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This Article is From Jan 11, 2024

"टीम ठाकरे के विधायकों को अयोग्य नहीं ठहराया क्योंकि...'': महाराष्ट्र स्पीकर राहुल नार्वेकर

राहुल नार्वेकर ने एनडीटीवी को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि यह दिखाने के लिए कोई सबूत नहीं था कि यह व्हिप ठाकरे गुट के विधायकों पर ठीक से लागू किया गया था.

टीम ठाकरे के विधायकों को अयोग्य नहीं ठहराने पर स्पीकर राहुल नार्वेकर.

नई दिल्ली:

महाराष्ट्र अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने आज उद्धव ठाकरे (Rahul Narwekar On Disqualify Team Thackeray MLAs) खेमे के सदस्यों को अयोग्य नहीं ठहराने के अपने फैसले पर बात की.शिवसेना यूबीटी प्रमुख ने एक सवाल पूछा था. इस पर उन्होंने कहा कि भरत गोगावले को व्हिप के रूप में नामित करना "उचित" है, लेकिन यह साफ नहीं है कि पार्टी की बैठक में शामिल होने के लिए व्हिप ठाकरे गुट के विधायकों को "पर्याप्त और उचित तरीके से" दिया गया था.

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व्हिप लागू करने पर राहुल नार्वेकर

राहुल नार्वेकर ने एनडीटीवी को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि यह दिखाने के लिए कोई सबूत नहीं था कि यह व्हिप ठाकरे गुट के विधायकों पर ठीक से लागू किया गया था. हालांकि यह फ़िल्टर साफ़ नहीं था, इसलिए प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के तहत उनको अयोग्य ठहराना मेरे लिए उचित नहीं था. सभी जानकारियां उनके लिखित आदेश में लिखी हुई हैं. इससे पता चलता है कि सेवा पूर्ण नहीं है. 

उद्धव ठाकरे ने मीडिया के सामने इस मुद्दे को उठाते हुए सवाल किया कि अगर संविधान का उनका वर्जन वैलेड नहीं था तो उन्हें अयोग्य क्यों नहीं ठहराया गया. स्पीकर राहुल नार्वेकर ने जून 2022 से लंबित अयोग्यता याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाते हुए शिंदे गुट को “असली शिवसेना” करार दिया था. उनका यह फैसला पार्टी संविधान के 1999 वर्जन पर आधारित था, जो चुनाव आयोग के पास है. स्पीपर ने कहा था कि  उद्धव ठाकरे द्वारा साल 2018 में दिया गया संविधान का वर्जन "रिकॉर्ड में नहीं है. " उन्होंने कहा था कि उस संविधान के मुताबिक, उद्धव ठाकरे के पास एकनाथ शिंदे को शिवसेना से हटाने की शक्ति नहीं है.राहुल नार्वेकर ने दोनों खेमों के विधायकों को अयोग्य ठहराने की याचिकाओं को भी खारिज कर दिया. 

सोने का नाटक करने वाले को जगाना असंभव-स्पीकर

राहुल नार्वेकर ने कहा, "आप उस व्यक्ति को जगा सकते हैं जो सो रहा है लेकिन जो व्यक्ति सोने का नाटक कर रहा है उसे जगाना असंभव है." उन्होंने कहा कि पार्टी की बैठक में शामिल न होना नियमों के उल्लंघन से ज्यादा असहमति के बारे में है और इसलिए अयोग्यता का मामला नहीं बनता. उन्होंने कहा, असहमति का अधिकार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संवैधानिक अधिकार में शामिल है.जून 2022 में पार्टी में दो फाड़ के बाद शिवसेना के दोनों गुटों ने एक-दूसरे के खिलाफ अयोग्यता नोटिस दिए थे. एकनाथ शिंदे गुट की सूची में 16 में से 14 विधायक उद्धव ठाकरे का समर्थन कर रहे थे. ठाकरे गुट ने टीम शिंदे के 40 विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिका दायर की थी.

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