राज्य सरकार ने शनिवार को जारी एक बयान में कहा कि मणिपुर सरकार ने जातीय हिंसा प्रभावित राज्य में रहने वाले म्यांमार के अवैध अप्रवासियों का बायोमेट्रिक डेटा लेना शुरू कर दिया है. मणिपुर में जातीय झड़पों को नार्कोटेररिज्म के अलावा, म्यांमार के अवैध अप्रवासियों की कथित संलिप्तता से जोड़ा गया है.
मणिपुर गृह विभाग ने शनिवार को एक बयान में कहा कि राज्य में रहने वाले म्यांमार के सभी अवैध अप्रवासियों का बायोमेट्रिक डेटा हासिल करने का अभियान सितंबर के अंत तक पूरा हो जाएगा.
संयुक्त सचिव (गृह) पीटर सलाम ने एक बयान में कहा, गृह मंत्रालय ने अवैध म्यांमार प्रवासियों के बायोमेट्रिक डेटा को कैप्चर करने के लिए राज्य सरकार के अधिकारियों को प्रशिक्षित करने के लिए राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) से एक टीम भेजी है.
बयान में कहा गया, "यह अभियान सभी जिलों में तब तक जारी रहेगा जब तक कि राज्य के सभी अवैध म्यांमार अप्रवासियों का बायोमेट्रिक डेटा सफलतापूर्वक हासिल नहीं कर लिया जाता. इसे सितंबर 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य है."
मणिपुर पहाड़ी बहुल कुकी जनजाति और घाटी बहुल मैतेईस के बीच 3 मई से जातीय संघर्ष में फंसा हुआ है. इससे पहले, केंद्र ने मणिपुर और मिजोरम सरकारों से बायोमेट्रिक प्रक्टिस करने और इसे सितंबर तक पूरा करने को कहा था.
मणिपुर के चुराचांदपुर जिले में, जहां कुकी बड़ी संख्या में बसे हुए हैं, गोली और विस्फोटक चोटों के कारण कम से कम सात म्यांमार नागरिकों का इलाज कराया गया है.
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा है कि म्यांमार के अप्रवासी वनों की कटाई, पोस्त की खेती और नशीली दवाओं के खतरे के लिए जिम्मेदार हैं.
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