
महाराष्ट्र सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए हैं। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने घूसखोरी के मामले में अधिकारियों की संपत्ति जब्त करने की ऐंटि- करप्शन ब्यूरो (एसीबी) के निवेदन को स्वीकार किया है।
इतनी तेजी से भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों की संपत्ति जब्त करने की प्रक्रिया को मंजूरी इस से पहले कभी भी नहीं मिली थी। अमूमन ऐसी दरख्वास्त इससे पहले नजरअंदाज हो जाती थीं।
सूत्र बताते हैं कि राज्य के अतिरिक्त गृह सचिव ने 30 दिसंबर 2014 को मुख्यमंत्री कार्यालय में 8 अलग अलग फाइल्स मंजूरी के लिए भेजी थी। हफ्तेभर में ही उन्हें मुख्यमंत्री से सकारात्मक जवाब मिल गया।
कानूनन, कोई भी सरकारी कर्मचारी घूस लेते पकड़ा जाता है तो उसकी सम्पति की जांच शुरू होती है। इसमें आय से अधिक संपत्ति पाए जाने पर उसे कुर्क कर सरकारी तिजोरी में जमा किया जाता है। इस प्रक्रिया के लिए गृहमंत्री की अनुमति जरूरी होती है। चूंकि, महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस गृह विभाग संभाल रहे हैं, लिहाजा उनकी अनुमति मांगी गई थी।
इस अनुमति के बाद निम्नलिखित 8 अधिकारियों की प्रॉपर्टी जब्त करने के लिए जरूरी कार्रवाई के तहत महाराष्ट्र एसीबी अब इन अधिकारियों की संपत्ति जब्त करने के लिए कोर्ट से अनुमति लेगा।
अधिकारियों के नाम, उनके तत्कालीन पद और संपत्ति का ब्यौरा इस प्रकार है:
नीतीश ठाकुर
पूर्व डेप्युटी कलेक्टर, रायगड - 143 करोड़ रुपए
दादाजी खैरनार
डेप्युटी इंजिनियर, पीडब्ल्यूडी, दिंडोरी - 23 लाख रुपए
भाऊसाहेब आंधलकर
पी आई, पुणे (ग्रामीम) - 97 लाख रुपए
अशोक माने
सीनियर असिस्टेंट, ससून हॉस्पिटल - 21 लाख रूपए
विजयकुमार बिराजदार
ब्रांच इंजिनियर, सिंचाई विभाग -38 लाख रुपए
पंढरी कावले
हेड मास्टर, गडचिरोली- 71 लाख रूपए
विनोद निखाते
सीनियर क्लर्क, चंद्रपुर- 12 लाख रुपए
नीतीश पोद्दार
कम्पाउंडर, प्राथमिक आरोग्य केंद्र, गडचिरोली- 5.5 लाख रुपए
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