मध्य प्रदेश की राजनीति में भले ही कांग्रेस ने सत्ता गंवा दी हो लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ (Kamal Nath) ने अभी हार नहीं मानी है और बीजेपी की सबक सिखाने के लिए उनके पास एक बेहतरीन मौका है. कमलनाथ ने पूरी रणनीति के तहत 'हिंदुत्व' का चोला धारण कर लिया है और उनका लक्ष्य राज्य में 27 सीटों पर होने वाले उप चुनाव में कांग्रेस को कम से कम 10-12 सीटें दिलाना है. इन 27 में से 22 सीटें ऐसी खाली हुई हैं जिनके विधायक कांग्रेस छोड़ ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ बीजेपी में शामिल हुए थे. इनकी वजह से ही कांग्रेस सरकार गिरी थी और कमलनाथ के हाथ से सत्ता चली गई थी. कमलनाथ और कांग्रेस के पास राज्य में अब खोने के लिए कुछ नहीं है लेकिन अब अगर वह उपचुनाव में 10 से 12 सीटें पा जाती है तो वह भी वैसा खेल करने की स्थिति में आ जाएगी जो बीजेपी ने किया था. फिलहाल उपचुनाव सबसे बड़ी चुनौती लेकर आ रहे हैं कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए. इन उप चुनाव के नीतीजों से साबित होगा कि उनका बीजेपी में जाना जनता ने स्वीकार किया है नहीं.
उनके सामने बड़ी चुनौती 22 सीटों को जिताने होगी. अगर इस चुनाव में कांग्रेस बाजी मार ले जाती है तो ज्योतिरादित्य सिंधिया का हर तरह से नुकसान होगा. बीजेपी के अंदर भी उनकी स्थिति कमजोर होगी. इस हालात में ज्योतिरादित्य सिंधिया को मायावती की पार्टी बीएसपी मदद कर सकती है. अभी तक की खबरों की मानें तो कांग्रेस से बेहद नाराज चल रहीं मायावती की पार्टी बीएसपी ने भी उपचुनाव में सभी 27 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने का फैसला किया है. इन 27 सीटों में से आधे से ज्यादा सीटें उन इलाकों में जहां बीएसपी का अच्छा-खासा दखल है. बीएसपी भले ही यहां कोई सीट न जीत पाए लेकिन नुकसान करने की स्थिति में है. चुनाव में बीएसपी का उतरना कांग्रेस के लिए ही नुकसानदायक हो सकता है.
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पार्टी की नेता मायावती बीते कई दिनों बीजेपी को लेकर नरम रुख अपना रही है. उत्तर प्रदेश में भी वह योगी सरकार के खिलाफ बीच-बीच में ट्वीट कर देती हैं. लेकिन हाल ही के दिनों में कई मुद्दों पर उन्होंने बीजेपी का रुख से रुख मिलाया है. माना जा रहा है अगर बीएसपी मध्य प्रदेश के उपचुनाव में अपने प्रत्याशी उतार देती हैं तो कांग्रेस के लिए राह कठिन हो सकती है और इसका सबसे ज्यादा फायदा ज्योतिरादित्य सिंधिया को होगा जो बीजेपी में जाने के फैसले को सही ठहराने की पूरी कोशिश में है. मध्य प्रदेश के उपचुनाव से जुड़े समीकरणों को देखते हुए सीएम शिवराज सिंह चौहान भी पूरी तैयारी कर रहे हैं. हाल ही में उन्होंने ऐलान किया है कि मध्य प्रदेश में सरकारी पदों पर नौकरी अब सिर्फ राज्य के ही अभ्यर्थी आवेदन कर सकते हैं. उनके इस ऐलान की काफी आलोचना हुई है.
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