महाराष्ट्र में जारी सियासी घमासान के बीच अब यह मामला अदालती चौखट तक पहुंच गया है. दरअसल, विधानसभा उपाध्यक्ष द्वारा 16 बागी विधायकों को नोटिस जारी किए जाने के बाद शिंदे गुट सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है और पार्टी द्वारा उन्हें अयोग्य घोषित करने वाली याचिका को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की है. एकनाथ शिंदे द्वारा ये याचिका दायर की गई है. इसके साथ ही एक और याचिका दायर की गई है, जिसमें विधानसभा में शिवसेना विधायक दल के नेता और चीफ व्हिप की नियुक्तियों में बदलाव को चुनौती दी गई है. वहीं इन सबके बीच, शिंदे ग्रुप, उद्धव ग्रुप और महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी बात रखने के लिए अलग-अलग दिग्गज वकीलों को पैरवी के लिए रखा है.
वरिष्ठ वकील और पूर्व सॉलिसिटर जनरल हरीश साल्वे और और पूर्व एएसजी नीरज किशन कौल एकनाथ शिंदे और कैंप के लिए कोर्ट में पैरवी करेंगे. वहीं, वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल डिप्टी स्पीकर, महाराष्ट्र विधानसभा के लिए प्रतिनिधित्व करेंगे. इसके साथ ही वरिष्ठ वकील डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी शिवसेना (उद्धव खेमे) की ओर से उनकी बात रखते नजर आएंगे. वरिष्ठ वकील देवदत्त कामत महाराष्ट्र सरकार के लिए और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता केंद्र का प्रतिनिधित्व करेंगे.
दरअसल, महाराष्ट्र विधानसभा के डिप्टी स्पीकर ने शिवसेना के ठाकरे गुट की याचिका पर 16 विधायकों को अयोग्यता का नोटिस जारी किया है. जिन्हें 27 जून की शाम तक जवाब देना है. खबरों के मुताबिक, महाराष्ट्र में शिवसेना के बागी गुट के नेता एकनाथ शिंदे ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपनी याचिका में अयोग्यता नोटिस की वैधता पर सवाल उठाया है. शिंदे के अलावा 15 अन्य बागी विधायकों को ऐसा नोटिस भेजा गया है. शिंदे कैंप ने शिवसेना विधायक दल का नेता अजय चौधरी को नियुक्त किए जाने को भी चुनौती दी है.
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