लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर पश्चिम बंगाल में बीजेपी और टीएमसी मुस्लिम वोटर्स को साधने की कोशिश में जुटी है. मुख्यमंत्री और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) 2024 के चुनाव से पहले बंगाल में अल्पसंख्यक आबादी (Muslim Vote) के बीच अपने वोट शेयर को मजबूत करना चाहती है. वहीं, बीजेपी 2019 के मुकाबले 2024 में बंगाल की 42 लोकसभा सीटों में कम से कम 35 सीटें जीतने की उम्मीद कर रही है. इस बीच ममता बनर्जी ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि केंद्र की सरकार के पास बस छह महीने बचे हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को कहा, ''मोदी जी छह महीने ही रहेंगे. उन्हें हटाने के लिए जो भी जरूरी होगा, हम करेंगे.'' टीएमसी सुप्रीमो ने कहा, ''मैं INDIA के साथ हूं.''
'मैं धर्म के आधार पर किसी भी तरह के बैर के खिलाफ'
ममता बनर्जी ने कहा, "जब मैंने रमज़ान के महीने के दौरान रोज़ा खोलने में भाग लिया, तो बहुत से लोगों ने मेरा मजाक बनाया. उन्होंने कहा कि बीजेपी ने मेरा नाम भी बदल दिया. मैं क्या करूंगी क्या नहीं, यह मेरी व्यक्तिगत पसंद है. मैं धर्म के आधार पर किसी भी तरह के बैर के खिलाफ हूं. लोग एक हैं और मानवता एक है.'' ममता बनर्जी ने कहा, "हालांकि...जब मैं आदिवासी डांस में भाग लेती हूं, तो उनके पास कहने को कुछ नहीं होता. वे सिर्फ अल्पसंख्यक आबादी के बारे में ऐसे बयान देते हैं."
दरअसल, बीजेपी ने बंगाल की सीएम ममता बनर्जी पर राज्य में मुस्लिम आबादी के चुनावी महत्व को देखते हुए तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया है.
"I have but one objective; @BJP4India hatao, India bachao!"
— All India Trinamool Congress (@AITCofficial) August 21, 2023
Smt @MamataOfficial's words have erupted like a thunderclap, echoing with the promise of imminent change.
This isn't just a political statement; it's a battle cry that resonates with those who yearn for a different… pic.twitter.com/1ArGzSNUOH
सीएम ममता बनर्जी ने मुस्लिम धर्मगुरुओं की सभा में कहा, "आजकल कुछ नेता अल्पसंख्यक समुदाय को विभाजित करने के लिए कैश दे रहे हैं, ताकि वे आपस में विभाजित हो जाएं... इससे आखिरकार बीजेपी को ही फायदा होता है. सीपीआईएम बेशर्म है... वे पंचायत स्तर पर गठबंधन बनाते हैं. पंचायत में बीजेपी, सीपीआईएम और कांग्रेस एक साथ आते हैं. यह बात किसी से छिपी नहीं है. उन्हें एक नया नेता मिल गया है जिसे वे पैसे से प्रचारित करते हैं. ये नेता झूठे अभियान चलाते हैं और दंगे शुरू करते हैं."
फुरफुरा शरीफ दरगाह का करते हैं सम्मान-बनर्जी
बनर्जी ने आगे कहा, "आपके घरों के कुछ लड़के एक दरगाह के नाम का इस्तेमाल कर रहे हैं. हम फुरफुरा शरीफ दरगाह का सम्मान करते हैं. मुझे उम्मीद है कि वे राजनीति में प्रवेश नहीं करेंगे... जैसे हम नहीं चाहते कि बेलूर मठ राजनीति में आए. हम नहीं चाहते कि धार्मिक तीर्थस्थल राजनीति में आएं. राजनीति के लिए इनका इस्तेमाल नहीं किया जाए."
इंडियन सेक्युलर फ्रंट पर क्या बोलीं ममता बनर्जी?
ममता बनर्जी ने यह बयान इंडियन सेक्युलर फ्रंट (ISF) के लिए दिया. आईएसएफ राज्य के दक्षिण 24 परगना जिले के भांगर में कुछ पंचायत सीटें जीतने में कामयाह रही. यहां चुनाव के दौरान हिंसा देखी गई थी. बता दें कि आईएसएफ एक राजनीतिक दल है जिसकी स्थापना 2021 में अब्बास सिद्दीकी ने की थी. वो एक इस्लामी विद्वान और सामाजिक कार्यकर्ता हैं और बंगाल के हुगली में फुरफुरा शरीफ दरगाह के मौलवी हैं. उनके भाई नवसाद भांगर से विधायक हैं. आईएसएफ ने यह सीट 2021 के बंगाल विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस से जीती थी.
मैं INDIA के साथ
ममता बनर्जी ने मतदाताओं को चेतावनी देते हुए कहा, "बीजेपी की योजना बंगाल में वोटों को विभाजित करने की है, ताकि उन सीटों की भरपाई की जा सके जो वे देश में अन्य जगहों पर हार रहे हैं." उन्होंने कहा, "बीजेपी शरारत करेगी...बंगाल में बीजेपी, सीपीआईएम और कांग्रेस एक हैं. मैं बिल्कुल I.N.D.I.A के साथ हूं."
This is how the Minority Communities are squeezed for profit in a State, governed by a "so-called Secular Party":-
— Suvendu Adhikari • শুভেন্দু অধিকারী (@SuvenduWB) August 21, 2023
Firstly, I would like to thank the Hon'ble Union Cabinet Minister of Minority Affairs; Smt. @smritiirani Ji for initiating CBI inquiry into the Minority Scholarship… pic.twitter.com/sNcWsOZOSH
सुवेंदू अधिकारी ने साधा निशाना
इस बीच बीजेपी ने ममता बनर्जी पर फायदे के लिए अल्पसंख्यकों को दबाने का आरोप लगाया है. बीजेपी विधायक और बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदू अधिकारी ने राज्य की सत्ता में मौजूद 'तथाकथित धर्मनिरपेक्ष पार्टी' की आलोचना की. उन्होंने कहा, "इस तरह से तथाकथित धर्मनिरपेक्ष पार्टी द्वारा शासित राज्य में लाभ के लिए अल्पसंख्यक समुदायों को निचोड़ा जाता है."
एक लंबे ट्वीट में अधिकारी ने आरोप लगाया, "बंगाल में संस्थानों के नोडल अधिकारी होने का दिखावा करने वाले लोग तृणमूल नेता हैं... यही कारण है कि उनके वेरिफिकेशन प्रोसेस को अल्पसंख्यक मामलों और मदरसा शिक्षा विभाग, जिला प्रशासन के अधिकारियों ने भी मंजूरी दे दी थी." अधिकारी ने आरोप लगाया, ''उन्होंने अल्पसंख्यक समुदायों के छात्रों के लाभ के लिए केंद्र सरकार द्वारा प्रदान किए गए करोड़ों रुपये को लूटने के लिए सह-साजिशकर्ता के रूप में काम किया."
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