कोरोना महामारी के चलते देश में आर्थिक संकट का दौर चल रहा है. सरकारी खजानों की स्थिति पहले जैसी नहीं है. बावजूद इसके शिवराज सरकर अपने मंत्रियों पर मेहरबान है. सरकार मंत्रियों का आयकर अपने खजाने से भरेगी. कटौती के दौर में सरकार ने आयकर भरने के लिए 2 करोड़ रुपए जारी भी कर दिए हैं. सवाल इस बात का है जहां एक ओर कर्मचारियों का महंगाई भत्ता, वेतन में बढोत्तरी, एरियर तक रोक दिया गया है वहीं कोरोना काल में भी एक लाख, 70 हजार से ज्यादा हर महीने सैलरी पाने वाले मंत्री जी की टैक्स भी सरकारी तिजोरी से भरा जा रहा है.
जनता त्राहि-त्राहि करते रहे लेकिन नेताजी की शान में गुस्ताखी न हो इसलिये दौरे, अतिथि सत्कार, यात्रा के लिये 41.79 करोड़ रु. का बजट जारी हो चुका है. IPS- IAS नाराज़ ना हों इसलिये उनका भी सीपीएफ 4 फीसदी बढ़ाया गया है. पूर्व मुख्यमंत्री जी भी खुश रहे हैं इसलिये उनके वेतन भत्तों और दूसरे खर्चों पर 94.85 लाख का प्रावधान रखा है.
सामान्य प्रशासन वाले राज्य मंत्रीजी , कागज देखना भूल गये इसलिये हम पर नाराज हो गये, लेकिन कैबिनेट के कृषि मंत्री कमल पटेल कहते हैं इसमें गलत क्या है. उनका कहना है, 'ये पहली बार नहीं है, ये हमेशा देती है कांग्रेस ने भी किया, सरकार देती आई है, मंत्री तनख्वाह में 30 परसेंट दे रहे हैं. इसमें कोई दिक्कत नहीं है, सरकार ने जो किया ठीक किया.'
इस पैसे से पूर्व मुख्यमंत्रियों की भी शान बरकरार है. लेकिन कांग्रेस ने फिर भी ऐतराज जताया है. गौरतलब है कि कोरोना काल में जब माननीयों ने 30% तनख्वाह में कटौती का एलान किया तो खूब ढोल पीटा, लेकिन जब टैक्स तक सरकार भरने लगी तो मामला गुपचुप था. हालांकि इस मामले को सामाजिक कार्यकर्ता डॉ आनंद राय अदालत तक ले गये हैं.
ये हालात उस समय है जब मध्य प्रदेश की अर्थव्यवस्था चरमराई हुई है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 169 दिनों में 8000 करोड़ रुपए का कर्ज ले चुके हैं. प्रदेश सरकार ने इस बार बजट का आकार लगभग 28 हजार करोड़ रुपये घटाकर 2 लाख 5 हजार करोड़ रुपये के करीब रखा है. कई विभागों को रकम खर्च करने से पहले वित्त विभाग की अनुमति लेने का प्रावधान कर दिया गया है. लेकिन बात जब माननीय की हो, तो सब माफ हो जाता है.
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