मणिपुर की राजधानी इंफाल में फिर से हिंसा भड़कने (Manipur Unrest) की खबर है. समाचार एजेंसी ANI की रिपोर्ट्स के मुताबिक, सोमवार को कई जगहों पर आगजनी के चलते कर्फ्यू लगा दिया गया है. न्यू लम्बुलेन के लोकल मार्केट में जगह को लेकर मैतेई और कुकी समुदाय के बीच झगड़ा हुआ. इसके बाद उपद्रवियों ने कुछ घरों में आग लगा दी. हिंसा को देखते हुए सेना को बुलाया गया. वहीं, चेकॉन इलाके में हिंसा भड़कने के बाद सोमवार को मणिपुर के एक पूर्व विधायक और दो अन्य को बंदूकों के साथ गिरफ्तार किया गया है. फिलहाल, इलाके में कर्फ्यू लगा दिया गया और 26 मई तक इंटरनेट भी बैन कर दिया गया है.
मणिपुर में मैतई आरक्षण विवाद को लेकर कई दिनों से हिंसा और तनाव का माहौल है. कुछ दिनों तक शांति के बाद सोमवार को फिर से हिंसा भड़की है. 15 मई तक हिंसा में मरने वालों की संख्या बढ़कर 73 तक पहुंच गई थी. दंगाइयों ने यहां कई घरों को आग के हवाले कर दिया था.
3 मई को पहली बार भड़की थी हिंसा
इससे पहले 3 मई को मणिपुर के चुराचांदपुर जिले के तोरबंग इलाके में हिंसा भड़क उठी थी. 4 मई को यहां हालात बेकाबू हो गए थे. राज्य सरकार ने उपद्रवियों को गोली मारने का आदेश दिया था. साथ ही सेना को भी सुरक्षा के लिए बुलाया गया था.
अब तक 10 हजार से ज्यादा लोग विस्थापित
आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में हिंसा की वजह से अब तक 10 हजार से ज्यादा लोग विस्थापित हुए हैं. सरकार ने दंगाइयों को गोली मारने का आदेश दे रखा है. हिंसक घटनाओं में अब तक 74 लोगों की मौत हो चुकी है. 230 से ज्यादा लोग घायल हो चुके हैं और 1700 घरों को जलाया गया है.
गृहमंत्री अमित शाह ने उपद्रवियों के खिलाफ कार्रवाई का दिया भरोसा
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया है. उन्होंने दोनों समुदायों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की है.
मणिपुर की आबादी में आधे से ज्यादा मैतई समुदाय
मणिपुर की लगभग 38 लाख की आबादी में से आधे से ज्यादा मैतेई समुदाय के लोग हैं. मणिपुर के लगभग 10% क्षेत्रफल में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल है. मणिपुर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) में शामिल करने के लिए आदेश जारी किए हैं.
क्यों आरक्षण मांग रहा ये समुदाय?
अपनी सांस्कृतिक पहचान के लिए मैतई समुदाय आरक्षण मांग रहा है. समुदाय के लोगों का तर्क है कि 1949 में भारतीय संघ में विलय से पूर्व उन्हें रियासतकाल में जनजाति का दर्जा प्राप्त था. पिछले 70 साल में मैतई आबादी 62 फीसदी से घटकर लगभग 50 फीसदी के आसपास रह गई है.
आरक्षण का क्यों हो रहा है विरोध?
मणिपुर की नगा और कुकी जनजाति मैतई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं. राज्य के 90% क्षेत्र में रहने वाला नगा और कुकी राज्य की आबादी का 34% हैं. इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतई बहुल इंफाल घाटी में हैं. राजनीतिक रूप से मैतई समुदाय का पहले से ही मणिपुर में दबदबा है. नगा और कुकी जनजातियों को आशंका है कि एसटी वर्ग में मैतई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों में बंटवारा होगा. मौजूदा कानून के अनुसार, मैतई समुदाय को राज्य के पहाड़ी इलाकों में बसने की इजाजत नहीं है.
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