महाराष्ट्र में बीजेपी ने आखिर आनन-फानन में अजित पवार के साथ शनिवार की सुबह किस प्लान के तहत सरकार बना ली. सूत्रों का कहना है कि इसके पीछे एक सोची-समझी गणित है जिसे बीजेपी के रणनीतिकारों ने अंजाम दिया है. लेकिन अब सारा दारोमदार कोर्ट पर टिका है कि वह क्या फैसला देता है. लेकिन सूत्रों के मुताबिक बीजेपी का जो प्लान था वह यह कि बीजेपी के पास 105 विधायक हैं, 13 निर्दलीय हैं. चूंकि अजित पवार विधानमण्डल दल नेता थे तो दावा करते कि वह पार्टी के साथ बीजेपी को समर्थन देने करते हैं. अजित पवार को 19 विधायकों के साथ आने की उम्मीद थी. बाकी बचे विधायकों के साथ नहीं आने पर 54 में से 35 विधायकों को पार्टी से बाहर कर विधानसभा की सदस्यता खत्म कर देते. इसके बाद विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 127 हो जाता है. और तब बीजेपी के पास विधायकों की संख्या होती 105 (BJP) + 13( निर्दलीय)+19 (NCP)= 137 मतलब बहुमत के 127 के आंकड़े से 10 से ज्यादा. इस तरह बीजेपी की सरकार आसानी से बन जाती.
फिलहाल महाराष्ट्र मामले की सुनवाई आज सुप्रीम कोर्ट में होनी है. Congress-NCP और शिवसेना ने शनिवार की सुबह हुए अप्रत्याशित शपथग्रहण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी है. लेकिन बीजेपी भी सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई को लेकर पूरी तरह से आश्वाश्त है और उसका दारोमदार एक दलील पर टिका हुआ है कि अजित पवार अब भी एनसीपी विधानमंडल दल के नेता हैं और इस नाते अगर अजित पवार सभी को बीजेपी के पक्ष में वोट देने का व्हिप जारी करते हैं और एनसीपी के सारे विधायक अगर विरोध में मत देते हैं तो स्पीकर सभी की सदस्यता खत्म करने का आदेश जारी कर सकते हैं. ऐसे 288 में से 53 विधायक कम हो जाएंगे और बहुमत साबित करने की संख्या 145 की बजाय 118 हो जाएगी.
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निर्दलियों के साथ बीजेपी पहले ही 118 के करीब संख्या का दावा किया है. इसलिए बीजेपी के नेता आशीष शेलार का कहना है कि अजित पवार को विधानमंडल दल का नेता चुना जाना पूरी तरह से वैध है और जबकि उनको हटाकर जयंत पाटिल को नेता बना देना पूरी तरह से गैर कानूनी है.
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