यूपी के चर्चित मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में हत्यारे संतोष कुमार राय को राहत नहीं मिली है. संतोष राय ने सुप्रीम कोर्ट से याचिका वापस ले ली है. रिहाई की गुहार लगाते हुए उसने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. जस्टिस अनिरुद्ध बोस की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने संतोष राय के वकील ने समय से पहले रिहाई की मांग करते हुए कहा कि वह पिछले 21 सालों से जेल में है. संतोष के परिवार में सिर्फ उसके पिताजी ही जिंदा बचे हैं उसकी मां की पहले ही मौत हो चुकी है. हालांकि कोर्ट का रुख देखते हुए संतोष राय के वकील पीछे अब हटते दिखे हैं.
संतोष राय के वकीलों ने याचिका वापस लेने की बात कही और अदालत को बताया कि वह पहले यूपी सरकार के सामने अपनी अपील रखना चाहता है. इस आधार पर कोर्ट ने संतोष राय की याचिका खारिज कर दी. बता दें कि मुख्य दोषी अमरमणि त्रिपाठी और मधुमणि त्रिपाठी की रिहाई के बाद अब हत्यारा संतोष कुमार राय भी समय से पहले रिहाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था.
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संतोष राय ने कोर्ट से मांगी थी अंतरिम जमानत
संतोष राय ने भी अमरमणि त्रिपाठी और मधुमणि त्रिपाठी के मामले का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई थी कि सरकार को उसकी रिहाई पर फैसला करने के निर्देश दिए जाएं. साथ ही कहा कि जब तक उसकी दया याचिका पर फैसला ना हो तब तक अंतरिम जमानत दी जाए. खास बात यह है कि उसकी याचिका पर सुनवाई भी 25 अगस्त को उसी बेंच के सामने हुई जिसने मधुमिता शुक्ला की बहन निधि शुक्ला की अर्जी पर सुनवाई की और अमरमणि त्रिपाठी और मधुमणि त्रिपाठी की रिहाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था.
वापस ली समय से पहले रिहाई वाली याचिका
यूपी सरकार और उतराखंड सरकार को अब जवाब दाखिल करना है. वकील हर्षवर्धन विशेन द्वारा दाखिल याचिका में संतोष राय ने कहा कि उसने केंद्र, यूपी और उतराखंड सरकार को समय से पहले रिहाई की अर्जी दाखिल की है और अब तक उस पर फैसला नहीं किया गया है. वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता 27 मार्च 2023 को छूट के साथ 18 साल 1 महीने 14 दिन की कुल अवधि के लिए और छूट के साथ 21 साल 10 महीने 15 दिन की अवधि के लिए जेल में बंद है, इसीलिए वह छूट और समयपूर्व रिहाई के लिए विचार किए जाने का पात्र है. अदालत सरकार को मामले पर विचार करने का निर्देश दे.
इस आधार पर खारिज हुई संतोष की याचिका
हर्षवर्धन विशेन ने दलील दी कि सह-अभियुक्त मधुमणि त्रिपाठी और अमरमणि त्रिपाठी की याचिका पर भी सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों को उनके द्वारा समय पूर्व रिहाई के लिए दायर आवेदन पर विचार करने का निर्देश दिया था. इसी तरह कोर्ट संतोष के मामले पर भी तुरंत फैसला करने को कहे और तब तक उसे अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाए. हालांकि संतोष के वकीलों का कहना है कि वह रिहाई के लिए पहले यूपी सरकार के सामने अपनी अपील रखना चाहता है. इस आधार पर शीर्ष अदालत ने संतोष की याचिका को खारिज कर दिया.
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