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मोदी सरकार कहां बनवाने जा रही इंडस्ट्रियल स्मार्ट सिटी? किस सेक्टर में मिलेंगी 10 लाख नौकरियां... कैबिनेट के बड़े फैसले

कैबिनेट ने नेशनल इंडस्ट्रियल कॉरीडोर डेवलपमेंट प्रोग्राम (NICDP) के तहत 28,602 करोड़ रुपये के अनुमानित निवेश से 12 नए इंडस्ट्रियल शहर बनाने की मंजूरी दी है.

मोदी सरकार कहां बनवाने जा रही इंडस्ट्रियल स्मार्ट सिटी? किस सेक्टर में मिलेंगी 10 लाख नौकरियां... कैबिनेट के बड़े फैसले
मोदी सरकार 28,602 करोड़ रुपये की लागत से 12 नए इंडस्ट्रियल स्मार्ट सिटी डेवलप करेगी.
नई दिल्ली:

मोदी कैबिनेट (Modi Cabinet) ने घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए 10 राज्यों में 12 नए इंडस्ट्रियल सिटी (Industrial Smart Cities) बनाने केस प्रोजेक्ट को मंजूरी दी है.  इन शहरों के बनने से करीब 10 लाख प्रत्यक्ष रोजगार (Job Creation) और नियोजित औद्योगिकीकरण के जरिए 30 लाख अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा होने का अनुमान है. इन परियोजनाओं से लगभग 1.52 लाख करोड़ रुपये की निवेश क्षमता भी पैदा होगी. मोदी सरकार ने रेलवे के लिए भी कई इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी है.

आइए जानते हैं मोदी कैबिनेट ने लिए कौन-कौन से फैसले और इससे किस सेक्टर को कितना होगा फायदा:-

28,602 करोड़ रुपये की लागत से बनेंगे 12 नए इंडस्ट्रियल शहर
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को मोदी कैबिनेट की मीटिंग में लिए गए अहम फैसलों की जानकारी दी. अश्विनी वैष्णव ने कहा, "कैबिनेट ने नेशनल इंडस्ट्रियल कॉरीडोर डेवलपमेंट प्रोग्राम (NICDP) के तहत 28,602 करोड़ रुपये के अनुमानित निवेश से 12 नए इंडस्ट्रियल शहर बनाने की मंजूरी दी है."

कहां-कहां बनेंगे नए इंडस्ट्रियल शहर?
ये इंडस्ट्रियल शहर उत्तराखंड के खुरपिया, पंजाब के राजपुरा-पटियाला, महाराष्ट्र के दिघी, केरल के पलक्कड़, उत्तर प्रदेश के आगरा और प्रयागराज, बिहार के गया, तेलंगाना के जहीराबाद, आंध्र प्रदेश के ओर्वकल और कोपर्थी, राजस्थान के जोधपुर-पाली में स्थित होंगे. इन शहरों को ग्लोबल पैरामीटर्स के आधार पर विकसित किया जाएगा. ये शहर हाइटेक इंफ्रास्ट्रक्चर लैस होंगे, जो सस्टेनेबल और मजबूत इंडस्ट्रियल ऑपरेशन का समर्थन करते हैं.

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कितने एकड़ जमीन पर बनेगी इंडस्ट्रियल सिटी?
सरकार ने बताया कि उत्तराखंड के खुपरिया में 1002 एकड़ जमीन पर इंडस्ट्रियल स्मार्ट सिटी बनाई जाएगी. पंजाब के राजपुरा-पटियाला में 1000 एकड़ जमीन पर इंडस्ट्रियल स्मार्ट सिटी का निर्माण होगा. उत्तर प्रदेश के आगरा में 1058 एकड़ इलाके में इंडस्ट्रियल स्मार्ट सिटी बनेगी. यूपी के प्रयागराज में 352 एकड़ में स्मार्ट सिटी बसाई जाएगी. बिहार के गया में 1,670 एकड़ में इंडस्ट्रियल स्मार्ट सिटी डेवलप की जाएगी.

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि इन इंडस्ट्रियल सिटी की परिकल्पना 6 प्रमुख कॉरीडोर के करीब रणनीतिक रूप से की गई है. ये प्रोजेक्ट्स भारत की विनिर्माण क्षमताओं और आर्थिक वृद्धि को रफ्तार देने में एक महत्वपूर्ण पहल को दर्शाती हैं. अश्विनी वैष्णव ने बताया कि सरकार का ये कदम देश के औद्योगिक परिदृश्य को बदल देगा. इससे औद्योगिक क्षेत्र और शहरों का एक मजबूत नेटवर्क तैयार होगा, जो आर्थिक वृद्धि और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ावा देगा.

2024-25 के बजट में किया गया था ऐलान
इन इंडस्ट्रियल शहरों की स्थापना की परिकल्पना वित्त वर्ष 2024-25 के बजट में पेश की गई थी. बजट में घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए राज्यों और निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी में देश के कई शहरों में या उसके आसपास 'प्लग एंड प्ले' इंडस्ट्रियल पार्क विकसित करने की घोषणा की गई थी.

