पीएम नरेंद्र मोदी के साथ अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
केजरीवाल और केंद्र सरकार के बीच जंग जैसे ख़त्म ही नहीं हो रही। गृह मंत्रालय ने केजरीवाल से दिल्ली में काम कर रहे अधिकारियों और सलाहकारों की सूची मांगी तो वे नाराज़ हो उठे। उन्होंने केंद्र से भी सूची मांग ली। जबकि केंद्र की शिकायत है कि दिल्ली में ज़रूरत से ज्यादा अफसर हैं जिन्हें पोस्टिंग तक नहीं मिली है।
केंद्र ने लिखी थी केजरीवाल को चिट्ठी
6 जून को अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार को ये चिट्ठी लिखी। इस आरोप के साथ कि दिल्ली में रेप की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं लेकिन केंद्र का ध्यान नहीं है और वो दिल्ली के साथ भेदभाव कर रहा है। दरअसल केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिल्ली सरकार से पूछा कि दिल्ली में कितने अधिकारी और सलाहकार हैं और आईएएस कैडर में कितने अन्य अधिकारी काम कर रहे हैं?
केजरीवाल ने किया पलटवार
केजरीवाल ने जवाब दिया कि क्या केंद्र सरकार ने दूसरे राज्यों से यह जानकारी मांगी है या फिर कहें बीजेपी शासित राज्यों - राजस्थान, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश से भी इस बारे में जानकारी हासिल करती है कि क्या उसने कितने अफसर कहां पोस्ट किए हैं अगर नहीं तो फिर उन पर ये मेहरबानी क्यूं। और क्या ख़ुद केंद्र सरकार इस बारे में अपनी लिस्ट दिल्ली सरकार को सौंपेगी? केजरीवाल की इस चिट्ठी का गृह मंत्रालय ने अब तक कोई आधिकारिक जवाब नहीं दिया है।
केजरीवाल कर रहे अपने लोगों की नियुक्ति अहम पदों पर
लेकिन उसकी राय है कि केजरीवाल का ऐतराज़ गलत है। यही नहीं, गृह मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि केजरीवाल अहम पदों पर अपने लोगों को बिठा रहे हैं जो इसकी योग्यता नहीं रखते। वो भी तब जब दिल्ली को ज़रूरत से ज़्यादा अफ़सर मिले हैं। गृह मंत्रालय के मुताबिक दिल्ली को 58 अफ़सर मिलने चाहिए, 93 मिले हुए हैं। इनमें से कई अफसरों को अभी तक राज्य सरकार ने पोस्टिंग नहीं दी है जबकि राज्य सरकार ने कई आईएएस वाले पदों पर गैर आईएएस अफ़सर नियुक्त कर दिए हैं। निगरानी सचिव, स्वास्थ्य सचिव, पीडब्ल्यूडी सचिव, सब बाहर के हैं। गृह मंत्रालय का कहना है कि ये हालत तब है जब दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश है और अफसरों की ज़िम्मेदारी केंद्रीय गृह मंत्रालय की है।
कई IAS अधिकारियों ने की केजरीवाल की शिकायत
गृह मंत्रालय का अरोप है कि केजरीवाल अपने मन मुताबिक़ नियमों के विरुद्ध अफ़सर पोस्ट कर रहे हैं। इसके चलते कई अफ़सर बेरोज़गार घूम रहे हैं, कई ने तो दिल्ली सरकार के ख़िलाफ़ मंत्रालय को शिकायत भी की है।
केंद्र ने लिखी थी केजरीवाल को चिट्ठी
6 जून को अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार को ये चिट्ठी लिखी। इस आरोप के साथ कि दिल्ली में रेप की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं लेकिन केंद्र का ध्यान नहीं है और वो दिल्ली के साथ भेदभाव कर रहा है। दरअसल केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिल्ली सरकार से पूछा कि दिल्ली में कितने अधिकारी और सलाहकार हैं और आईएएस कैडर में कितने अन्य अधिकारी काम कर रहे हैं?
केजरीवाल ने किया पलटवार
केजरीवाल ने जवाब दिया कि क्या केंद्र सरकार ने दूसरे राज्यों से यह जानकारी मांगी है या फिर कहें बीजेपी शासित राज्यों - राजस्थान, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश से भी इस बारे में जानकारी हासिल करती है कि क्या उसने कितने अफसर कहां पोस्ट किए हैं अगर नहीं तो फिर उन पर ये मेहरबानी क्यूं। और क्या ख़ुद केंद्र सरकार इस बारे में अपनी लिस्ट दिल्ली सरकार को सौंपेगी? केजरीवाल की इस चिट्ठी का गृह मंत्रालय ने अब तक कोई आधिकारिक जवाब नहीं दिया है।
केजरीवाल कर रहे अपने लोगों की नियुक्ति अहम पदों पर
लेकिन उसकी राय है कि केजरीवाल का ऐतराज़ गलत है। यही नहीं, गृह मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि केजरीवाल अहम पदों पर अपने लोगों को बिठा रहे हैं जो इसकी योग्यता नहीं रखते। वो भी तब जब दिल्ली को ज़रूरत से ज़्यादा अफ़सर मिले हैं। गृह मंत्रालय के मुताबिक दिल्ली को 58 अफ़सर मिलने चाहिए, 93 मिले हुए हैं। इनमें से कई अफसरों को अभी तक राज्य सरकार ने पोस्टिंग नहीं दी है जबकि राज्य सरकार ने कई आईएएस वाले पदों पर गैर आईएएस अफ़सर नियुक्त कर दिए हैं। निगरानी सचिव, स्वास्थ्य सचिव, पीडब्ल्यूडी सचिव, सब बाहर के हैं। गृह मंत्रालय का कहना है कि ये हालत तब है जब दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश है और अफसरों की ज़िम्मेदारी केंद्रीय गृह मंत्रालय की है।
कई IAS अधिकारियों ने की केजरीवाल की शिकायत
गृह मंत्रालय का अरोप है कि केजरीवाल अपने मन मुताबिक़ नियमों के विरुद्ध अफ़सर पोस्ट कर रहे हैं। इसके चलते कई अफ़सर बेरोज़गार घूम रहे हैं, कई ने तो दिल्ली सरकार के ख़िलाफ़ मंत्रालय को शिकायत भी की है।
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