पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का अभी राज्यसभा में पहुंचना फिलहाल नामुमकिन लग रहा है. करीब 27-28 सालों में यह पहला मौका होगा जब मनमोहन सिंह संसद में नहीं होंगे. कांग्रेस ने शायद ही कभी सोचा होगा कि ऐसे भी हालात आ जाएंगे कि मनमोहन सिंह जैसे वरिष्ठ नेता के लिए भी वह एक सीट सुरक्षित नहीं रख पाएगी. दरअसल ऐसा लग रहा था कि तमिलनाडु में डीएमके कांग्रेस के लिए एक सीट छोड़ देगी और वहां से मनमोहन सिंह को राज्यसभा भेजा जा सकेगा. लेकिन डीएमके ने सोमवार को पार्टी के दो प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर दी.इसके साथ ही डीएमके के समर्थन से तमिलनाडु से पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के राज्यसभा पहुंचने की संभावनाओं पर विराम लग गया. डीएमके अध्यक्ष एम के स्टालिन ने घोषणा किया कि तीसरी सीट को सहयोगी पार्टी एमडीएमके के लिए छोड़ा जा रहा है जो वाइको द्वारा गठित पार्टी के साथ चुनाव पूर्व समझौते के तहत हो रहा है. स्टालिन के एक बयान के मुताबिक पार्टी ट्रेड यूनियन नेता एम शनमुगम और वरिष्ठ अधिवक्ता पी विल्सन को 18 जुलाई को द्विवार्षिक चुनाव के लिए नामित किया गया है. स्टालिन ने कहा, ‘‘एमडीएमके को अन्य सीट आवंटित की जा रही है.'' डीएमके ने लोकसभा चुनाव के लिए चुनाव पूर्व समझौते के तहत एमडीएमके को एक राज्यसभा सीट आवंटित करने पर सहमति के तहत हुई थी.
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ये सीटें अगले महीने अन्नाद्रमुक के चार और द्रमुक के एक और भाकपा के एक सदस्य का कार्यकाल पूरा होने के बाद खाली हो रही हैं. राज्य विधानसभा में सत्तारूढ़ एआईएडीएमके और डीएमके दोनों ही अपनी-अपनी संख्या बल के आधार पर तीन-तीन सांसदों को राज्यसभा में भेज सकते हैं.
क्या जेडीएस करेगी कांग्रेस की मदद
अगले साल 22 राज्यों को 72 सीटों पर जब राज्यसभा चुनाव होगा तो कांग्रेस के पास एक मौका होगा कि वह मनमोहन सिंह को राज्यसभा भेज पाए लेकिन उसके लिए उसे कम जेडीएस की मदद चाहिए होगी. लेकिन इसमें भी एक कांग्रेस और जेडीएस को मनमोहन सिंह या एचडी देवगौड़ा में से किसी एक चुनना होगा.
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