- नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की मुंबई यूनिट ने सक्रिय अंतरराष्ट्रीय ड्रग सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया है.
- जांच में उच्च गुणवत्ता वाली कोकीन, हाइड्रोपोनिक गांजा और गांजा गमीज समेत लगभग 25 किलोग्राम ड्रग्स जब्त किए गए.
- इस मामले में अब तक कुल 9 आरोपियों को हिरासत में लिया गया है.
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) की मुंबई जोनल यूनिट ने एक सफल अभियान चलाते हुए नवी मुंबई में सक्रिय एक अंतरराष्ट्रीय ड्रग सिंडिकेट को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया. बुधवार को एनसीबी ने इस मामले में जब्त किए गए लगभग 25 किलोग्राम नशीले पदार्थों को विधिवत नष्ट कर दिया. जब्त किए गए ड्रग्स में उच्च गुणवत्ता वाली कोकीन, हाइड्रोपोनिक गांजा (हाइड्रो गांजा) और गांजा गमीज शामिल थे. इनकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत करोड़ों रुपए आंकी जा रही है. जांच के दौरान पता चला कि यह सिंडिकेट विदेशी तस्करों से सीधा संपर्क रखता था और ड्रग्स को छिपाकर भारत में लाने की कोशिश कर रहा था.
एनसीबी ने लगातार निगरानी और खुफिया जानकारी के आधार पर दो मुख्य ड्रग तस्करों को भारत में घुसते ही दबोच लिया. आगे की जांच में इनके तार मलेशिया तक जुड़े पाए गए. टीम ने अंतरराष्ट्रीय सहयोग से सिंडिकेट के किंगपिन को मलेशिया से डिपोर्ट करवाया और भारत लाकर गिरफ्तार कर लिया.
कुल 9 लोगों को गिरफ्तार किया
अब तक इस मामले में कुल 9 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इनमें किंगपिन, उसके मुख्य सहयोगी, हवाला ऑपरेटर, ड्रग कैरियर, स्टोरेज रखने वाले और लोकल डिस्ट्रीब्यूटर शामिल हैं. एनसीबी ने ‘बॉटम टू टॉप' रणनीति अपनाते हुए पूरे नेटवर्क को नेस्तनाबूद कर दिया. वित्तीय जांच में किंगपिन से जुड़ी 10 करोड़ रुपए से अधिक की चल-अचल संपत्तियों को फ्रीज किया गया है. जांच पूरी होने के बाद केस की चार्जशीट नवी मुंबई की बेलापुर कोर्ट में दाखिल कर दी गई है.
ड्रग्स के नष्ट करने की प्रक्रिया भी पूरी पारदर्शिता के साथ हुई. एक हाई-लेवल ड्रग डिस्पोजल कमेटी (एचएलडीडीसी) का गठन किया गया था, जिसमें एनसीबी के डिप्टी डायरेक्टर जनरल (दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र), मुंबई जोनल यूनिट के एडिशनल डायरेक्टर और डीआरआई के एडिशनल डायरेक्टर शामिल थे. कमेटी की मौजूदगी में 19 नवंबर को तलोजा स्थित एमडब्ल्यूएमएल इंसीनरेशन प्लांट में सभी 25 किग्रा ड्रग्स को जलाकर सुरक्षित रूप से नष्ट कर दिया गया.
"ड्रग्स को नष्ट करना जरूरी"
एनसीबी के अधिकारियों ने बताया कि ट्रायल से पहले ही ड्रग्स को नष्ट करना जरूरी होता है ताकि ये दोबारा बाजार में न पहुंच सकें. यह अभियान देश में संगठित ड्रग माफिया के खिलाफ चल रही मुहिम का हिस्सा है. एनसीबी ने फिर दोहराया कि वह जन स्वास्थ्य की रक्षा और प्रधानमंत्री के '2047 तक नशा मुक्त भारत' के विजन को पूरा करने के लिए कटिबद्ध है.'
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