महाराष्ट्र चुनाव से पहले शरद पवार और उनके गुट को बड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने अजित पवार को 'घड़ी' चुनाव चिन्ह का इस्तेमाल करने से रोकने की मांग फिलहाल खारिज कर दी है. यानी महाराष्ट्र चुनाव में अजित पवार गुट 'घड़ी' सिंबल पर वोट मांग सकेंगे. NCP(शरद पवार) ने 2 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर 'घड़ी' चुनाव चिह्न के इस्तेमाल पर रोक लगाने की मांग की थी. महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों के लिए एक ही फेज में 20 नवंबर को वोटिंग होनी है. नतीजे 23 नवंबर को आएंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र चुनाव में अजित पवार गुट घड़ी चुनाव चिह्न का इस्तेमाल कर सकेंगे. लेकिन उन्हें डिस्क्लेमर भी लगाना होगा. अदालत ने कहा कि अजित पवार गुट 'घड़ी' चिन्ह के साथ कोर्ट में विचाराधीन डिस्क्लेमर लगाने के आदेश का पालन करने को लेकर एक एफिडेविट भी देंगे.
इससे पहले 19 मार्च 2024 के आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने अजित पवार गुट से कहा था कि वो पब्लिक नोटिस जारी कर ये साफ करें कि उसके द्वारा अभी इस्तेमाल किया जा रहा घड़ी का चुनाव चिन्ह का मामला अदालत में विचाराधीन है. वो इसका इस्तेमाल आगे कर पायेगा या नहीं, ये सुप्रीम कोर्ट के फैसले से तय होगा.
चुनाव चिन्ह 'घड़ी' अजित पवार का या शरद पवार का? सुप्रीम कोर्ट में आज कई अहम मामलों की सुनवाई
अजित पवार गुट को SC का नोटिस
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अजित पवार गुट को नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने नोटिस में पूछा है कि 19 मार्च के अदालती आदेश का पालन किया गया या नहीं? प्रचार सामग्री में डिस्क्लेमर लगाया गया या नहीं? सुप्रीम कोर्ट ने अजित पवार से नई अंडरटेकिंग भी मांगी है कि वो अदालती आदेशों का पालन कर रहे हैं.
6 नवंबर को होगी अगली सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने चेताया, "हम दोनों पक्षों से अपेक्षा करते हैं कि वे हमारे निर्देशों का पालन करें. अपने लिए शर्मनाक स्थिति न बनाएं. अगर हमें लगता है कि हमारे आदेश का उल्लंघन करने का जानबूझकर प्रयास किया जा रहा है, तो हम स्यो-मोटो अवमानना की कार्रवाई शुरू कर सकते हैं." इस मामले में अब 6 नवंबर को आगे की सुनवाई होगी.
पढ़िए कोर्ट में क्या-क्या हुआ?
-शरद पवार गुट के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, "हम चाहते है कि अभी आप घड़ी का चुनाव चिन्ह किसी भी गुट को आवंटित न करने का निर्देश चुनाव आयोग को दे. वैसे तो अंततः घड़ी का चुनाव चिन्ह हमारा ही है, पर अभी ना ही हमारे ग्रुप को और ना ही अजित पवार गुट को घड़ी चुनाव आवंटित किया जाए. दोनों गुट को इससे अलग चुनाव चिन्ह दिए जाएं."
-SC ने अजित पवार गुट से पूछा, "क्या आप हमारे आदेश का पालन कर रहे हैं?"
-अजित पवार की तरफ से वकील बलबीर सिंह ने कहा, "जी. बिल्कुल, मैं ऐसा क्यों नहीं करूंगा. समाचार पत्र प्रकाशन, सब कुछ... मैं सभी पर्चे, दस्तावेज दाखिल करने को तैयार हूं."
-सिंघवी ने कहा, "वो केवल वोट पाने के लिए शरद पवार के साथ जुड़ना चाहते हैं. किसी को भी ऐसे सिंबल की सद्भावना का आनंद नहीं लेना चाहिए, जो न्यायालय में विचाराधीन हो."
-जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, "हमने दोनों पक्षों को अपने कार्यकर्ताओं को संवेदनशील बनाने का निर्देश दिया है. यह हमारे आदेश के पुनर्विचार के बराबर होगा."
-सिंघवी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट आदेश दे कि चुनाव आयोग अजित पवार गुट को दूसरा सिंबल अलॉट करे. सिंघवी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट अजित पवार गुट को डिस्क्लेमर लगाने के निर्देश दिया हैं. यह स्पष्ट करने को कहा गया है कि ये सिंबल शरद पवार से संबंधित नहीं हैं और पूरी तरह से अजित पवार गुट से संबंधित हैं. लेकिन अजित पवार गुट से कोई डिस्क्लेमर नहीं लगाया गया. आज अजित पवार गुट ने डिस्क्लेमर लगाया है, क्योंकि उन्हें पता चला कि मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट मे होनी है."
सिंघवी ने कहा, "हमें तुरही बजाते आदमी का चिह्न अलॉट हुआ है. घड़ी का मामला तो लंबित है. लिहाजा निर्वाचन आयोग को घड़ी निशान अजित पवार गुट को अंतरिम तौर पर सशर्त आवंटित करना उचित नहीं है. अपने आदेश में कोर्ट को ये स्पष्ट कर देना चाहिए. पिछले लोकसभा चुनाव में हमारे समर्थक भी घड़ी निशान के मुगालते में हमारे विपक्षी गुट यानी अजित पवार गुट वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवारों को वोट दे बैठे."
-शरद पवार के लिए सिंघवी ने कहा, "शरद पवार पिता समान हैं. लोगों को लोकसभा चुनाव में अजित पवार के लिए वोट करने के लिए मजबूर किया जा रहा था. यह कहकर कि इन लोगों का शरद पवार से कुछ लेना-देना है. ठीक है, मैं "झूठ बोलने वाले आदमी" से लड़ूंगा. लेकिन कम से कम उन्हें प्रचार सामग्री में एक डिस्क्लेमर जारी करने के लिए कहें."
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