गुजरात में पुल गिरने के चार दिन बाद नदी में और शव? मोरबी में खोज अभियान जारी

अब मोरबी की माच्छू नदी के अंदर किसी भी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण को ट्रैक करने के लिए अधिक स्कूबा गोताखोरों को लगाया जा रहा और सोनार तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा

मोरबी (गुजरात):

गुजरात के मोरबी में 30 अक्टूबर को माच्छू नदी पर बने झूला पुल के गिरने के बाद से कम से कम दो लोग लापता हैं. राज्य अग्निशमन सेवा प्रमुख ने आज यह जानकारी दी. अधिकारी एनके बिश्नोई ने कहा, "और भी लोग हो सकते हैं. अभी तक कोई सटीक आंकड़ा नहीं है." उन्होंने कहा कि, "कई लोग कह रहे हैं कि उनके रिश्तेदार गायब हैं." उन्होंने कहा कि बचाव दल अब माच्छू नदी के अंदर किसी भी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण को ट्रैक करने के लिए अधिक स्कूबा गोताखोरों को लगा रहा है और सोनार तकनीक का उपयोग किया जा रहा है.

मोरबी का 150 साल पुराना पुल उसकी केबल के नवीनीकरण के बाद फिर से खुलने के कुछ ही दिनों बाद टूट गया. इससे  कम से कम 135 लोगों की मौत हो गई. बचाव दल ने 170 लोगों को बचा लिया, हालांकि वे घायल हो गए. पुल के नवीनीकरण के ठेकेदार ओरेवा ग्रुप पर स्थानीय नगरपालिका के साथ अपने समझौते की शर्तों का पालन नहीं करने का आरोप है.

बचाव और खोज अभियान कब तक जारी रहेगा? इस सवाल पर बिश्नोई ने एनडीटीवी से कहा, “हम हर सत्र के बाद एक संक्षिप्त बैठक करते हैं और दिन में कई बार स्थिति का आकलन करते हैं. हम उसी के अनुसार आगे फैसला करेंगे."

इससे पहले जिले के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "समय बताएगा" कि कितने लापता लोगों का अभी तक कोई पता नहीं चला है. अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट एनके मुछार ने नदी में गिरने वाले सभी लोगों का पता लगाने की योजना के बारे में पूछे जाने पर कहा, "हम अंतिम क्षण तक प्रयास करेंगे."

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ठेकेदार से केबल नहीं बदले जाने के बारे में पूछे जाने पर वह कैमरे से दूर भाग गया. ठेकेदार ओरेवा, जो मुख्य रूप से 'अजंता' दीवार घड़ियों के निर्माण के लिए जाना जाता है, ने इस काम के लिए एक ऐसी फर्म को आउटसोर्स किया था, जिसके बारे में अधिक जानकारी नहीं है.

कॉन्ट्रेक्ट में कहा गया है कि रखरखाव और मरम्मत के लिए पुल को 8 से 12 महीने के लिए बंद कर दिया जाएगा. लेकिन उसे केवल सात महीनों के बाद अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में फिर से खोल दिया गया और 30 अक्टूबर को वह गिर गया. अब तक पुलिस ने कंपनी के केवल नौ स्टाफ सदस्यों को गिरफ्तार किया है.

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पीएम नरेंद्र मोदी और गुजरात के सीएम भूपेंद्र पटेल पुल की टूटी हुई केबिल को देखते हुए.
 

ओरेवा के मैनेजिंग डायरेक्टर जयसुखभाई पटेल, जिन्होंने सार्वजनिक रूप से दावा किया था कि पुनर्निर्मित पुल कम से कम आठ से दस साल तक टिकेगा, हादसे के बाद से दिखाई नहीं दिए हैं. अहमदाबाद में कंपनी का फार्महाउस बंद है और खाली है, यहां तक कि वहां एक सुरक्षा गार्ड भी नहीं है. पटेल ने मोरबी नगर निगम के साथ कॉन्ट्रेक्ट पर हस्ताक्षर किए थे.

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पीड़ितों और विपक्षी राजनीतिक दलों ने सवाल किया है कि पुलिस की ओर से दर्ज मामले में ओरेवा के शीर्ष मालिकों या कॉन्ट्रेक्ट पर हस्ताक्षर करने वाले सरकारी अधिकारियों के नाम क्यों नहीं हैं.