देश में एक बार फिर से मोदी सरकार बन गई है. सभी के मंत्रालयों का बंटबारा भी हो चुका है. बिहार (Bihar Ministers) हो या झारखंड, जिसको जो भी मिलना था मिल गया. सभी मंत्रियों ने अपने विभागों का कार्यभार भी संभाल लिया है, लेकिन सवाल यह है कि क्या सभी लोग खुश हैं या फिर किसी के दिल में कोई मलाल बाकी है. मलाल तो मनचाहा विभाग न मिल पाने का भी हो सकता है. ये मुद्दा अब विपक्ष उठा रहा है. तेजस्वी यादव ने बिहार के हिस्से में आए मंत्री पदों को झुनझुना करार दिया है. लोकसभा चुनाव में बिहार में 12 सीटें जीतने वाली नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की जेडीयू को क्या-क्या मिला, ये बताते हैं.
बिहार के हिस्से में क्या आया?
ललन सिंह- नीतीश के बेहद करीबी और पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह को पंचायती राज विभाग और पशुपालन, मछली पालन एवं डेयरी विभाग का जिम्मा मिला है. इन दोनों ही विभागों में अपार संभावना है. पशुपालन, मछली पालन और डेयरी विभाग की अलग अलग योजनाओं से हजारों, लाखों की संख्या में बेरोजगार युवाओं को इससे जोड़ने, स्वरोजगार पैदा करने की संभावनाएं हैं.पंचायती राज विभाग भी नीतीश कुमार के पसंदीदा विभागों में से एक है. नीतीश कुमार ने बिहार में पंचायत में महिलाओं को 50% आरक्षण दिया. बहुत सारी ऐसी योजनाएं हैं, जिनके सहारे नीतीश कुमार और ललन सिंह बिहार में पंचायत स्तर पर लोगों के जीवन में बदलाव ला सकते हैं.
रामनाथ ठाकुर- जेडीयू के रामनाथ ठाकुर को राज्य मंत्री बनाया गया है. उनको कृषि एवं किसान कल्याण विभाग का जिम्मा मिला है. कृषि एक ऐसा विभाग है जिससे बिहार जैसे प्रदेश में, गांव में रह रहे किसानों और खेती से जुड़े करोड़ों लोगों की जिंदगी में बदलाव लाया जा सकता है.
जीतन राम मांझी- वहीं बीजेपी के बाकी दो घटक दलों की बात करें तो, जीतन राम मांझी के हिस्से सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्योग विभाग के कैबिनेट मंत्री का प्रभार आया. इस मंत्रालय में बिहार में कुछ खास करने को है नहीं और शायद यही सबसे बड़ा मौका भी है. बिहार में जहां उद्योग के नाम पर लगभग मामला शून्य है, वहां मांझी अगर चाहे तो एक बड़ी लकीर खींच सकते हैं.
चिराग पासवान- वहीं एलजेपी के चिराग पासवान को मिला है खाद्य प्रसंस्करण मंत्री का प्रभार, वह भी कैबिनेट मंत्री हैं. बिहार में इस मंत्रालय में करने को बहुत कुछ है. बात चाहे मिथिला के मखाने की हो या मुजफ्फरपुर की लीची की. पूरे उत्तर बिहार में होने वाले मक्के की खेती की या फिर हाजीपुर के केले की, जहां के सांसद खुद चिराग पासवान है. इन सभी फसलों और उससे जुड़े उत्पादों को राष्ट्रव्यापी आयाम देना, यही चिराग के इस मंत्रालय का मुख्य काम है. चिराग के पास बिहार के उत्पाद को देश के हर थाली में पहुचाने का चिराग के पास यह भरपूर मौक़ा होगा.
गिरिराज सिंह- अगर बीजेपी के मंत्रियों की बात करे, तो गिरिराज सिंह को कपड़ा मंत्रालय का प्रभार सौंपा गया है. बिहार में गिरिराज बाबू करेंगे क्या ? कपड़ा उद्योग के नाम पर बिहार में बिल्कुल सन्नाटा है. आपने इतिहास के किताबों पढ़ा होगा या अपने बुजुर्गों से सुना होगा, भागलपुर के सिल्क उद्योग के बारे में. एक समय में भागलपुर को सिल्क नगरी कहा जाता था, जो अब लगभग अमृतप्राय है. गिरिराज बाबू के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी भागलपुर के सिल्क उद्योग को पुनर्जीवित करना और अगर वह ऐसा करने में कामयाब हुए तो यकीन मानिए, गिरिराज सिंह को बहुत दुआएं मिलेगी और सरकार की वाहवाही भी.
नित्यानंद राय- अब बात नित्यानंद राय की करें तो उनके स्टेटस में कोई फर्क नहीं आया है. वह पहले भी देश के गृह राज्य मंत्री थे और आज भी वही हैं. गृह राज्य मंत्री का कार्यभार ऐसा है कि आप किसी एक प्रदेश के लिए चाह के भी कुछ खास कर नहीं सकते. बीजेपी के तीसरे मंत्री चंपारण के सतीश चंद्र दुबे हैं, जिन्हें राज्य मंत्री बनाया गया है और कोयला एवं खान मंत्रालय का जिम्मा सौंपा गया है. बिहार से झारखंड के अलग होने के बाद बिहार में न कोयला बचा है और न खान, तो सतीश चंद दुबे जी अगर बिहार का कुछ बहुत भला करना भी चाहे तो शायद ही कर पाए.
राजभूषण निषाद-बिहार से आने वाले बीजेपी कोटे के चौथे मंत्री राजभूषण निषाद हैं. वह मुजफ्फरपुर से सांसद बने हैं और उन्हें जल शक्ति मंत्रालय में राज्य मंत्री बनाया गया है. सिंचाई और कृषि से जुड़े इस मंत्रालय में बिहार के किसानों की तकदीर पलटने की क़ुबत है.
झारखंड के हिस्से में क्या आया?
अन्नपूर्णा देवी- झारखंड के हिस्से दो मंत्रालय आए हैं. कोडरमा की सांसद अन्नपूर्णा देवी कैबिनेट मंत्री बनी हैं. उनको महिला और बाल विकास मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है. इस मंत्रालय में वह अपने प्रदेश झारखंड के लिए बहुत कुछ कर सकती हैं.
संजय सेठ- वहीं दूसरे मंत्री हैं संजय सेठ. वह रांची से बीजेपी के सासंद हैं. उनको रक्षा मंत्रालय में राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया है. ये भी एक ऐसा मंत्रालय है जिसमें अपने प्रदेश के लिए कुछ खास नहीं किया जा सकता. आप मंत्री जरूर बन गए लेकिन किसी खास प्रदेश के लिए कुछ करने की स्थिति में नहीं होंगे.
कुल मिलाकर बिहार और झारखंड के हिस्से जो मंत्रालय आए हैं, उस पर सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों विवेचना में लगे हैं कि कैसे इन मंत्रालयों के द्वारा इन दोनों प्रदेशों की तकदीर थोड़ी बहुत बदली जा सकती है.
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