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This Article is From May 14, 2021

Covishield के दूसरे टीके के समय में बदलाव के पीछे क्या है वजह? कोविड वर्किंग ग्रुप के चेयरमैन की NDTV से खास बातचीत

कोविड वर्किंग ग्रुप के चेयरमैन डॉक्टर एन के अरोड़ा ने कहा कि अगर मैं 1 महीने बढ़ा देता हूं तो कितना फर्क पड़ेगा? 4-6 करोड़ डोजेज का फर्क पड़ेगा. टीके की कमी इस वजह से पूरी नहीं होती. गैप बढ़ाने से फायदा ज्यादा है. 

टीके की कमी की वजह से तो डोज का अंतराल नहीं बढ़ाया गया?  (प्रतीकात्मक तस्वीर)

नई दिल्ली:

कोविशील्ड (Covishield) के दूसरे टीके के समय में बदलाव को लेकर चर्चाओं का दौर जारी है. आखिर कोविशील्ड के दूसरे टीके के समय में बदलाव क्यों? 12 से 16 हफ्ते करने के पीछे वजह क्या है? जिन्होंने कोविशील्ड की दूसरी डोज कम अंतराल पर ली क्या उनको घबराने की जरूरत? कोरोना संक्रमित होने के बाद शरीर में एंटीबॉडी कब तक मौजूद रहता है? इन तमाम सवालों के जवाब जानने की कोशिश कि हमारे संवाददाता परिमल कुमार ने नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्यूनाइजेशन के सदस्य और एडवर्स इवेंट्स फॉलोइंग इम्यूनाइजेशन के नेशनल एडवाइजर डॉक्टर एन.के. अरोड़ा
 से. वह कोविड वर्किंग ग्रुप के चेयरमैन भी हैं. उन्होंने कहा कि कोविशील्ड के दो डोज के बीच का अंतराल बढ़ाने से अच्छे नतीजे मिलेंगे.

सवाल: कोविशील्ड टीके के अंतराल में बदलाव वजह क्या? 
जवाब: अप्रैल के आखिर में यूके से टीके के वैज्ञानिक साक्ष्य आए हैं. उनके हिसाब से दूसरी डोज 3 महीने के बाद दी जाती है तो एक से दूसरी डोज के बीच में 65-88% बचाव मुमकिन है.

सवाल: 12- 16 हफ्ते क्यों? 
जवाब: जो इनिशियल स्टडी इस वैक्सीन को लेकर की गई है उसमें 44 हफ्ते भी बोला गया है कि दूसरी डोज दी जा सकती है. कनाडा ने इसको 4 महीने किया हुआ है. 

सवाल: जिसको 1 महीने या 2 महीने के अंतराल पर टीका दिया गया हो तो क्या उतना ही लाभ मिलेगा? 
जवाब: दूसरी डोज के बाद एंटीबॉडी बहुत अधिक पैदा हो जाती है, लेकिन ग्राउंड पर कितना इंपैक्ट ये अभी पता नहीं. हालांकि, डाटा के आधार पर देखा गया है कि अंतराल बढ़ा दिया जाए तो 40-50% एंटीबॉडी बढ़ जाती है. 1 या 2 महीने में टीका लग चुका है उनको भी चिंतित होने की जरूरत नहीं है. अच्छी एंटीबॉडी प्रोड्यूस होगी.

सवाल: टीके की कमी की वजह से तो अंतराल नहीं बढ़ाया गया? 
जवाब: अगर मैं 1 महीने बढ़ा देता हूं तो कितना फर्क पड़ेगा? 4-6 करोड़ डोजेज का फर्क पड़ेगा. वो भी देना तो है ही पर 1 महीने बाद दूंगा बस इतना ही फर्क है. टीके की कमी इस वजह से पूरी नहीं होती. गैप बढ़ाने से फायदा ज्यादा है. 

