
महाराष्ट्र में जिसे करीब-करीब असंभव समझा जाता था उस विपक्षी गठबंधन को एक मंच पर लाने वाले मराठा क्षत्रप शरद पवार को बड़ा झटका लगा है. उनके ही भतीजे राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के बड़े नेता अजीत पवार ने उनकी पार्टी को न सिर्फ दो फाड़ कर दिया है बल्कि एकनाथ शिंदे सरकार में भी अपने विधायकों के साथ शामिल हो गए हैं. अब हालत ये है कि शरद पवार 24 सालों से जिस पार्टी को चला रहे हैं उसका भी नेतृत्व उनसे छीन सकता है. वैसे फिलहाल तो ये कहना ही ठीक होगा कि महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी ने दो साल में दो बार महा विकास अधाड़ी को बड़ा झटका दिया है. पहली बार शिवसेना को तोड़ी और उसके ठीक एक साल बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को भी दो टुकड़ों में बांट दिया.
प्रफुल्ल पटेल ने भी छोड़ा शरद का साथ
अजित पवार अन्य विधायकों के साथ रविवार को महाराष्ट्र सरकार में शामिल हो गए. वे खुद सरकार में बतौर उप मुख्यमंत्री शामिल हुए हैं. वे बीजेपी के देवेन्द्र फड़णवीस के साथ इस पद को साझा करेंगे. चौंकाने वाली बात ये है कि अजित पवार के साथ प्रफुल्ल पटेल भी हैं जिन्हें हाल ही में सुप्रिया सुले के साथ NCP का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था. इसके अलावा छगन भुजबल, दिलीप वाल्से पाटिल, हसन मुशरिफ, रामराजे निंबालकर, धनंजय मुंडे, अदिति तटकरे, संजय बंसोडे, धर्मराव बाबा अत्राम और अनिल भाईदास पाटिल जैसे नेता भी शरद पवार का साथ छोड़ दिया है.
बगावत की स्क्रिप्ट यूं तैयार हुई
हाल ही में शरद पवार ने इस्तीफे की पेशकश कर सभी को चौंका दिया था. जिसके बाद चले घटनाक्रम में शरद पवार ने अपनी बेटी सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल को प्रमोशन देकर कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया. इससे अजित पवार खुश नहीं थे. उन्होंने कहा था कि वे बतौर विपक्ष के नेता काम नहीं करना चाहते उन्हें पार्टी संगठन में पद चाहिए लेकिन शरद पवार ने इसे अनसुना कर दिया. इसके बाद बीते 30 जून को देवेन्द्र फडणवीस ने सार्वजनिक तौर पर कहा कि जल्द ही महाराष्ट्र मंत्रिमंडल का विस्तार होगा. इसके बाद एकनाथ शिंद दिल्ली गए और शीर्ष बीजेपी नेताओं से मुलाकात की. एकनाथ शिंदे ने पहले ही इशारा कर दिया था कि वे एमवीए गठबंधन को तोड़ना चाहते हैं क्योंकि आगामी चुनाव में वे उनके लिए चुनौती साबित हो सकते हैं. कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि शरद पवार पूरे देश में तो विपक्ष को एक साथ जोड़ने करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन वे अपनी ही पार्टी को एकजुट नहीं रख सके.
अजित पवार को आगे क्या करना होगा
अजित पवार का दावा है कि उन्हें राज्य विधानसभा में राकांपा के कुल 53 विधायकों में से 40 से अधिक का समर्थन प्राप्त है. दलबदल विरोधी कानून के प्रावधानों से बचने के लिए उनके पास 36 से अधिक विधायक होने चाहिए. हालांकि एनसीपी अभी भी संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत सभी बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए आगे बढ़ सकती है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के हालिया फैसले के मुताबिक (सिंबल के आदेश के पैरा 16 के तहत) अजित पवार को मूल पार्टी को विलय करना होगा. अजित पवार को इस आदेश के तहत भारत के चुनाव आयोग का रुख करना होगा और साबित करना होगा कि वह असली एनसीपी हैं. जब तक ऐसा नहीं होता तब तक उन्हें और उनके समर्थक विधायकों को अयोग्यता का सामना करना पड़ेगा.
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