नई दिल्ली:
केंद्र सरकार ने नए सिरे से साफ़ कर दिया है कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने का अभी उसका कोई इरादा नहीं है। उसने 'आप' के गैरज़िम्मेदाराना रवैये पर सवाल उठाया है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि आम आदमी पार्टी इसके लिए खुद ज़िम्मेदार है। मंत्रालय का मानना है, 'दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने केंद्र के साथ टकराव का जो रवैया अख़्तियार किया है, वह बिल्कुल गैरज़िम्मेदारी भरा है। फिलहाल दिल्ली के लिए पूर्ण राज्य की बात सोची नहीं जा सकती।'
जब दिल्ली और केंद्र में बीजेपी की सरकार थी तब ये मसला हल नहीं हुआ तो अब कैसे होगा। गृह मंत्रालय ये भी तर्क दे रहा है कि पूरी दुनिया में किसी भी देश की राजधानी को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं मिला हुआ है।
उधर 'आप' ने केंद्र के इस रुख़ को दिल्लीवालों के लिए सज़ा क़रार दिया है। उसके मुताबिक उन्हें बीजेपी को हराने की सज़ा दी जा रही है। आम आदमी पार्टी के नेता आशुतोष का कहना है कि दिल्ली वाले अब खुद तय करेंगे।
इससे पहले दिल्ली को पूर्ण राज्य के दर्जे पर 'आप' नेता दिलीप पांडे ने कहा कि लगता है कि पूर्ण राज्य के दर्जे का मामला राजनीति के फंदे में दम तोड़ता दिख रहा है। बीजेपी जब दिल्ली में संघर्ष कर रही थी तब वर्तमान केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन ने पूर्ण राज्य के दर्जे के दर्द को सामने रखा था। उन्होंने कहा था कि पूर्ण राज्य का दर्जा न होने के कारण दिल्ली के लोगों को तमाम तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। हम दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के लिए संघर्ष करेंगे।
विजय गोयल भी जब दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष थे तो उन्होंने भी यही सब कहा था। पूर्ण राज्य के दर्जे के मुद्दे पर बीजेपी पलटती दिख रही है। इन नेताओं को दिल्ली की जनता के सामने आकर माफी मांगनी चाहिए।
इधर एसीबी में दूसरे राज्यों से अफ़सर बुलाने के विवाद पर नीतीश ने भी केंद्र को कठघरे में खड़ा किया है। बिहार के मुख्य मंत्री नीतीश कुमार का कहना है, 'सब राज्यों से पुलिसवाले दूसरे राज्य में जाते हैं, इसमें नयी बात क्या है। बीजेपी बस काम नहीं करने देना चाहती।' कुल मिलाकर साफ़ है- टकराव अभी चलेगा और दिल्ली अभी दूर है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि आम आदमी पार्टी इसके लिए खुद ज़िम्मेदार है। मंत्रालय का मानना है, 'दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने केंद्र के साथ टकराव का जो रवैया अख़्तियार किया है, वह बिल्कुल गैरज़िम्मेदारी भरा है। फिलहाल दिल्ली के लिए पूर्ण राज्य की बात सोची नहीं जा सकती।'
जब दिल्ली और केंद्र में बीजेपी की सरकार थी तब ये मसला हल नहीं हुआ तो अब कैसे होगा। गृह मंत्रालय ये भी तर्क दे रहा है कि पूरी दुनिया में किसी भी देश की राजधानी को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं मिला हुआ है।
उधर 'आप' ने केंद्र के इस रुख़ को दिल्लीवालों के लिए सज़ा क़रार दिया है। उसके मुताबिक उन्हें बीजेपी को हराने की सज़ा दी जा रही है। आम आदमी पार्टी के नेता आशुतोष का कहना है कि दिल्ली वाले अब खुद तय करेंगे।
इससे पहले दिल्ली को पूर्ण राज्य के दर्जे पर 'आप' नेता दिलीप पांडे ने कहा कि लगता है कि पूर्ण राज्य के दर्जे का मामला राजनीति के फंदे में दम तोड़ता दिख रहा है। बीजेपी जब दिल्ली में संघर्ष कर रही थी तब वर्तमान केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन ने पूर्ण राज्य के दर्जे के दर्द को सामने रखा था। उन्होंने कहा था कि पूर्ण राज्य का दर्जा न होने के कारण दिल्ली के लोगों को तमाम तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। हम दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के लिए संघर्ष करेंगे।
विजय गोयल भी जब दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष थे तो उन्होंने भी यही सब कहा था। पूर्ण राज्य के दर्जे के मुद्दे पर बीजेपी पलटती दिख रही है। इन नेताओं को दिल्ली की जनता के सामने आकर माफी मांगनी चाहिए।
इधर एसीबी में दूसरे राज्यों से अफ़सर बुलाने के विवाद पर नीतीश ने भी केंद्र को कठघरे में खड़ा किया है। बिहार के मुख्य मंत्री नीतीश कुमार का कहना है, 'सब राज्यों से पुलिसवाले दूसरे राज्य में जाते हैं, इसमें नयी बात क्या है। बीजेपी बस काम नहीं करने देना चाहती।' कुल मिलाकर साफ़ है- टकराव अभी चलेगा और दिल्ली अभी दूर है।
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