महाराष्ट्र में सियासी हलचल अभी भी जारी है, शनिवार को एकनाथ शिंदे गुट के विधायक शनिवार को गोवा से मुबंई पहुंच गए. पिछले करीब 3 दिनों से इन विधायकों ने तीन भाजपा शासित राज्यों की यात्रा की है. सबसे पहले यह गुट मुंबई से उड़ान भरकर सूरत पहुंचा, उसके बाद ये सूरत से गुवाहाटी पहुंच गए. लेकिन जैसे-जैसे सत्ता परिवर्तन की स्थिति साफ हुई, वैसे ही बागियों का यह गुट गुवाहाटी से गोवा पहुंच गया.
उद्धव ठाकरे के इस्तीफा देने और एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री बनने के बाद गोवा के होटल में टेबल पर चढ़कर डांस करने वाले विधायक मुंबई तो पहुंच गए, लेकिन अभी तक अपने घर नहीं पहुंचे हैं. ये विधायक अभी भी मुंबई के एक होटल में ठहरे हुए हैं.
विधानसभा अध्यक्ष चुनने और विश्वास मत हासिल करने के लिए रविवार से दो दिवसीय विशेष सत्र शुरु होगा. विधानसभा अध्यक्ष का पद कांग्रेस के नाना पटोले के पिछले साल पार्टी के राज्य प्रमुख बनने के लिए इस्तीफा देने के बाद से खाली है. कार्यवाहक एनसीपी के डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल थे. उन्होंने कुछ बागियों को दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्यता के लिए नोटिस भेजे थे. मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में है, अगली सुनवाई में एक हफ्ते से ज्यादा का समय है.
स्पीकर की कुर्सी किसे मिलती है, यह उन नोटिसों के भाग्य का फैसला कर सकता है. भाजपा के राहुल नार्वेकर नए सत्तारूढ़ गठबंधन के उम्मीदवार हैं. शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस महा विकास अघाड़ी ने रविवार के चुनाव के लिए ठाकरे के वफादार राजन साल्वी को मैदान में उतारा है. सोमवार को विश्वास मत है.
एकनाथ शिंदे शनिवार शाम को गोवा से चार्टर्ड विमान के जरिए शिवसेना के 39 बागियों समेत अपने 50 विधायकों को लेकर मुंबई पहुंचे. एयरपोर्ट पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई थी क्योंकि उद्धव ठाकरे समर्थकों ने विरोध प्रदर्शन कर रहे थे.
शिवसेना बनाम शिवसेना की लड़ाई : उद्धव ठाकरे ने "नेता" के तौर पर एकनाथ शिंदे को "हटाया"
उद्धव ठाकरे सरकार में सहयोगी रहे एनसीपी प्रमुख शरद पवार को शरद पवार को एक लंबी लड़ाई की उम्मीद है कि वास्तव में कौन सा गुट शिवसेना है. उन्होंने पुणे में संवाददाताओं से कहा, 'मुझे जो लगता है, वह अदालत का अंतिम फैसला होगा.'
शिवसेना अध्यक्ष होने के बाद उद्धव ठाकरे ने शिंदे को 'पार्टी विरोधी गतिविधियों' के लिए विधानसभा में पार्टी नेता के पद से हटा दिया. शिंदे खेमा इस फैसले को चुनौती देगा क्योंकि वह अब "असली" शिवसेना सेना होने का दावा कर रहा है. इतना ही नहीं, बल्कि दोनों खेमों ने विधायकों के लिए अलग-अलग व्हिप भी जारी किए हैं. इस व्हिप का उल्लंघन करने पर विधायक को अयोग्य ठहराया जा सकता है. शिंदे के लिए पार्टी को दो-तिहाई विधायकों के साथ बांटना पूरी पार्टी पर दावा करने की तुलना में आसान लगता है. अंतिम फैसला चुनाव आयोग का होगा. दोनों पक्ष बाल ठाकरे की विरासत और हिंदुत्व-मराठा विचारधारा का भी दावा कर रहे हैं.
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