चेन्नई:
सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बेपरवाह मद्रास हाई कोर्ट के जज सीएस कर्णन ने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट के दो जजों के खिलाफ एससी/एसटी (अत्याचार निवारण अधिनियम) की धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज करने के ‘‘आदेश’’ जारी करेंगे अगर उन्हें कोई न्यायिक कार्य नहीं दिया गया।
न्यायमूर्ति कर्णन ने कहा कि अब भी उनके पास न्यायिक शक्तियां हैं। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि वह चेन्नई के पुलिस आयुक्त को ‘‘स्वत: संज्ञान न्यायिक आदेश’’ जारी कर उच्चतम न्यायालय के दोनों न्यायाधीशों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने को कहेंगे।
न्यायमूर्ति कर्णन ने बार बार कहा कि वह ‘जाति भेदभाव’ के पीड़ित हैं। उन्होंने कहा, ‘‘अगर मेरे जन्मसिद्ध अधिकार को खत्म कर दिया जाए तो मैं किसी ऐसे देश में चला जाऊंगा जहां इस तरह के भेदभाव नहीं हैं।’’ उन्होंने मद्रास उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय किशन कौल के खिलाफ भी कई आरोप लगाए।
खुद को निर्दोष होने का दावा करते हुए न्यायमूर्ति कर्णन ने कहा कि वह मद्रास उच्च न्यायालय के सभी न्यायाधीशों को परिचर्चा के लिए संसद में घसीटेंगे। इस बीच मीडिया से न्यायमूर्ति कर्णन की बातचीत को वरिष्ठ वकील एस काशी रामलिंगम, तमिलरासन और मद्रास बार एसोसिएशन के अध्यक्ष गोविंदराज ने मुख्य न्यायाधीश कौल और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ के समक्ष रखा।
उन्होंने न्यायाधीश की टिप्पणी को ‘‘मानहानिकारक’’ बताते हुए पीठ से आग्रह किया कि मीडिया को इसके प्रसारण प्रकाशन से रोका जाए। बहरहाल न्यायमूर्ति कौल ने यह कहते हुए आदेश पारित करने से इंकार कर दिया कि, ‘‘प्रेस अपनी जिम्मेदारी समझता है।’’
न्यायमूर्ति कर्णन ने कहा कि अब भी उनके पास न्यायिक शक्तियां हैं। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि वह चेन्नई के पुलिस आयुक्त को ‘‘स्वत: संज्ञान न्यायिक आदेश’’ जारी कर उच्चतम न्यायालय के दोनों न्यायाधीशों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने को कहेंगे।
न्यायमूर्ति कर्णन ने बार बार कहा कि वह ‘जाति भेदभाव’ के पीड़ित हैं। उन्होंने कहा, ‘‘अगर मेरे जन्मसिद्ध अधिकार को खत्म कर दिया जाए तो मैं किसी ऐसे देश में चला जाऊंगा जहां इस तरह के भेदभाव नहीं हैं।’’ उन्होंने मद्रास उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय किशन कौल के खिलाफ भी कई आरोप लगाए।
खुद को निर्दोष होने का दावा करते हुए न्यायमूर्ति कर्णन ने कहा कि वह मद्रास उच्च न्यायालय के सभी न्यायाधीशों को परिचर्चा के लिए संसद में घसीटेंगे। इस बीच मीडिया से न्यायमूर्ति कर्णन की बातचीत को वरिष्ठ वकील एस काशी रामलिंगम, तमिलरासन और मद्रास बार एसोसिएशन के अध्यक्ष गोविंदराज ने मुख्य न्यायाधीश कौल और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ के समक्ष रखा।
उन्होंने न्यायाधीश की टिप्पणी को ‘‘मानहानिकारक’’ बताते हुए पीठ से आग्रह किया कि मीडिया को इसके प्रसारण प्रकाशन से रोका जाए। बहरहाल न्यायमूर्ति कौल ने यह कहते हुए आदेश पारित करने से इंकार कर दिया कि, ‘‘प्रेस अपनी जिम्मेदारी समझता है।’’
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