सवाल: तुलनात्मक अध्ययन क्या कहता है कितना फायदा है? 
जवाब: इसको लेकर कोई साक्ष्य नहीं है पर स्टडी भारत सरकार ने प्लान कर ली है. अंतराल बढ़ाने से हमें इन्फेक्शन से कितना बचाव मिलेगा. Severity से कितना बचाव मिलेगा. डेथ से कितना बचाव मिलेगा. अगले 4 हफ्ते में इस स्टडी की रिपोर्ट आनी शुरू होगी जो हफ्ते, दो हफ्ते में बुलेटिन जारी करके बताया जाएगा ऐसा प्रोग्राम बनाया गया है. ब्रेक थ्रू इन्फेक्शन सब में हो रहा है तो सब वैक्सीन का करेंगे. 

सवाल: अब तक का एनालिसिस क्या है, क्योंकि दो डोज लेने के बाद मौत और गंभीर होने की भी रिपोर्ट? 
जवाब: डेटा के आधार पर 0.02 प्रतिशत से 0.04 प्रतिशत Reinfection की गुंजाइश है. Reinfection हो सकता है. गंभीर बीमारी और मृत्यु बहुत rare होती हैं. अभी तक 95% टीका 45 साल के ऊपर वालों को मिले हैं और उन्हीं में बीमारी सबसे ज्यादा होती है. अब तक 45 साल से ऊपर वालों के उम्र के 35% को टीका मिल चुका है. 

सवाल: Aefi 20-25 हजार के बीच में अब तक रिपोर्ट हुआ है. इसमें 95% माइल्ड वाले हैं और 4-5 प्रतिशत सीरियस हैं?
जवाब: हमारे डाटा में एक कमी है. ज्यादातर AEFI (वैक्सीन के बाद प्रतिकूल प्रभाव के मामले) पहले 3-4 दिन के ही रिपोर्ट होते हैं पर AEFI 28 दिन तक कभी भी हो सकता है. कमी को सुधारने का प्रयास किया जा रहा है. ज़मीनी स्तर पर निर्देश दिए गए हैं कि 4 हफ्ते तक टीके के बाद कोई भी समस्या हो तो उसको रिपोर्ट करें. 

सवाल: क्या दो टीके के बाद भी डेथ हो गई तो वजह क्या रही? क्या ये आकलन भी कर रहे हैं? 
जवाब: हां. इसको देख रहे हैं. Covid की वजह से डेथ हो गई या टीके की वजह से. Covaxin को लेकर इतना मालूम नहीं पर कोविशील्ड को लेकर अंतरराष्ट्रीय या भारतीय स्तर पर पता चला है उसके हिसाब से पहले टीके के 4 से 20 दिन तक समस्या हो सकती है. Clotting या bleeding की समस्या हो सकती है. हमने यहां ज्यादा समस्या नहीं देखी पर 0.61 प्रतिशत लोगों में समस्या देखी गई है. 1 करोड़ में 6 लोगों को क्लोटिंग या ब्लीडिंग की समस्या हो सकती है. ये यूरोपियन डेटा से बहुत कम है. 

सवाल: ये टीके पूरी तरह सुरक्षित हैं?
जवाब: कुछ लोगों को एलर्जिक रिएक्शन बहुत तेज होता है, जिसमे तुरंत इलाज न मिले तो जान भी जा सकती है. इसलिए घर घर जाकर वैक्सीन नहीं दी जा रही है. शहरी क्षेत्रों में हाउसिंग सोसाइटी और स्कूल में दी जा सकती है क्योंकि अस्पताल नजदीक होता है पर गांव में फिलहाल ये मुमकिन नहीं है. 

सवाल: प्लाज्मा को लेकर क्या कहना चाहेंगे? 
जवाब: भारत में जो प्लाज्मा को लेकर स्टडी हुई है उसके हिसाब से मरीजों को कोई विशेष लाभ नहीं होता. इसको लेकर अति उत्साह सही नहीं है. 

सवाल: एंटीबॉडी शरीर में कब तक? 
जवाब: 3 से 8 महीने तक एंटीबॉडी की मौजूदगी रहती है, जो साक्ष्य अभी तक हैं हमारे पास उसके हिसाब से. वैक्सीन ट्रैकिंग सिस्टम बनाया जा रहा है.

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