बिहार में मकर संक्रांति के बाद नीतीश मंत्रिमंडल के विस्तार की संभावना जताई जा रही है. इस आगामी विस्तार की रूपरेखा हाल ही में CM नीतीश कुमार, डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और केंद्रीय मंत्री लल्लन सिंह की PM मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के साथ दिल्ली में हुई मुलाकात के दौरान तय मानी जा रही है. वर्तमान में बिहार कैबिनेट में मुख्यमंत्री सहित कुल 26 मंत्री हैं, जबकि नियमों के अनुसार यह संख्या अधिकतम 36 तक हो सकती है. एनडीए के फॉर्मूले के तहत रिक्त 10 पदों में से 6 जेडीयू और 4 बीजेपी के कोटे में जाने की उम्मीद है.
सूत्रों के अनुसार, जेडीयू इस विस्तार के जरिए जातीय, सामाजिक और क्षेत्रीय समीकरणों को साधने की रणनीति पर काम कर रही है. वर्तमान कैबिनेट में राजपूत, दलित, भूमिहार और कुशवाहा-कुर्मी समाज को पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिला हुआ है, इसलिए अब जेडीयू का फोकस उन वर्गों पर है जिन्हें जगह नहीं मिल सकी है. चर्चा है कि इस बार अति-पिछड़े, निषाद, धानुक और वैश्य समुदाय के साथ-साथ महिलाओं को भी मंत्रिपरिषद में स्थान दिया जा सकता है. जेडीयू नए चेहरों को मौका देकर आगामी चुनावों के मद्देनजर एक समावेशी राजनीतिक संदेश देने की तैयारी में है.
मंत्रिमंडल विस्तार की आवश्यकता प्रशासनिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि वर्तमान में कई मंत्रियों पर विभागों का अतिरिक्त बोझ है. जेडीयू कोटे के बिजेंद्र प्रसाद यादव के पास 5 और विजय चौधरी के पास चार विभाग हैं. वहीं, बीजेपी के भी कई मंत्रियों के पास दो-दो विभाग हैं. इसके अतिरिक्त, नितिन नवीन के बीजेपी का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनने के बाद इस्तीफा देने से भी पद रिक्त हुआ है.
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