उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति एके गांगुली ने मंगलवार को फिर पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से अपने इस्तीफे के मुद्दे को लेकर बेपरवाही जाहिर की। गांगुली ने एक बार फिर इन आरोपों को नकारा कि उन्होंने कानून की इंटर्न महिला का यौन उत्पीड़न किया था।
यह पूछे जाने पर कि क्या वह अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों को अब भी नकारते हैं, इस पर गांगुली ने फोन पर 'पीटीआई' को बताया, 'मैंने इससे इनकार किया है। मैं इससे ज्यादा क्या कहूंगा।' राज्यसभा में आज तृणमूल कांग्रेस के सांसदों द्वारा पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से गांगुली को हटाने की मांग के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, 'संसदीय कार्यवाहियों पर मैं कैसे टिप्पणी कर सकता हूं?'
अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों और पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से इस्तीफे की चौतरफा मांग के बावजूद गांगुली ने कहा, 'मैं अब कुछ नहीं बोलूंगा।'
गौरतलब है कि अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल इंदिरा जयसिंह सहित विभिन्न तबकों के लोग पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से गांगुली के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।
अपने घर के बाहर मौजूद मीडियाकर्मियों द्वारा इस्तीफे के बारे में पूछे जाने पर गांगुली ने गुस्से में कहा, 'इससे आपका कोई लेना-देना नहीं है।' इस मामले को आगे ले जाने पर भी गांगुली ने कुछ ऐसा ही जवाब दिया।
गौरतलब है कि महिला इंटर्न की शिकायत की जांच के लिए बनी उच्चतम न्यायालय की तीन सदस्यीय समिति ने गांगुली को पिछले साल 24 दिसंबर को दिल्ली के एक होटल में 'अभद्र बर्ताव' और 'यौन प्रकृति के व्यवहार' का दोषी माना था।
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