2024 के लोकसभा चुनावों (Lok Sabha elections) में भारत के चुनावी इतिहास में सबसे ज़्यादा महिला मतदाताओं के भाग लेने की उम्मीद है. अब तक कुल 96.88 करोड़ मतदाता रजिस्टर हो चुके हैं जिनमें महिला मतदाताओं की संख्या रिकॉर्ड 47.1 करोड़ तक पहुंच गयी है. ज़ाहिर है, चुनावों में महिला मतदाताओं के बढ़ते महत्व को देखते हुए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने महिलाओं के सशक्तीकरण और सामाजिक उत्थान के लिए पिछले कुछ साल में कई बड़े फैसले किये हैं. अब खबर है कि 08 मार्च को अंतराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर कुछ नयी अहम घोषणाएं हो सकती हैं.
लोकसभा चुनाव में निर्णायक साबित हो सकती हैं महिला वोटर
लोकसभा चुनावों में ज़्यादातर सीटों पर महिला वोटर्स के रूख निर्णायक हो सकते हैं. इनमें से कई महिलाएं राजनीतिक नेतृत्व में भी शायद देखने को मिले. यही वजह है कि राजनीतिक दलों में इनका समर्थन हासिल करने के लिए खींचतान भी तेज हो गई है. खबर है कि पीएम मोदी 08 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर महिला मतदाताओं का समर्थन जीतने के लिए कुछ अहम घोषणाएं कर सकते हैं.
इससे पहले मोदी सरकार ने पिछले 6 महीना में महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए कई अहम फैसले किए हैं. संसद और विधानसभाओं में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण देने वाला महिला आरक्षण विधेयक संसद में पारित किया गया.अंतरिम बजट 2024-25 में लैंगिक बजट में 38.6% की बढ़ोतरी की गई. लखपति दीदी का लक्ष्य 2 करोड़ से बढाकर 3 करोड़ कर दिया गया.
47.1 करोड़ महिला मतदाता हैं
आगामी लोकसभा चुनाव में सबसे अधिक संख्या में महिलाएं मतदाता के रूप में पंजीकृत हुई हैं. ईसीआई के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, लोकसभा चुनाव के लिए पंजीकृत लगभग 97 करोड़ मतदाताओं की कुल संख्या में से 47.1 करोड़ महिला मतदाता हैं. मतदाता सूची में 2.63 करोड़ से अधिक नए मतदाताओं को शामिल किया गया है, जिनमें से लगभग 1.41 करोड़ महिला मतदाता हैं, जो नए नामांकित पुरुष मतदाताओं (~ 1.22 करोड़) से 15% अधिक हैं.
महिला वोटरों की संख्या में हुई बढ़ोतरी
पिछले एक साल में महिला वोटरों की संख्या तेज़ी से बढ़ी है. Gender Ratio जो 2023 में 940 था 2024 में बढ़कर 948 तक पहुंच गया,. यही वजह है कि दूसरी पार्टियां भी महिलाओं को लुभाने में लगी हैं. केजरीवाल ने दिल्ली में 18 साल से ऊपर की महिलाओं को 1000 रुपये महीने देने का वादा किया है. जबकि हिमाचल में कांग्रेस सरकार ने 1500 रुपये महीने देने का एलान कर दिया. इस 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर केंद्र सरकार के ढेर सारे कार्यक्रम दिखेंगे. धीरे-धीरे महिलाओं के आर्थिक स्वावलंबन का सवाल अहम होता जा रहा है.
हालांकि ये सवाल सबके लिए बचा हुआ है कि महिलाओं के लिए तरह-तरह के एलान और उनकी वास्तविक स्थिति के बीच का फ़ासला ठोस ढंग से कब घटेगा? महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध थम नहीं रहे और निर्भया जैसे फंड का पूरा इस्तेमाल नहीं दिख रहा. दिसंबर 2023 में सरकार ने सदन में माना कि निर्भया फंड का 30 फ़ीसदी हिस्सा इस्तेमाल नहीं हो पाया. जाहिर है, वोटर के तौर पर महिलाओं की बढ़ती हैसियत के बाद इन मुद्दों की ओर ज़्यादा ध्यान जाएगा.
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