राजनीति में पशुपति कुमार पारस (Pashupati Paras) का कद तेजी से बढ़ता जा रहा है. पिछले हफ्ते उन्होंने अपने भतीजे चिराग पासवान (Chirag Paswan) को हटाकर संसदीय दल के नेता का पद हासिल कर लिया और फिर पार्टी के नए नेता भी चुन लिए गए हैं. नेता चुने जाने के बाद पशुपति पारस ने कहा कि वो जल्द ही केंद्र सरकार में शामिल होने जा रहे हैं. 71 साल के पारस ने कहा, जब मैं मंत्रिमंडल में शामिल होउंगा, उसी वक्त संसदीय दल के नेता पद से इस्तीफा दे दूंगा. लोक जनशक्ति पार्टी का यह घमासान फिलहाल थमता नजर नहीं आ रहा है.
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हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐसे महत्वपूर्ण मामलों में रहस्योद्घाटन को कतई पसंद नहीं करते हैं. केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार और फेरबदल की लंबे समय से सुगबुगाहट चल रही है. प्रधानमंत्री की गृह मंत्री अमित शाह समेत वरिष्ठ मंत्रियों के साथ हुई बैठकों के दौर के बाद यह कयास लगाए जा रहे हैं. हालांकि बीजेपी नेता कैबिनेट मंत्री पद मिलने को लेकर किसी भी अटकलबाजी से बच रहे हैं. उनका कहना है कि सिर्फ दो लोग जानते हैं कि कब बदलाव होगा और किसको मंत्रिपद मिलेगा.ऐसे में पशुपति पारस का ऐलान या तो असामयिक है या लापरवाही भरा है.
पशुपति पारस केंद्र में मंत्री बनने वाले हैं इसलिए घोषणा उन्होंने अपने अंदाज़ में किया और कहा कि उसके बाद वो संसदीय दल के नेता से इस्तीफ़ा दे देंगे @ndtvindia @Anurag_Dwary pic.twitter.com/TrDgo7x0j1
— manish (@manishndtv) June 18, 2021
उनके गृह राज्य बिहार में भी बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने भी केंद्रीय नेतृत्व को यह संदेश दिया है कि चिराग पासवान के खिलाफ पशुपति पारस को एकतरफा समर्थन बड़ी भूल होगी. चिराग पासवान की उम्र महज 38 वर्ष है और वो पूर्व केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान के बेटे हैं. बिहार चुनाव के कुछ वक्त पहले राम विलास पासवान (Ram Vilas Paswan) की मौत हो गई है.बिहार BJP ने पार्टी के दलित विधायकों के बीच चिराग और पशुपति पारस को लेकर इस मुद्दे पर रायशुमारी की है. इन विधायकों का कहना था कि दलित और ख़ासकर पासवान समुदाय चिराग के साथ रहेगा.
कुछ विधायकों का कहना था कि चिराग के खिलाफ नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की अगुवाई में जो मुहिम चली है उससे जो वोटर बिखरे या असंतोष में भी हैं और चिराग़ के लिए हमदर्दी पैदा हो गई है. बीजेपी (BJP) नेताओं ने केंद्रीय नेतृत्व को भी इससे अवगत करा दिया है. उनका कहना है कि पारस को केंद्रीय मंत्री बनाने और चिराग पासवान को हाशिए पर डालने से जो पासवान वोटर 2014 के लोकसभा चुनाव से भाजपा प्रत्याशियों के समर्थन में उतरा था, उसका नुक़सान आगे उठाना पड़ सकता है. हालांकि पारस जन नेता की बजाय पर्दे के पीछे की भूमिका में ही ज्यादा सक्रिय रहे हैं. पशुपति पारस की उम्र औऱ स्वास्थ्य भी ऐसा नहीं है कि जिससे भरोसा किया जा सके कि सक्रिय होकर अपनी पासवान जाति के वोटरों को गोलबंद कर सकें.
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