी खुलकर टिप्पणी करते थे.

1988 में, वे राज्यसभा के सदस्य बने. 1996 के चुनाव के बाद उन्हें केंद्रीय कानून मंत्री बनाया गया. 1998 में उन्हें केंद्रीय शहरी मामलों और रोजगार मंत्रालय का प्रभार दिया गया, जो तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का दूसरा कार्यकाल था. 1999 में उन्हें फिर से कानून मंत्री बनाया गया.

2004 में जेठमलानी ने लखनऊ लोकसभा क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में आम चुनाव लड़ा. उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी के खिलाफ चुनाव लड़ा था, हालांकि जेठमलानी चुनाव हार गए थे. बाद में 2010 में भाजपा ने उन्हें राजस्थान से राज्यसभा का टिकट दिया और वे चुने गए.

फिर एक वक्त आया, जब बेबाक विचारों के लिए मशहूर राम जेठमलानी को 2013 में पार्टी विरोधी टिप्पणी करने के कारण भाजपा से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया गया.  

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सुनील दत्त से चुनाव हारे, संजय दत्त का केस लड़े 

आपातकाल (1975-77) के दौरान जेठमलानी बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष थे. उन्होंने 1971 के आम चुनावों में उल्हासनगर निर्वाचन क्षेत्र से एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा. उन्होंने 1980 के आम चुनावों में अपनी सीट बरकरार रखी. 1985 के आम चुनाव में जेठमलानी अपनी सीट बरकरार नहीं रख सके. उन्हें सुनील दत्त से हार का सामना करना पड़ा. हालांकि बाद में उन्‍होंने संजय दत्त का केस भी लड़ा. जेठमलानी ने ही 1993 के मुंबई दंगों से जुड़े टाडा मामले में फंसे संजय दत्त को बेल दिलवाई थी.

...जब संजय दत्त के सामने रोने लगे जेठमलानी

एक वक्त ऐसा आया जब दोनों के रिश्ते में खटास आ गई, हालांकि गलती का एहसास होने के बाद संजय दत्त के सामने उनकी आंखों से आंसू झलक पड़े थे. जेठमलानी ने कहा था कि संजय दत्त का लोकसभा सदस्य बनना देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ होगा. उन्‍होंने बकायदा प्रेस रिलीज जारी कर कहा था कि संजय दत्त सांसद बनने लायक नहीं हैं. हालांकि, बाद में उन्हें अपनी गलती का एहसास हो गया और फिर माफी भी मांगी थी.

सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट प्रदीप राय ने 'इंडिया लीगल लाइव' पर राम जेठमलानी पर लिखे संस्मरण में कहा है कि भले ही जेठमलानी ने संजय दत्त को जमानत दिलवा दी थी, लेकिन दोनों के बीच रिश्ते अच्छे नहीं थे. उन्‍होंने लिखा कि एक मौका आया कि दिल्ली एयरपोर्ट के लाउंज में राम जेठमलानी और संजय दत्त आमने-सामने आ गए, क्योंकि दोनों अपनी-अपनी फ्लाइट की प्रतीक्षा कर रहे थे.

इस दौरान जेठमलानी अपनी सीट से उठकर संजय दत्त के पास आए और रोने लगे. जेठमलानी ने संजय दत्त का हाथ पकड़कर कहा कि बेटा, तुम्हारे साथ मैंने अन्याय किया है. मैं तुमसे और तुम्हारे पिता से माफी मांगना चाहता हूं. दुर्भाग्य से तुम्हारे पिता (सुनील दत्त) इस दुनिया में नहीं है. कृपया मुझे माफ कर देना.

इस दौरान राम जेठमलानी को रोता देखकर संजय दत्त के आंखों में आंसू आ गए थे. उन्होंने जेठमलानी के पैर छूते हुए कहा था कि मेरी किस्मत में जो लिखा था, वो हुआ. मेरे मन में आपके प्रति कोई कटुता नहीं है.

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