असम सरकार (Assam Government) की ओर से जुमे की नमाज के लिए विधानसभा सत्र को दो घंटे के लिए स्थगित करने की परंपरा को खत्म करने के कदम को लेकर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) के बीच वाकयुद्ध तेज हो गया है.
सत्तारूढ़ बीजेपी के नेता और सीएम सरमा ने कहा कि यह निर्णय हिंदू और मुस्लिम नेताओं सहित सभी विधायकों द्वारा संयुक्त रूप से लिया गया था, जबकि तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया कि असम के मुख्यमंत्री की पार्टी ने नफरत फैलाने और समाज को ध्रुवीकृत करने के लिए मुसलमानों को आसान लक्ष्य बनाया है.
'योगी का चीनी संस्करण'
दोनों के बीच विवाद का कारण तेजस्वी यादव की एक्स पर की गई एक पोस्ट है. इसमें सरमा पर कटाक्ष करते हुए कहा गया था कि वह "सस्ती लोकप्रियता हासिल करना चाहते हैं और योगी का चीनी संस्करण बनना चाहते हैं." उनका इशारा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर था.
असम के मुख्यमंत्री सस्ती लोकप्रियता हासिल करने एवं “योगी का चाइनीज़ वर्जन” बनने के प्रयास में जानबुझकर मुसलमानों को परेशान करने वाले कृत्य करते रहते है। BJP के लोगों ने नफ़रत फैलाने, मोदी-शाह का ध्यान आकृष्ट करने एवं समाज में धुर्वीकरण करने के लिए मुसलमान भाइयों को सॉफ्ट टारगेट… pic.twitter.com/tVue9mXoY9
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) August 30, 2024
आरजेडी नेता ने यह नहीं बताया कि उनका इशारा चीन से आने वाले घटिया गुणवत्ता वाले सामान की ओर था या पूर्वोत्तर क्षेत्र की ओर, जहां लोग अक्सर उनके प्रति नस्लभेदी टिप्पणियों की शिकायत करते रहे हैं.
तेजस्वी यादव के हमले का जवाब देते हुए सरमा ने कहा, "दो घंटे के जुम्मा अवकाश को खत्म करना मुख्यमंत्री का फैसला नहीं था, बल्कि सभी हिंदू और मुस्लिम विधायकों का फैसला था. जब शुक्रवार को विधानसभा अध्यक्ष ने इसकी घोषणा की, तो सदन में किसी भी मुस्लिम विधायक ने कोई विरोध नहीं जताया. असम विधानसभा में कुल 126 में से 25 मुस्लिम विधायक हैं."
असम में जुम्मे के ब्रेक को ख़त्म करने के निर्णय को कांग्रेस ने भी समर्थन दिया। बिहार या देश की किसी भी अन्य विधानसभा में ऐसा कोई ब्रेक है ही नहीं। मैं हैरान हूँ कि असम के बाहर के लोग बिना सोचे-समझे इसका विरोध कर रहे हैं। pic.twitter.com/fuUhhEi1nf
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) August 31, 2024
सरमा ने कहा कि, असम में जुम्मे के ब्रेक को खत्म करने के निर्णय को कांग्रेस ने भी समर्थन दिया. बिहार या देश की किसी भी अन्य विधानसभा में ऐसा कोई ब्रेक है ही नहीं., मैं हैरान हूं कि असम के बाहर के लोग बिना सोचे-समझे इसका विरोध कर रहे हैं.
असम के मुख्यमंत्री ने कहा कि विधानसभा की प्रक्रिया के नियमों में इस प्रावधान को हटाने का प्रस्ताव स्पीकर की अध्यक्षता वाली नियम समिति के समक्ष रखा गया था, जिसने सर्वसम्मति से जुम्मा प्रथा को समाप्त करने पर सहमति व्यक्त की.
'पूर्वोत्तर से होने के कारण चीनी कहा'
मणिपुर के मुख्यमंत्री और बीजेपी के नेता एन बीरेन सिंह भी इस लड़ाई में कूद पड़े. उन्होंने तेजस्वी यादव पर हमला करते हुए आरोप लगाया कि आरजेडी नेता ने असम के मुख्यमंत्री को "सिर्फ इसलिए चीनी" कहा क्योंकि वह पूर्वोत्तर से हैं.
It appears that the INDI Alliance is made up of a bunch of ignorant racists who have no information about the history & geography of our country.
— N. Biren Singh (@NBirenSingh) August 31, 2024
First, it was Sam Pitroda. Now, it's Tejashwi Yadav who is being racist towards the people of North east.
It is unfortunate that a… pic.twitter.com/uc78LpohC2
बीरेन सिंह ने कहा, "ऐसा प्रतीत होता है कि इंडी गठबंधन अज्ञानी नस्लवादियों के एक समूह से बना है, जिन्हें हमारे देश के इतिहास और भूगोल के बारे में कोई जानकारी नहीं है. पहले सैम पित्रोदा थे, अब तेजस्वी यादव पूर्वोत्तर के लोगों के प्रति नस्लवादी हैं."
क्या बिहार में ऐसी कोई प्रथा है?
सरमा ने भी यादव पर पलटवार करते हुए उन पर "पाखंड" करने का आरोप लगाया. सरमा ने कहा, "तेजस्वी यादव मेरी आलोचना कर रहे हैं, लेकिन मैं उनसे पूछना चाहता हूं... क्या बिहार में ऐसी कोई प्रथा है? आपको (तेजस्वी यादव) बिहार के उपमुख्यमंत्री रहते हुए चार घंटे का ब्रेक लागू करना चाहिए था. उपदेश देने से पहले इसका अभ्यास करें."
उन्होंने कहा कि इस फैसले की आलोचना केवल असम के बाहर हो रही है, जबकि राज्य के विधायकों ने विकास के लिए काम करने की प्रतिबद्धता दिखाई है.
मई 2021 में, पंजाब के एक ब्लॉगर पर अरुणाचल प्रदेश सरकार ने कांग्रेस विधायक के खिलाफ नस्लीय टिप्पणी करने का आरोप लगाया था. यूट्यूब ब्लॉगर पारस सिंह ने एक वीडियो में तत्कालीन कांग्रेस विधायक निनॉन्ग एरिंग को "गैर-भारतीय" कहा था और दावा किया था कि "राज्य चीन का हिस्सा है." इससे अरुणाचल के निवासियों के साथ-साथ देश के अन्य हिस्सों के लोगों में भी रोष फैल गया था. पारस सिंह को गिरफ्तार कर अरुणाचल प्रदेश लाया गया, जहां उन्होंने कहा कि उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने माफ़ी मांगी. उन्हें जमानत दे दी गई और घर लौटने की अनुमति दी गई.
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