पूर्व केंद्रीय मंत्री मिलिंद देवड़ा (Milind Deora's) ने रविवार को शिवसेना में शामिल होने के बाद कांग्रेस नेतृत्व पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा कि पार्टी अब वैसी नहीं है, जैसी पहले हुआ करती थी, जब मनमोहन सिंह ने आर्थिक सुधार शुरू किए थे. उन्होंने कहा कि अब पार्टी उद्योगपतियों, कारोबारियों को गाली देती है और उन्हें राष्ट्र-विरोधी कहती है. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के आधिकारिक आवास ‘वर्षा' में एक सभा को संबोधित करते हुए देवरा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के पास देश के विकास के लिए एक दृष्टिकोण है. उन्होंने शिंदे को ऐसा मुख्यमंत्री बताया, जिन तक पहुंच बहुत आसान है.
"कांग्रेस ने मेरे रचनात्मक सुझावों पर नहीं दिया ध्यान"
देवड़ा ने शिंदे की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘‘मैं एक बात बताना चाहता हूं, जब कांग्रेस कठिन दौर से गुजर रही थी तब मैं उसके प्रति वफादार था. मैं 2004 में कांग्रेस में शामिल हुआ. अगर कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) ने रचनात्मक सुझावों और योग्यता पर ध्यान केंद्रित किया होता, तो हम यहां नहीं बैठे नहीं होते.'' शिंदे ने उद्धव ठाकरे के खिलाफ जून 2022 में बगावत कर दी थी, जिससे शिवसेना विभाजित हो गई.
As my valued voters, supporters & well-wishers, it is my duty to explain why I have chosen to depart from @INCIndia & align myself with @Shivsenaofc under the leadership of @mieknathshinde Ji. pic.twitter.com/Dj575Z1t8P
— Milind Deora | मिलिंद देवरा (@milinddeora) January 14, 2024
उद्योगपतियों और व्यापारियों को गाली दे रही है कांग्रेस: देवड़ा
पूर्व केंद्रीय मंत्री देवड़ा ने कहा, ‘‘30 साल पहले जब मनमोहन सिंह वित्त मंत्री थे, तब कांग्रेस पार्टी ने आर्थिक सुधारों की शुरुआत की थी, लेकिन अब वह उद्योगपतियों और व्यापारियों को गाली दे रही है और उन्हें राष्ट्र-विरोधी कह रही है.''हालांकि, देवड़ा ने कांग्रेस के किसी नेता का नाम नहीं लिया, लेकिन जाहिर तौर पर उनका इशारा राहुल गांधी की ओर था, जो अक्सर उद्योगपतियों की आलोचना करते हैं."
कांग्रेस में अब पुरानी बात नहीं रही: मिलिंद देवड़ा
कांग्रेस पार्टी पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि जिस कांग्रेंस पार्टी में 1968 में मेरे पिता शामिल हुए थे और 2004 मैं शामिल हुआ था. अफसोस की बात है कि वो कांग्रेस पार्टी अब नहीं है. यह पार्टी अपनी विचारधारा से भटक गयी है. इसमें ईमानदारी और रचनात्मक आलोचना के लिए कोई जगह नहीं है. साथ ही उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी से 55 साल के राजनीतिक रिश्तों के बाद अलग होने का फैसला भावुक करने वाला था. मैं ऐसे नेता के साथ काम करना चाहता हूं जो रचनात्मक विचारों को महत्व दे.
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