अभी 8 शहरों पर चल रहा काम
इस तरह के 8 इंडस्ट्रियल शहरों पर पहले से ही काम जारी है. 4 शहरों- धोलेरा (गुजरात), ऑरिक (महाराष्ट्र), विक्रम उद्योगपुरी (मध्य प्रदेश) और कृष्णपट्टनम (आंध्र प्रदेश) में इंडस्ट्रीज के लिए जमीन के अलॉटमेंट का काम चल रहा है. बाकी 4 शहरों में भी सरकार का स्पेशल पर्पज व्हीकल यानी SPV रोड कनेक्टिविटी, पानी और बिजली की सप्लाई जैसे इंफ्रास्ट्रक्टर के निर्माण की प्रक्रिया में है.

देश में 12 नए इंडस्ट्रियल शहरों की स्थापना की घोषणा के साथ इस तरह के शहरों की कुल संख्या 20 हो जाएगी. इस कदम से देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में इंफ्रास्ट्रक्टर की हिस्सेदारी बढ़ाने और रोजगार सृजन में मदद मिलने का अनुमान है.

पैदा होंगी 10 लाख नई नौकरियां
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि इंडस्ट्रियल स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स से करीब 10 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा. इससे अप्रत्यक्ष रूप से 30 लाख नए रोजगार भी सृजित होंगे. केंद्रीय मंत्री के अनुसार, इसमें 1.52 लाख करोड़ रुपये का निवेश होने की संभावना है.

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रेलवे के लिए कई इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स मंजूर
इसके साथ ही मोदी कैबिनेट ने रेलवे के लिए भी कई इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी है. झारखंड के ईस्ट सिंगभूम से पश्चिम बंगाल के पुरुलिया और बर्दमान को जोड़ने के लिए जमशेदपुर-पुरुलिया-आसनसोल (चंदिल-अनारा-दामोदार) थर्ड लाइन बनाई जाएगी. ये रूट 121 किलोमीटर का होगा. इसमें 2, 170 करोड़ रुपये की लागत आएगी.

इन रूट पर बनेगी नई लाइन
ओडिशा के सुंदरगढ़ से छत्तीसगढ़ के रायगढ़ को जोड़ने के लिए सरडेगा डबल लाइन भालूमुड़ा लाइन बनाई जाएगी. इस रूट की लंबाई 37 किलोमीटर होगी. इसमें 1,360 करोड़ रुपये की लागत आएगी. ओडिशा (बारगढ़, नुआपाड़ा) में बरगढ़ रोड-नवापारा रोड लाइन का निर्माण किया जाएगा. ये रूट 138 किलोमीटर का होगा. इसमें 2,926 करोड़ रुपये की लागत आएगी.

ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ जैसे 4 राज्यों के 7 जिलों में लागू की जाने वाली 3 प्रोजेक्ट्स भारतीय रेलवे के मौजूदा नेटवर्क को करीब 300 किलोमीटर तक बढ़ा देंगी.

14 नए रेलवे स्टेशन 1300 गांवों में कनेक्टिविटी
इन प्रोजेक्ट्स के साथ 14 नए स्टेशनों का निर्माण किया जाएगा. इसमें दो आकांक्षी जिलों (नुआपाड़ा और पूर्वी सिंहभूम) को बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी. नई लाइन प्रोजेक्ट्स से करीब 1300 गांवों और करीब 11 लाख लोगों को कनेक्टिविटी मिलेगी. मल्टी-ट्रैकिंग प्रोजेक्ट्स से करीब 1300 गांवों और लगभग 19 लाख लोगों को कनेक्टिविटी मिलेगी.

ये रूट कृषि उत्पादों, उर्वरक, कोयला, लौह अयस्क, इस्पात, सीमेंट, चूना पत्थर आदि जैसी वस्तुओं के परिवहन के लिए जरूरी हैं. क्षमता वृद्धि कार्यों के परिणामस्वरूप 45 MTPA (मिलियन टन प्रति वर्ष) की अतिरिक्त माल ढुलाई होगी. 

लॉजिस्टिक लागतों को कम करने में मिलेगी मदद
रेलवे पर्यावरण के अनुकूल और ऊर्जा कुशल परिवहन साधन है. इससे जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने और देश की लॉजिस्टिक्स लागत को कम करने, तेल आयात (10 करोड़ लीटर) को कम करने और कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन (240 करोड़ किलोग्राम) को कम करने में मदद मिलेगी, जो 9.7 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है.

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234 शहरों में शुरू होंगे प्राइवेट FM रेडियो
मोदी कैबिनेट ने 234 शहरों में 730 प्राइवेट FM रेडियो शुरू करने को मंजूरी दे दी है. आधिकारिक बयान में कहा गया कि इस कदम से लोकल कंटेंट को बढ़ावा मिलने और रोजगार के नए अवसर पैदा होने की संभावना है.

एक्ट ईस्ट पॉलिसी
मोदी कैबिनेट ने पूर्वी भारत के राज्यों के लिए भी कई फैसले मंजूर किए हैं. उत्तर पूर्व में 62 गीगावॉट की हाइड्रो-इलेक्ट्रिसिटी क्षमता को बढ़ाया जाएगा. इससे क्लीन एनर्जी मिलेगी, जो हमारे जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करेगी. पूर्वोत्तर राज्यों को हाइड्रो-इलेक्ट्रिसिटी प्रोजेक्ट्स के विकास के लिए इक्विटी समर्थन की जरूरत है. इससे पूर्वोत्तर राज्यों में विकास होगा और नागरिकों के जीवन में सुधार होगा.

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