लोकसभा चुनाव में अगर मोदी सरकार जीत की हैट्रिक लगाती है तो सरकार पहले 100 दिनों में किस एजेंडे पर काम करेगी. यकीनन ये सवाल कई लोगों के मन में होगा. लेकिन इसको लेकर सरकार की तरफ से रोडमैप बनाया जा रहा है. 23 साल इसलिए कि 2047 में जब भारत अपनी आजादी के सौ साल पूरे करेगा, उस वक्त नंबर 1 राष्ट्र होने का सपना देश के सामने है. साल 2022 में जब देश आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर अमृत महोत्सव मना रहा था, उसी वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साल 2047 तक विकसित भारत के लिए रोडमैप भी तैयार कर रहे थे. यानी नई सरकार अगर पीएम मोदी की बनी तो अगले 100 दिन के लिए जिस एजेंडे की बात हो रही है, उसके लिए बीते दो सालों से मेहनत की जा रही थी.
इस एजेंडे में सभी मंत्रालयों को शामिल भी किया गया और सबसे रिपोर्ट मंगाई गई. यहां तक कि राज्य सरकारों से भी विस्तृत सलाह मशविरा किया गया. इनके अलावा प्रबुद्ध वर्ग, उद्योग जगत, सिविल सोसाइटी, वैज्ञानिक संगठनों और युवाओं से सुझाव मांगे गए थे. इसके लिए अलग-अलग जगहों पर 2700 से ज्यादा बैठकें आयोजित की गईं थी और 20 लाख से भी अधिक युवाओं के सुझाव मंगाए गए थे. अब उन सारी रिपोर्ट की निचोड़ से विकसित भारत के लिए रोडमैप का आधार बनने जा रहा है.
कैसा होगा 100 दिन का एजेंडा
लाल किले के प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगले एक हजार साल के भारत की तस्वीर पेश करने की कोशिश की थी. लेकिन चुनावी मौसम में सबसे बड़ा सवाल यही है कि अगर मोदी सरकार वापस आई तो अगले 100 दिन का एजेंडा कैसा होगा? भविष्य के लिए रूप रेखा क्या होगी? और साथ ही विकसित भारत के सपने को पूरा करने के लिए क्या रोडमैप होगा?
इतना तो स्पष्ट दिखता है कि अगली सरकार के पहले 100 दिन के एजेंडे में विकसित भारत के रोडमैप का जो ब्लू प्रिंट होगा वो राष्ट्रीय दृष्टिकोण, आकांक्षा, लक्ष्य और एक्शन प्वाइंट को समाहित करेगा. विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आर्थिक सुधारों पर सरकार का पूरा फोकस रहेगा. पिछले महीने मौजूदा कार्यकाल की मोदी मंत्रिपरिषद की आखिरी बैठक में पहले 100 दिन के एजेंडे पर विस्तार से चर्चा हुई थी. सरकारी सूत्रों के मुताबिक पहले 100 दिन के एजेंडे को लेकर एक विस्तृत प्रेजेंटेशन भी दिया गया था.
सभी मंत्रालयों के सामने होंगे ये बड़ी चुनौती
इससे पहले कैबिनेट की बैठकों में पीएम मोदी ने सभी मंत्रियों से कहा था कि वे अपने -अपने मंत्रालयों से संबंधित 100 दिन के एजेंडे को कैबिनेट सचिवालय में भेजें. जाहिर है कि सभी मंत्रालयों के सामने ये चुनौती है कि अगले 100 दिन में वो क्या-क्या करेंगे, जिसकी तरफ पीएम मोदी बार-बार इशारा कर रहे हैं.
मोदी सरकार अगर तीसरा मौका पाती है तो एनडीटीवी को मिली जानकारी के मुताबिक आर्थिक प्रगति के लिए कई महत्वपूर्ण कार्यक्रमों की शुरुआत की जा सकती है.
- ईज ऑफ लिविंग को बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए जा सकते हैं.
- ईज ऑफ डुइंग बिजनेस को बढ़ाया जाएगा.
- इंफ्रास्ट्रक्चर में मजबूती लाने को लेकर कई एक्शन प्वाइंट भी तैयार किए गए हैं.
- समाज कल्याण के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए जाएंगे.
इससे इतना तो साफ है कि 100 दिन में मोदी सरकार रुपये में उछाल और बाजार में सेसेंक्स में बढ़ोतरी से ज्यादा आम लोगों की जिंदगी से जुड़ी हुई अर्थव्यवस्था पर फोकस करना चाहती है. सामाजिक समीकरणों से राजनीतिक फायदे और आर्थिक विकास की कड़ियों को जोड़ने का सिलसिला भी प्रधानमंत्री मोदी के शुरुआती एजेंडे में हो सकता है. इसको GYAN का नाम दिया गया है. इसमें G का मतलब गरीब, Y का मतलब युवा, A का मतलब अन्नदाता यानि किसान और N का मतलब नारी शक्ति से है.
आजादी के इस अमृतकाल में जहां एक तरफ जातिगत जनगणना जैसे मुद्दे उठते हैं, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राजनीति की धुरी आर्थिक विकास के लिए चार नए किस्म की जातियों पर घूमती दिख रही है. दरअसल पीएम ने हाल ही में कहा था कि उनके लिए केवल चार जातियां हैं, जो कि गरीब, युवा, महिलाएं, किसान हैं.
पूर्ण बजट की होगी चुनौती
पीएम मोदी आत्मविश्वास से भरे हैं कि उनको बहुमत जरूर मिलेगा. इस आत्मविश्वास से पहले 100 दिन का एजेंडा निकला है. अगर पीएम मोदी तीसरी बार सत्ता में लौटते हैं तो पहले 100 दिन में ही एक बड़ी चुनौती सामने होगी जिसका नाम पूर्ण बजट है.
प्रधानमंत्री मोदी ने ये संकेत दिया है कि 100 दिन के एजेंडे से पांच साल तक भारत की समृद्धि का रोडमैप तैयार होगा और इसमें सरकार के दो गोल हैं- पहला विकास और दूसरा वैश्विक नेतृत्व. जी-20 की सफल अगुवाई करके भारत ये बता चुका है कि कैसे वो अपनी बातें मनवाना और दूसरे देशों के साथ समरस संबंध कायम रखना जानता है. जब 4 जून को चुनाव के नतीजे आएंगे तो उनसे पता चलेगा कि नई सरकार के शुरुआती 100 दिन में ऐसा क्या होने वाला है, जो हिंदुस्तान की तकदीर और तस्वीर दोनों को बदल सकता है.
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