तृणमूल कांग्रेस (TMC) सांसद महुआ मोइत्रा ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि पैसे लेकर सवाल पूछने से संबंधित आरोपों को लेकर आचार समिति के समक्ष पेशी के दौरान उनके साथ 'अनैतिक, अशोभनीय, पूर्वाग्रहपूर्ण' व्यवहार किया गया.
उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि समिति के अध्यक्ष भाजपा सांसद विनोद कुमार सोनकर ने मामले से संबंधित सवाल पूछने के बजाय, दुर्भावनापूर्ण और अपमानजनक तरीके से उनसे सवाल करके पूर्वनिर्धारित पूर्वाग्रह प्रकट किया.
''समिति के सभी सदस्यों की उपस्थिति में मेरा वस्त्रहरण''मोइत्रा ने कड़े शब्दों का इस्तेमाल करते हुए पत्र में लिखा, “मैं आज बहुत व्यथित होकर आपको पत्र लिख रही हूं ताकि आपको आचार समिति की सुनवाई के दौरान समिति के अध्यक्ष द्वारा मेरे साथ किए गए अनैतिक, घृणित और पूर्वाग्रहपूर्ण व्यवहार के बारे में जानकारी दे सकूं. मुहावरे की भाषा में कहूं तो उन्होंने समिति के सभी सदस्यों की उपस्थिति में मेरा वस्त्रहरण किया.”
उन्होंने कहा, “समिति को खुद को आचार समिति के अलावा कोई और नाम देना चाहिए क्योंकि इसमें कोई आचार और नैतिकता नहीं बची है. विषय से संबंधित प्रश्न पूछने के बजाय, अध्यक्ष ने दुर्भावनापूर्ण और स्पष्ट रूप से अपमानजनक तरीके से मुझसे सवाल पूछकर पहले से तय पूर्वाग्रह का प्रदर्शन किया. इस दौरान उपस्थित 11 सदस्यों में से पांच ने उनके शर्मनाक आचरण के विरोध में बहिर्गमन करते हुए कार्यवाही का बहिष्कार किया.”
'सहयोग करने के बजाय क्रोधित हो गईं मोइत्रा''सोनकर ने बाद में कहा कि समिति को मामले की व्यापक जांच करने का काम सौंपा गया था और सहयोग करने के बजाय, मोइत्रा क्रोधित हो गईं, उन्होंने “आपत्तिजनक शब्दों” का इस्तेमाल किया और उनके खिलाफ अनैतिक दावे किए.
हीरानंदानी के कहने पर संसद में सवाल पूछने का आरोपमोइत्रा पर कारोबारी दर्शन हीरानंदानी के कहने पर संसद में सवाल पूछने का आरोप है. मोइत्रा के खिलाफ भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने शिकायत दर्ज कराई थी.
दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष को 15 अक्टूबर को लिखे एक पत्र में आरोप लगाया था कि मोइत्रा द्वारा लोकसभा में हाल के दिनों तक पूछे गए 61 प्रश्नों में से 50 प्रश्न अदाणी समूह पर केंद्रित थे.
उन्होंने शिकायत में कहा है कि किसी समय मोइत्रा के करीबी रहे देहाद्रई ने मोइत्रा और कारोबारी दर्शन हीरानंदानी के बीच अदाणी समूह तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधने के लिए रिश्वत के लेनदेन के ऐसे साक्ष्य साझा किए हैं जिन्हें खारिज नहीं किया जा सकता.
निशिकांत दुबे की शिकायत को लोकसभा अध्यक्ष ने आचार समिति के पास भेज दिया था.
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