विवादास्पद भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के स्थान पर आज लोकसभा में भूमि विधेयक पेश किया जाएगा। विपक्षी दलों को इस विधेयक को लेकर गंभीर आपत्तियां हैं।
ग्रामीण विकास मंत्री चौधरी बीरेन्द्र सिंह लोकसभा में ‘उचित मुआवजे का अधिकार और भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास तथा पुन:बसाहट (संशोधन) विधेयक 2015’ पेश करेंगे। यह विधेयक पिछले वर्ष दिसंबर में सरकार द्वारा जारी किए गए अध्यादेश का स्थान लेगा। अध्यादेश के जरिए यूपीए सरकार द्वारा वर्ष 2013 में पारित किए गए पहले के विधेयक में बदलाव किए गए थे।
सरकार ने भूमि अधिनियम में महत्वपूर्ण बदलाव करते हुए अध्यादेश जारी किया था जिनमें पांच क्षेत्रों के लिए भूमि अधिग्रहण करते समय मंजूरी के प्रावधान को हटाना भी शामिल हैं। ये पांच क्षेत्र औद्योगिक कोरिडोर, पीपीपी परियोजनाएं, ग्रामीण ढांचा, सस्ता आवास और रक्षा क्षेत्र हैं।
गृह मंत्री राजनाथ सिंह इन संकेतों के बीच इस विधेयक पर अपने वरिष्ठ मंत्रियों से विचार विमर्श कर रहे हैं कि सरकार अध्यादेश में लाए गए कुछ प्रावधानों पर पुनर्विचार कर सकती है। इस बीच, कोयला खदानों, ई रिक्शा और बीमा क्षेत्र में एफडीआई संबंधी अध्यादेशों के स्थान पर विधेयक लाने की प्रक्रिया शुरू करते हुए सरकार ने राज्यसभा में वापस लिए जाने वाले पुराने विधेयकों की भी सूची तैयार कर ली है।
केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली, नितिन गडकरी और पीयूष गोयल इन विधेयकों को वापस लेने के लिए सदन की मंजूरी लेंगे। सरकार बजट सत्र के पहले चरण में छह अध्यादेशों को विधेयकों में तब्दील करने के लिए बहुत तेजी से काम में जुटी हुई है क्योंकि पहला चरण 20 मार्च को समाप्त हो जाएगा।
सरकार लोकसभा में खदान एवं खनिज (विकास तथा नियमन) अधिनियम 1957 में संशोधन के लिए भी एक विधेयक पेश करेगी जो इस मुद्दे पर हाल में लागू किए गए अध्यादेश का स्थान लेगी।
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