- संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत में विपक्ष के विरोध के कारण लोकसभा दो बार स्थगित होकर पूरे दिन को सस्पेंड हुई.
- मानसून सत्र में लोकसभा की उत्पादकता 29% और राज्यसभा की 34% रही, जिसमें काफी समय हंगामे में बर्बाद हुआ.
- मानसून सत्र में लोकसभा में कुल 37.1 घंटे और राज्यसभा में 49.9 घंटे काम हुआ, जबकि अपेक्षित समय 126 घंटे था.
संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होते ही हंगामा मच गया. सोमवार को स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) मुद्दे पर विपक्ष के जोरदार विरोध के बीच लोकसभा दो बार स्थगित हुई और फिर पूरे दिन के लिए सस्पेंड कर दी गई. मंगलवार को भी सदन की शुरुआत कुछ ही मिनटों में हंगामे से हुई और लोकसभा को दोबारा स्थगित करना पड़ा. विपक्ष SIR को 'वोट चोरी' का हथकंडा बता रहा है, जबकि सरकार चर्चा की मांग को टाल रही है. ऐसे में मानसून सत्र की तरह ही शीतकालीन सत्र भी बर्बादी की ओर बढ़ रहा है. आइए, आंकड़ों से समझें कि संसद में कितना समय बर्बाद हो रहा है और इससे जनता के कितने पैसे डूब रहे हैं.
मानसून सत्र का सबक: कम उत्पादकता, ज्यादा हंगामा
मानसून सत्र (21 जुलाई से 21 अगस्त 2025) भी हंगामेदार रहा, जहां विपक्ष ने SIR, ऑपरेशन सिंदूर और स्पेस प्रोग्राम पर बहस की मांग की. कुल 21 दिनों तक सदन चला, लेकिन उत्पादकता घटी.
- सत्र के दौरान लोकसभा में कुल 37.1 घंटे और राज्यसभा में कुल 49.9 घंटे काम हुआ.
- प्रश्नकाल में लोकसभा में 4.7 घंटे और राज्यसभा में 1.2 घंटे काम हुआ.
- विधायकी कार्यों में लोक सभा में 2.9 घंटे और राज्यसभा में 13.4 घंटे काम हुआ.
- अन्य कार्यों में लोक सभा में 4.7घंटे और राज्यसभा में 9 घंटे काम हुआ
- सत्र के दौरान गैर विधायकी कार्यों में लोक सभा में 24.6 घंटे और राज्यसभा में 18.3 कार्य हुआ
- मानसून सत्र के दौरान लोकसभा की उत्पादकता 29% और राज्यसभा की उत्पातकता 34% रही.

कितने घंटे बर्बाद हुए?
21 अगस्त तक कुल 21 दिन सदन चला, प्रति दिन 6 घंटे की औसत 21 दिन में सदन में कुल 126 घंटे काम होना चाहिए. इस तरह लोकसभा में 126- 37.1 = 88.9 घंटे बर्बाद हुए और राज्यसभा में 126–49.9 = 76.1 घंटे बर्बाद हुए.
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कितना पैसा बर्बाद?
2012 में पूर्व संसदीय कार्य मंत्री पवन बंसल के द्वारा दिए गए बयान के अनुसार, सत्र के दौरान लोकसभा को एक मिनट चलाने पर 2.5 लाख रुपये का खर्च आता है जबकि, राज्यसभा को चलाने पर प्रति मिनट 1.25 लाख रुपये का खर्च आता है. इस तरह लोकसभा में हर घंटे कुल 1.5 करोड़ और राज्यसभा में हर घंटे कुल 75 लाख रुपया का खर्च आता है. इस तरह लोकसभा में अब तक 133 करोड़ 35 लाख और राज्यसभा में 57 करोड़ रुपए देश के बर्बाद हुए.
- कुल नुकसान: 190 करोड़ 42.5 लाख रुपये. यह जनता का पैसा है, जो हंगामे में उड़ गया.
शीतकालीन सत्र: दो दिनों में ही हंगामा चरम पर
सोमवार (1 दिसंबर): लोकसभा में श्रद्धांजलि के बाद SIR पर नारेबाजी. दोपहर 12 बजे दोबारा शुरू, लेकिन 2:12 बजे स्थगित. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 'मणिपुर जीएसटी (दूसरा संशोधन) बिल, 2025' पेश किया, जो पास हो गया. इसके अलावा राज्यसभा में भी SIR पर वॉकआउट किया. पूरे दिन स्थगित हुई.
मंगलवार (2 दिसंबर): सुबह 11 बजे शुरू, लेकिन विपक्ष के 'वोट चोरी' नारों से कुछ मिनटों में लोकसभा स्थगित. संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, 'SIR पर चर्चा पर विचार हो रहा है, लेकिन टाइमलाइन की शर्त न लगाएं.'
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