
- हाईकोर्ट के जज ने आरोप लगाया कि विधायक संजय पाठक ने एक केस के सिलसिले में उन्हें फोन किया था.
- जस्टिस विशाल मिश्रा ने लिखित में ये आरोप लगाते हुए अवैध खनन के केस की सुनवाई करने से इनकार कर दिया.
- पाठक परिवार से जुड़ी तीन कंपनियों पर अवैध खनन का आरोप है, सीएम भी इस पर बयान दे चुके हैं.
मध्य प्रदेश की सत्ता के गलियारों में भूचाल ला देने वाला खुलासा हुआ है. अब तक जो बात सिर्फ कानाफूसी में सुनी जाती थी, अब हाईकोर्ट ने उसे लिखित रूप में दर्ज कर लिया है. हाईकोर्ट के एक जज ने आरोप लगाया है कि सत्ता पक्ष के एक विधायक ने अदालत को प्रभावित करने की कोशिश की.
जस्टिस विशाल मिश्रा ने 1 सितम्बर को अवैध खनन से जुड़े मामले की सुनवाई करने से इनकार कर दिया. उन्होंने आदेश में साफ लिखा, "(विधायक) संजय पाठक ने मुझसे इस मामले पर चर्चा करने की कोशिश की है, इसलिए मैं इस याचिका पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं हूं." बता दें कि संजय पाठक पूर्व मंत्री और बीजेपी के मौजूदा विधायक हैं.
एक जज द्वारा लिखित में यह आरोप लगाने से वकील और पक्षकार स्तब्ध रह गए. पहली बार किसी मौजूदा न्यायाधीश ने खुद माना है कि सत्तारूढ़ दल के विधायक ने सीधे उनसे संपर्क करने की कोशिश की, और वह भी उस मामले में, जो मध्य प्रदेश की राजनीति और खनन माफिया के गठजोड़ पर सीधा प्रहार करता है.
पाठक परिवार की कंपनियों पर आरोप
कटनी निवासी आशुतोष मनु दीक्षित ने जून 2025 में एक याचिका दायर की थी. इसमें उन्होंने आरोप लगाया कि पाठक परिवार की कंपनियों के ख़िलाफ़ आर्थिक अपराध शाखा (EOW) में शिकायत दर्ज कराने के बावजूद कार्रवाई नहीं हो रही है.
याचिका हाईकोर्ट में पहुंचने के चंद दिनों बाद ही राज्य के खनिज विभाग ने पाठक परिवार से जुड़ी तीन कंपनियों- आनंद माइनिंग कॉर्पोरेशन, निर्मला मिनरल्स और पैसिफिक एक्सपोर्ट्स पर 443 करोड़ रुपए का जुर्माना ठोक दिया. भारतीय खनन ब्यूरो के आंकड़ों और सैटेलाइट इमेजरी के आधार पर जांच से जबलपुर के सिहोरा तहसील में बड़े पैमाने पर अवैध खनन की पुष्टि हुई.
विधानसभा में सीएम ने भी माना
6 अगस्त को विधानसभा में प्रश्नोत्तर काल के दौरान मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भी लिखित जवाब में माना, “स्वीकृत सीमा से अधिक खनन किया गया है.”
उन्होंने बताया कि तीनों कंपनियों ने तय सीमा से ज्यादा खनन किया, इसके बावजूद सरकार को 1,000 करोड़ रुपए की राशि जमा नहीं की गई. इस संबंध में दीक्षित ने 31 जनवरी 2025 को ईओडब्ल्यू में शिकायत दर्ज कराई थी.
शिकायत के आधार पर खनिज साधन विभाग ने 23 अप्रैल को जांच दल का गठन किया. 6 जून को सौंपी रिपोर्ट में 443 करोड़ 4 लाख 86 हज़ार 890 रुपए की वसूली तीनों कंपनियों पर निकाली गई. सरकार ने स्पष्ट किया कि इस राशि पर जीएसटी की वसूली अलग से तय होगी. रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जा रही है.
विवादों के साये में रहे हैं पाठक
पूर्व मंत्री और मौजूदा विधायक संजय पाठक पर विवादों का यह इकलौता साया नहीं है. पाठक पर सहारा समूह की जमीन को औने-पौने दाम में खरीदने का आरोप भी लग चुका है. समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मनोज यादव ने आरोप लगाया था कि पाठक ने भोपाल, जबलपुर और कटनी में सहारा की 310 एकड़ जमीन मात्र 90 करोड़ रुपए में खरीदी, जिसका बाजार मूल्य लगभग 1,000 करोड़ रुपए था. आरोप यह भी है कि रजिस्ट्री के समय आवासीय जमीन को कृषि भूमि बताकर स्टाम्प ड्यूटी चोरी की गई. ईओडब्ल्यू इस मामले में प्रारंभिक जांच शुरू कर चुकी है.
राजनीति के बड़े खिलाड़ी
विजयराघवगढ़ से विधायक संजय पाठक मध्य प्रदेश की राजनीति में कोई छोटे खिलाड़ी नहीं हैं. दिवंगत कांग्रेसी मंत्री सतेंद्र पाठक के बेटे संजय ने राजनीति की शुरुआत कांग्रेस से की थी. 2013 में पार्टी हार गई तो उन्होंने पाला बदलकर बीजेपी का दामन थाम लिया.
आरोपों पर पाठक की कंपनियां दावा करती हैं कि वे 70 साल से खनन व्यापार में हैं और “कभी रॉयल्टी या टैक्स चोरी की शिकायत नहीं हुई.” उनका आरोप है कि जांच दल ने बिना साइट विजिट किए “गलत रिपोर्ट” बना दी.
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