मौका छठ महापर्व का. गुजरात के मोरबी में रविवार शाम ब्रिटिशकालीन सस्पेंशन ब्रिज पर लगभग 500 लोग पहुंचे हुए थे. अचानक ब्रिज टूटता है और लोग नदी में गिरने लगते हैं. हादसे में कम से कम 141 लोगों की मौत हो गई. कई अब तक लापता हैं. चारों तरफ जश्न का माहौल चीख-पुकार में बदल गया. 19 लोगों को गंभीर रूप से घायल होने के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया है. अब तक बचाव कार्य जारी है. इन सबके बीच, आपको यह जानकारी हैरानी होगी कि इस ब्रिज पर जाने के लिए 17 रुपये का टिकट लेना पड़ता है और इस ब्रिज की क्षमता महज 125 लोगों की थी, मगर लगभग 500 लोगों को ब्रिज पर जाने दिया गया.
एनडीटीवी ने मोरबी नगर निकाय और इस पुल की देखरेख और मरम्मत कार्य करने वाली अजन्ता मैन्यूफैक्चरिंग प्राइवेट लिमिटेड के बीच हुए समझौते की जांच की तो पता चला कि कंपनी को 8 से 12 महीने तक पुल को मरम्मत कार्य के लिए बंद रखना था लेकिन इसे महज सात महीने में ही खोल दिया गया और वह भी बिना नगर निकाय के फिटनेस सर्टिफिकेट के. भीड़ बढ़ती रही और यह टिकट बेचते गए. अगर 126 टिकट बेचने के बाद भी इन्होंने लोगों को रोक दिया होता तो शायद हादसा न होता.
अजन्ता मैन्यूफैक्चरिंग प्राइवेट से मोरबी नगर निकाय ने 2020 में समझौता किया था. यह समझौता 2037 तक का है. इसके तहत अजन्ता मैन्यूफैक्चरिंग प्राइवेट को इस ब्रिटिशकालीन सस्पेंशन ब्रिज की मरम्मत का काम और देखरेख करना है. इसके बदले में वह यात्रियों के टिकट बेचकर अपना मुनाफा कमाएगी. कंपनी को हर साल टिकट के दाम बढ़ाने की भी इजाजत इस समझौते से मिली हुई थी.
चश्मदीदों का कहना है कि करीब 150 साल पुराने पुल पर कई महिलाएं और बच्चे थे. मच्छू नदी पर बने पुल को जीर्णोद्धार के लिए सात महीने से बंद किया गया था. इसे 26 अक्टूबर को गुजराती नव वर्ष पर जनता के लिए फिर से खोल दिया गया था. स्थानीय नगर निकाय के प्रमुख संदीप सिंह जाला ने एनडीटीवी को बताया कि ब्रिज के मरम्मतकर्ता ने इसे फिर से खोलने से पहले अधिकारियों से फिटनेस प्रमाण पत्र नहीं लिया था. गुजरात के गृह मंत्री हर्ष संघवी ने कहा कि गैर इरादतन हत्या और जान बूझकर मौत का कारण बनने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है. जो भी जिम्मेदार पाया जाता है, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. ब्रिज गिरने की जांच के लिए पांच सदस्यीय उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन किया गया है.
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