महाराष्ट्र: शरद पवार के कट्टर समर्थक...भुजबल और वाल्से पाटिल ने मंत्री बनकर बड़ा झटका दिया

भुजबल माली समुदाय से हैं और 1991 में कांग्रेस में शामिल होने से पहले वह शिवसेना के तेजतर्रार नेता हुआ करते थे. 1999 में, जब पवार ने कांग्रेस से अलग होकर राकांपा बनाई तो उस समय महाराष्ट्र विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष भुजबल भी पवार के साथ हो लिए.

महाराष्ट्र: शरद पवार के कट्टर समर्थक...भुजबल और वाल्से पाटिल ने मंत्री बनकर बड़ा झटका दिया

मुंबई: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के अध्यक्ष शरद पवार के कट्टर समर्थक माने जाने वाले छगन भुजबल और दिलीप वाल्से पाटिल का रविवार को एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल होना पार्टी के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है. इससे पहले राकांपा में टूट के बाद अजित पवार ने एकनाथ शिंदे सरकार में उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली, जबकि वाल्से पाटिल व भुजबल समेत आठ अन्य नेताओं को मंत्री बनाया गया.

भुजबल माली समुदाय से हैं और 1991 में कांग्रेस में शामिल होने से पहले वह शिवसेना के तेजतर्रार नेता हुआ करते थे. 1999 में, जब पवार ने कांग्रेस से अलग होकर राकांपा बनाई तो उस समय महाराष्ट्र विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष भुजबल भी पवार के साथ हो लिए.

नासिक के येओला से विधायक भुजबल पहले राज्य के उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं और 1999 में राकांपा की राज्य इकाई के पहले अध्यक्ष भी थे. हाल में जब अजित पवार ने कहा था कि वह विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के पद से हटकर संगठन में भूमिका निभाना चाहते हैं, तो ओबीसी नेता भुजबल के पार्टी की राज्य इकाई का प्रमुख बनने की अटकलें तेज हो गई थीं.

करोड़ों रुपये के तेलगी स्टांप पेपर घोटाले की जांच के दौरान केंद्रीय जांच ब्यूरो ने भुजबल से पूछताछ की थी, जिसके बाद धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) मामले में उन्हें दो साल जेल में बिताने पड़े थे. 2018 में उन्हें जमानत मिल गई थी. वाल्से पाटिल ने शरद पवार (83) के निजी सहायक (पीए) के तौर पर राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी और वह उनके सबसे करीबी माने जाते थे. वह विधानसभा अध्यक्ष और ऊर्जा, उत्पाद शुल्क और गृह मंत्री रहे. वह अंबेगांव निर्वाचन क्षेत्र से सात बार के विधायक हैं.

कोल्हापुर जिले की कागल विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले हसन मुशरिफ भ्रष्टाचार के आरोपों में प्रवर्तन निदेशालय की जांच का सामना कर रहे हैं और केंद्रीय एजेंसी उनसे जुड़े स्थानों पर छापे मार चुकी है. बीड जिले की परली विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले धनंजय मुंडे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दिवंगत नेता गोपीनाथ मुंडे के भतीजे और अजित पवार के करीबी सहयोगी हैं, जबकि अनिल पाटिल अमलनेर से विधायक हैं और विधानसभा में राकांपा के सचेतक थे.

अदिति तटकरे रायगढ़ जिले में श्रीवर्धन सीट का प्रतिनिधित्व करती हैं और अजित पवार के करीबी तथा रायगढ़ से राकांपा के सांसद सुनील तटकरे की बेटी हैं. दिलचस्प बात है कि अदिति तटकरे के पास उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी सरकार में सबसे अधिक विभाग थे, जो पिछले साल जून में गिर गई थी. वह एकनाथ शिंदे सरकार में पहली महिला मंत्री भी बनीं. शिंदे सरकार को बने हुए 30 जून को एक साल पूरा हो गया. संजय बंदसोडे लातूर जिले के उदगीर से विधायक हैं, जबकि धर्मराव बाबा अत्राम अहेरी निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)