कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मिलिंद देवड़ा (Milind Deora) के कड़े रूख़ के बाद महाराष्ट्र के तत्कालीन सत्तारूढ़ गठबंधन महा विकास अघाड़ी (MVA) में दरार साफ दिखाई देने लग पड़ी है. मिलिंद देवड़ा ने मुंबई में आगामी निकाय चुनावों (Civic Polls) को लेकर गठबंधन सहयोगी शिवसेना पर जबरदस्त हमला किया है. उन्होंने आरोप लगाया है कि चुनाव में लाभ उठाने के लिए शिवसेना ने वार्डों का फिर से निर्धारण किया है औऱ उसने कभी भी गठबंधन धर्म का पालन नहीं किया. उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस अपने हितों के प्रति जागरूक नहीं है तो वो "बाहर निकलने के लिए तैयार" है.
देवड़ा ने NDTV को दिए एक खास इंटरव्यू में कहा, "अगर कांग्रेस का अपने अधिकारों के लिए लड़ना एमवीए के लिए खतरा साबित हो सकता है तो हम वो खतरा उठाने के लिए तैयार हैं. अगर किसी ने गठबंधन धर्म का उल्लंघन किया है, तो कांग्रेस बाहर निकलने के लिए तैयार है."
मिलिंद देवड़ा को शिवसेना (Shiv Sena) का आलोचक माना जाता है. यहां तक कि महा विकास अघाड़ी गठबंधन में जब कांग्रेस सत्ता साझा कर रही थी तब भी वो शिवसेना की आलोचना कर दिया करते थे. बहरहाल, उन्होंने राज्य के नए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) और उप-मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Devendra Gadnavis) को पत्र लिखकर ये आरोप लगाया है कि शिवसेना ने अनुचित फायदे के लिए वार्डों का गलत तरीके से निर्धारण किया है.
बृहन्मुंबई निगम पर फिलहाल सेना का वर्चस्व है और यह देश का सबसे धनी कारपोरेशन है.
हाल ही में गुजरात विधानसभा चुनावों के लिए पर्यवेक्षक नियुक्त किए गए देवड़ा ने कहा, "अभी बीएमसी में कोई जवाबदेही नहीं है और लोकतांत्रिक तरीकों से चुनाव कराने की जरूरत है. शिवसेना के हितों को ध्यान में रखकर वार्डों का पुनर्निर्धारण किया गया है." उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस मुद्दे पर पहले भी अपना विरोध दर्ज करा चुकी है.
राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने के शिवसेना के फैसले के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. लेकिन फिर उन्होंने कहा,"शायद संजय राउत कमेंट कर सकते हैं."
महाराष्ट्र में हालिया सियासी घमासान के दौरान कांग्रेस और शरद पवार (Sharad pawar) की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) ने शिवसेना को अपना समर्थन दिया था. बाबजूद इसके वो गठबंधन सरकार नहीं बचा सके.
कांग्रेस और एनसीपी ने तो यहां तक कह दिया था कि बागियों का नेतृत्व कर रहे एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बना दिया जाए. सियासी गलियारों में यह खबर भी थी कि कांग्रेस ने सरकार से बाहर निकलने का फैसला ले लिया था और बाहर से शिवसेना और एनसीपी की सरकार को समर्थन देने की पेशकश की थी.
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