प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:
लोकसभा चुनावों के मद्देनजर मोदी सरकार गन्ना किसानों को बड़ी राहत देने की तैयारी में है. गन्ना किसानों की नाराजगी को कम करने और चीनी मिलों पर बकाया चुकाने के लिए चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य बढ़ सकते हैं.
दरअसल, सरकार गन्ना किसानों की नाराजगी कम करना चाहती है. इसके लिए चीनी मिलों के न्यूनतम बिक्री मूल्य को मौजूदा 29 रुपये प्रति किलो से बढ़ाकर 33 या 34 रुपये प्रति किलो किया जा सकता है. सरकार यह फैसला आने वाले सीजन के लिए कर सकती है. न्यूनतम बिक्री मूल्य या एक्स फैक्ट्री वह दर है जिस पर चीनी मिलें अपनी चीनी थोक में बेचती हैं. यह दर बढ़ाने से चीनी मिलों के पास पैसे आएंगे जिससे वे गन्ना किसानों का बकाया चुका सकेंगी. लेकिन इसका बोझ उपभोक्ताओं पर पड़ सकता है क्योंकि चीनी दो से तीन रुपये प्रति किलो महंगी हो सकती है. पेट्रोल-डीज़ल के बढ़े दामों से नाराज मध्यम वर्ग शायद चीनी की इस कड़वाहट को पसंद न करे.
यह भी पढ़ें : चीनी मिलों के लिए 8000 करोड़ का पैकेज मंजूर, डाक सेवकों का भत्ता बढ़ा
देश भर में गन्ना किसानों का चीनी मिलों पर करीब 17 हजार करोड़ रुपया बकाया है. इसमें अकेले यूपी में करीबी 11 हजार करोड़ रुपये किसानों का बकाया है. इस साल जून में उत्तर प्रदेश के गन्ना मंत्री सुरेश राणा ने केंद्रीय खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री रामविलास पासवान को पत्र लिखकर चीनी का एक्स फैक्ट्री दाम कम से कम 34 रुपये प्रति किलो करने की मांग की थी. इसी के बाद कैबिनेट ने दाम में एक रुपये प्रति किलो का इजाफा कर 29 रुपये प्रति किलो कर दिया था.
गौरतलब है कि कैराना और नूरपुर में बीजेपी की हार के लिए गन्ना किसानों की नाराजगी को जिम्मेदार बताया गया था. बीजेपी ने 2017 के अपने घोषणा-पत्र में वादा किया था कि गन्ना किसानों का बकाया 14 दिनों के भीतर चुका दिया जाएगा. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. हाल ही में चीनी मिल मालिकों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर अक्तूबर से शुरू होने वाली पेराई से पहले इस समस्या का हल ढूंढने की अपील की थी.
VIDEO : गन्ना किसानों को राहत?
एक्स फैक्ट्री दाम बढ़ाने के इस फैसले का असर यूपी के अलावा महाराष्ट्र पर भी पड़ेगा. बीजेपी को उम्मीद है कि इससे गन्ना किसानों की नाराजगी दूर हो सकती है.
दरअसल, सरकार गन्ना किसानों की नाराजगी कम करना चाहती है. इसके लिए चीनी मिलों के न्यूनतम बिक्री मूल्य को मौजूदा 29 रुपये प्रति किलो से बढ़ाकर 33 या 34 रुपये प्रति किलो किया जा सकता है. सरकार यह फैसला आने वाले सीजन के लिए कर सकती है. न्यूनतम बिक्री मूल्य या एक्स फैक्ट्री वह दर है जिस पर चीनी मिलें अपनी चीनी थोक में बेचती हैं. यह दर बढ़ाने से चीनी मिलों के पास पैसे आएंगे जिससे वे गन्ना किसानों का बकाया चुका सकेंगी. लेकिन इसका बोझ उपभोक्ताओं पर पड़ सकता है क्योंकि चीनी दो से तीन रुपये प्रति किलो महंगी हो सकती है. पेट्रोल-डीज़ल के बढ़े दामों से नाराज मध्यम वर्ग शायद चीनी की इस कड़वाहट को पसंद न करे.
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देश भर में गन्ना किसानों का चीनी मिलों पर करीब 17 हजार करोड़ रुपया बकाया है. इसमें अकेले यूपी में करीबी 11 हजार करोड़ रुपये किसानों का बकाया है. इस साल जून में उत्तर प्रदेश के गन्ना मंत्री सुरेश राणा ने केंद्रीय खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री रामविलास पासवान को पत्र लिखकर चीनी का एक्स फैक्ट्री दाम कम से कम 34 रुपये प्रति किलो करने की मांग की थी. इसी के बाद कैबिनेट ने दाम में एक रुपये प्रति किलो का इजाफा कर 29 रुपये प्रति किलो कर दिया था.
गौरतलब है कि कैराना और नूरपुर में बीजेपी की हार के लिए गन्ना किसानों की नाराजगी को जिम्मेदार बताया गया था. बीजेपी ने 2017 के अपने घोषणा-पत्र में वादा किया था कि गन्ना किसानों का बकाया 14 दिनों के भीतर चुका दिया जाएगा. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. हाल ही में चीनी मिल मालिकों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर अक्तूबर से शुरू होने वाली पेराई से पहले इस समस्या का हल ढूंढने की अपील की थी.
VIDEO : गन्ना किसानों को राहत?
एक्स फैक्ट्री दाम बढ़ाने के इस फैसले का असर यूपी के अलावा महाराष्ट्र पर भी पड़ेगा. बीजेपी को उम्मीद है कि इससे गन्ना किसानों की नाराजगी दूर हो सकती है.
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