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मॉनसून कैसे आता है, क्या है इसके पीछे का विज्ञान, भारत क्यों है इसपर निर्भर?

इस वर्ष भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने जानकारी दी है कि दक्षिण-पश्चिम मॉनसून ने उम्मीद से पहले ही महाराष्ट्र में प्रवेश कर लिया है और मुंबई में पूर्ण रूप से सक्रिय हो गया है. 

मॉनसून कैसे आता है, क्या है इसके पीछे का विज्ञान, भारत क्यों है इसपर निर्भर?
नई दिल्ली:

भारत में मॉनसून ने दस्तक दे दी है. इस वर्ष भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने जानकारी दी है कि इस साल मॉनसून समय से पहले ही भारत में प्रवेश कर गया है. मॉनसून शब्द अरबी शब्द ‘मौसिम' से आया है, जिसका अर्थ होता है मौसम. यह एक मौसमी प्रणाली है जो साल के विशेष समय पर दिशा बदलती है.  भारत में मॉनसून मुख्य रूप से दक्षिण-पश्चिम दिशा से आता है और यह अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से नमी लेकर देश के अधिकांश हिस्सों में भारी वर्षा कराता है. मॉनसून का असर केवल भारत तक सीमित नहीं होता, बल्कि यह दक्षिण एशिया, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के कई हिस्सों को भी प्रभावित करता है. 

मॉनसून की शुरुआत कैसे होती है?

मॉनसून की शुरुआत समुद्र और धरती के तापमान में अंतर के कारण होती है. गर्मियों में जब भारतीय उपमहाद्वीप की भूमि अत्यधिक गर्म हो जाती है, तब वहां निम्न वायुदाब बनता है. इसके विपरीत, हिंद महासागर अपेक्षाकृत ठंडा रहता है जिससे वहां उच्च वायुदाब क्षेत्र बनता है.  इस दबाव के अंतर के कारण समुद्र से हवा चलकर धरती की ओर आती है. ये हवाएं अपने साथ नमी लेकर आती हैं, जिससे बारिश होती है. इस प्रक्रिया को ही मॉनसून कहा जाता है.

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भारत में मॉनसून का आगमन किस दिशा से होता है और क्यों?

भारत में मॉनसून दो धाराओं के रूप में आता है:

  • अरब सागर शाखा :  जो पश्चिमी तट यानी केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात होते हुए उत्तर भारत की ओर बढ़ती है.
  • बंगाल की खाड़ी शाखा : जो पूर्वी भारत, जैसे पश्चिम बंगाल, ओडिशा, झारखंड, बिहार और पूर्वोत्तर राज्यों में भारी वर्षा करती है और उत्तर भारत में हिमालय से टकराकर वापस लौटती है.

दक्षिण-पश्चिम मॉनसून आमतौर पर केरल में 1 जून को दस्तक देता है. लेकिन 2025 में इसने सामान्य तिथि से पहले महाराष्ट्र में प्रवेश कर लिया, जिससे मुंबई समेत अन्य तटीय क्षेत्रों में समय से पहले भारी बारिश शुरू हो गई. 

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भारत मॉनसून पर इतना निर्भर क्यों है?

भारत की 60% से अधिक कृषि भूमि वर्षा आधारित है. फसलों जैसे धान, गन्ना, दालें और कपास की उपज सीधे तौर पर मॉनसून की तीव्रता और समय पर निर्भर करती है. 

  • ग्रामीण अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा सिंचाई पर निर्भर करता है.
  • जलाशयों, नदियों और भूजल स्रोतों को भरने में मॉनसून की अहम भूमिका होती है.
  • हाइड्रोपावर उत्पादन और पीने के पानी की आपूर्ति भी मॉनसून पर निर्भर है.
  • अगर मॉनसून कमजोर पड़ता है, तो सूखा, खाद्य संकट और आर्थिक मंदी जैसे गंभीर प्रभाव सामने आ सकते हैं.
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मॉनसून से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदु

  1.  मॉनसून का समय क्या होता है: मॉनसून भारत में जून से सितंबर तक सक्रिय रहता है. यह चार महीने देश की जलवायु, कृषि और आम जनजीवन को प्रभावित करता है.
  2. मॉनसून से पूर्व तैयारियां: हर साल मॉनसून से पहले नगर निगम और राज्य प्रशासन जल निकासी व्यवस्था, नालों की सफाई, आपदा नियंत्रण केंद्रों की स्थापना और खतरनाक इमारतों की पहचान जैसे कार्यों में जुट जाता है.
  3.  मॉनसून और आपदाएं: भारी बारिश के कारण अक्सर बाढ़, भूस्खलन और शहरी जलजमाव जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। मुंबई, कोलकाता और चेन्नई जैसे शहरों में यह आम समस्या है. 
  4. मॉनसून और आर्थिक नीति: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) भी अपनी मौद्रिक नीति में मॉनसून के अनुमान को ध्यान में रखता है, क्योंकि खराब मॉनसून से महंगाई बढ़ सकती है.
  5. मॉनसून और जलवायु परिवर्तन: हाल के वर्षों में मॉनसून का पैटर्न अनियमित हुआ है। कभी अधिक वर्षा, तो कभी सूखे जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है। वैज्ञानिक मानते हैं कि जलवायु परिवर्तन इसकी प्रमुख वजह है. 
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इस वर्ष भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने जानकारी दी है कि दक्षिण-पश्चिम मॉनसून ने अपेक्षा से पहले ही महाराष्ट्र में प्रवेश कर लिया है और मुंबई में पूर्ण रूप से सक्रिय हो गया है. IMD ने मुंबई, ठाणे और पालघर जिलों के लिए येलो अलर्ट जारी किया है. नागरिकों को समंदर के किनारे न जाने की सलाह दी गई है. बिजली गिरने और समुद्री हवाओं के तेज़ बहाव की चेतावनी भी दी गई है. 

बीएमसी और MHADA ने मिलकर 96 ऐसी इमारतों की पहचान की है जो बारिश के दौरान खतरे में पड़ सकती हैं। इनमें रहने वाले 3,100 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजने का कार्य शुरू हो चुका है. इसके साथ ही नालों की सफाई, ड्रेनेज सिस्टम की निगरानी और 24x7 कंट्रोल रूम भी सक्रिय कर दिया गया है.

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