
- नवरात्रि के दौरान माता वैष्णो देवी मंदिर में 1.70 लाख से अधिक भक्तों ने दर्शन किए
- यात्रा श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड संचालित करती है, तीर्थयात्रियों की संख्या हर दिन बढ़ रही है
- 26 अगस्त को भीषण भूस्खलन के बाद 22 दिन तक तीर्थयात्रा स्थगित रही और फिर 17 सितंबर को फिर से शुरू हुई
नवरात्रि के दौरान माता वैष्णो देवी के आधार शिविर कटरा में 'जय माता दी' के जयकारों की गूंज के साथ 1.70 लाख से अधिक भक्तों ने माता के मंदिर में दर्शन किए. नवरात्रि के दौरान वैष्णो देवी मंदिर में सबसे अधिक तीर्थ यात्री आते हैं. अधिकारियों ने बताया कि हर गुजरते दिन के साथ तीर्थयात्रियों की संख्या में बढ़ोतरी हुई.
श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सचिन कुमार वैश्य ने बताया, '1.70 लाख से अधिक तीर्थयात्री गुफा मंदिर के दर्शन कर चुके हैं. यात्रा सुचारू रूप से चल रही है. प्रत्येक गुजरते दिन के साथ तीर्थयात्रियों की संख्या में वृद्धि हो रही है.'

उन्होंने तीर्थयात्रियों से बड़ी संख्या में मंदिर में आकर दर्शन करने का आग्रह किया. ‘जय माता दी' के जयकारे और भक्ति गीत गाते हुए उत्साही तीर्थ यात्री कड़ी सुरक्षा के बीच कटरा से माता वैष्णो देवी मंदिर के भवन तक घुमावदार रास्ते से आगे बढ़े.

बारह सदस्यों वाले समूह में शामिल कुमार ने बताया कि तवी नदी में आई बाढ़ और जम्मू क्षेत्र में भारी तबाही के बावजूद, उन्होंने अपनी रेल टिकटें रद्द नहीं कीं, बल्कि हर हाल में माता के दर्शन करने का निश्चय किया. उन्होंने कहा, 'माता का बुलावा आ ही गया.'
कर्नाटक की वीना राय ने कहा कि दो बार टिकट रद्द करने के बावजूद, वह यहां आईं और माता का आशीर्वाद लिया. उन्होंने कहा, 'हर साल दुर्गा पूजा और नवरात्र के दौरान मैं यहां आती हूं. मैं व्रत रखती हूं और अपने परिवार के साथ दर्शन करती हूं. हमने मौसम की खराब स्थिति और रेल यातायात में व्यवधान के कारण दो बार टिकट रद्द किए, लेकिन यह माता का बुलावा था कि हम लगातार सातवें साल नवरात्र के दौरान यहां आए हैं.'

मूसलाधार बारिश के कारण 26 अगस्त को हुए भीषण भूस्खलन के कारण 22 दिन तक स्थगित रहने के बाद वैष्णो देवी की तीर्थयात्रा 17 सितंबर को फिर से शुरू हुई. इस भूस्खलन में 34 लोगों की मौत हो गई थी और 20 अन्य घायल हो गए थे.

महानवमी के अवसर पर व्यापक सुरक्षा व्यवस्था के बीच जम्मू शहर के बहू फोर्ट स्थित माता काली मंदिर में भी सुबह से ही सैकड़ों श्रद्धालु पूजा-अर्चना के लिए उमड़ पड़े. यह मंदिर बावे वाली माता के नाम से प्रसिद्ध है.
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