मद्रास हाईकोर्ट से पनीरसेल्वम की याचिकाएं खारिज, पलानीस्वामी बने AIADMK प्रमुख

अन्नाद्रमुक के वकील आईएस इन्बादुरई ने कहा कि अदालत ने पार्टी के महासचिव का चुनाव कराने के खिलाफ दायर सभी याचिकाएं खारिज कर दीं.

मद्रास हाईकोर्ट से पनीरसेल्वम की याचिकाएं खारिज, पलानीस्वामी बने AIADMK प्रमुख

ई पलानीस्वामी ने उच्च न्यायालय से हरी झंडी मिलने के बाद मंगलवार को अन्नाद्रमुक (AIADMK) के महासचिव पद की कमान संभाली.

चेन्नई:

ई पलानीस्वामी ने उच्च न्यायालय से हरी झंडी मिलने के बाद मंगलवार को अन्नाद्रमुक (AIADMK) के महासचिव पद की कमान संभाली. इसके साथ ही पार्टी पर अब उनका पूरी तरह नियंत्रण हो गया है. मद्रास हाईकोर्ट ने अन्नाद्रमुक के 11 जुलाई के आम परिषद के प्रस्तावों के खिलाफ पार्टी नेता ओ पनीरसेल्वम और उनके सहायकों की याचिकाएं बुधवार को खारिज कर दीं. इन प्रस्तावों में उन्हें तथा उनके समर्थकों को निष्कासित किया जाना भी शामिल है।

इसके तुरंत बाद संबंधित चुनाव प्राधिकारियों ने अन्ना द्रमुक के मुख्यालय में 68 वर्षीय अंतरिम महासचिव को सर्वसम्मति से पार्टी के शीर्ष पद पर निर्वाचित घोषित किया. पूर्व मुख्यमंत्री पलानीस्वामी ने इस पदोन्नति के लिए अपने समर्थकों का आभार व्यक्त किया. मुख्य विपक्षी दल के कई नेताओं ने कहा कि महासचिव बनने के बाद पलानीस्वामी पार्टी को बेहतर दिनों की ओर लेकर जाएंगे. अदालत के फैसले के बाद यहां अन्नाद्रमुक के मुख्यालय में पलानीस्वामी के समर्थक जश्न मनाने लगे. उन्होंने फैसले का स्वागत करते हुए पटाखे छोड़े और मिठाइयां बांटी. फैसले के बाद पलानीस्वामी पार्टी मुख्यालय पहुंचे और वहां अन्ना द्रमुक के दिवंगत नेताओं एम जी रामचंद्रन और जे. जयललिता को श्रद्धांजलि दी.

अन्नाद्रमुक के वकील आईएस इन्बादुरई ने कहा कि अदालत ने पार्टी के महासचिव का चुनाव कराने के खिलाफ दायर सभी याचिकाएं खारिज कर दीं. उन्होंने पत्रकारों से कहा, ‘‘पनीरसेल्वम (और अन्य) ने 11 जुलाई 2022 के प्रस्तावों के खिलाफ एक याचिका दायर की थी. इसे खारिज कर दिया गया है. इसका मतलब है कि आम परिषद वैध है, उसके प्रस्ताव, संकल्प वैध हैं.'' इन्बादुरई ने अन्ना द्रमुक के महासचिव पद के चुनाव के संदर्भ में बताया कि पार्टी ने पहले अदालत में एक हलफनामा दिया था कि वह हाल में हुए उसके संगठनात्मक चुनावों के नतीजे घोषित नहीं करेगी. उन्होंने कहा कि अब यह साफ है कि पलानीस्वामी के दशकों पुराने संगठन के सर्वोच्च पद पर काबिज होने में गलत कुछ भी नहीं है.

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