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लोकपाल ने पूर्व सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच को दी क्लीन चिट, तमाम आरोपों को किया खारिज

बाजार नियामक सेबी की पूर्व प्रमुख माधबी पुरी बुच के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतों पर लोकपाल ने कहा कि आरोप निराधार, अप्रमाणित और काफी हद तक निरर्थक हैं.

माधबी पुरी बुच को क्लीन चिट

भ्रष्टाचार से जुड़ी शिकायतों की जांच करने वाली संस्था लोकपाल ने बुधवार को हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के आधार पर बाजार नियामक सेबी की पूर्व प्रमुख माधबी पुरी बुच के खिलाफ अनुचित व्यवहार और हितों के टकराव का आरोप लगाने वाली शिकायतों को खारिज कर दिया है. उन्होंने कहा कि आरोप पूरी तरह से धारणा पर आधारित हैं और उसके समर्थन में कोई ठोस सबूत नहीं हैं.  लोकपाल चेयरपर्सन न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय पीठ ने आदेश में माना कि शिकायतों की जांच का आदेश देने के लिए कोई प्रथम दृष्टया मामला मौजूद नहीं है. लोकपाल ने कहा कि आरोप निराधार, अप्रमाणित और काफी हद तक निरर्थक हैं.

अपने आदेश में लोकपाल ने उल्लेख किया कि जब बुच ने सेबी में कार्यभार स्वीकार किया था, तब उन्होंने AAPL  में अपने शेयरों और अपने पति के पक्ष में किए गए हस्तांतरणों का खुलासा किया था. इस बात का दूर-दूर तक कोई संकेत नहीं है कि उन्होंने सेबी के पूर्णकालिक सदस्य के रूप में कार्यभार संभालने के बाद भी AAPL के बैनर तले अपना परामर्श कार्य जारी रखा. बुच के खिलाफ आरोप पूरी तरह से हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर आधारित हैं, शिकायतकर्ता आरोपों को पुष्ट करने के लिए कोई ठोस सबूत पेश करने में विफल रहे हैं. लोकपाल ने आदेश में कहा कि इसको देखते हुए इन शिकायतों का निपटान किया जाता है.

बता दें कि बुच ने दो मार्च, 2022 को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के प्रमुख के रूप में पदभार संभाला था. कार्यकाल पूरा होने के बाद वह 28 फरवरी को पद से हट गईं.

लोकपाल ने इस संबंध में पहले के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट को बुच के खिलाफ कार्रवाई बढ़ाने का एकमात्र आधार नहीं बनाया जा सकता. आदेश में कहा गया, ‘‘शिकायतकर्ताओं ने... कथित रिपोर्ट से स्वतंत्र होकर आरोपों को स्पष्ट करने का प्रयास किया, लेकिन हमारे विश्लेषण से यह निष्कर्ष निकला कि वे प्रमाणिक नहीं हैं.''

लोकपाल ने पिछले साल आठ नवंबर को लोकसभा सदस्य मोइत्रा और दो अन्य की तरफ से दायर शिकायतों पर बुच से ‘स्पष्टीकरण' मांगा था. पूंजी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की पूर्व प्रमुख बुच को चार सप्ताह के भीतर अपना जवाब देने के लिए कहा गया था. बुच ने सात दिसंबर, 2024 को हलफनामे के माध्यम से अपना जवाब दाखिल किया था. उसमें उन्होंने कुछ मुद्दे उठाए थे और आरोपों के बारे में स्पष्टीकरण भी दिया था. लोकपाल ने पिछले साल 19 दिसंबर को बुच और शिकायतकर्ताओं को मौखिक सुनवाई का अवसर देने का फैसला किया था, ताकि वह अपना पक्ष स्पष्ट कर सकें. (इनपुट भाषा से भी)
 

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