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This Article is From Mar 20, 2024

नीलगिरी लोकसभा सीट : समृद्ध इतिहास वाला ये क्षेत्र सांसद ए राजा की वजह से भी सुर्खियों में रहा, क्या इस बार भी 'खिलेगा सूरज'?

नीलगिरी लोकसभा सीट सात बार से कांग्रेस के कब्जे में है. इसके अलावा डीएमके ने तीन बार इस सीट पर कब्जा किया है, जयललिता की अगुवाई वाली एआईएडीएमके ने दो बार इस सीट पर जीत हासिल की है.

नीलगिरी लोकसभा सीट : समृद्ध इतिहास वाला ये क्षेत्र सांसद ए राजा की वजह से भी सुर्खियों में रहा, क्या इस बार भी 'खिलेगा सूरज'?
नई दिल्ली:

दक्षिणी राज्य तमिलनाडु की 39 सीटों में से एक, नीलगिरी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का एक समृद्ध राजनीतिक इतिहास है. इसका मुख्यालय ऊंटी है, ये इलाका पूरी तरह से पर्वत श्रृंखलाओं से घिरा हुआ है. इस लोकसभा का गठन 1952 में किया गया था. कांग्रेस ने इस निर्वाचन क्षेत्र से सात बार जीत हासिल की है. सबसे पहले 1957 में सी. नंजप्पा यहां से जीते थे.

कोयंबटूर, नीलगिरी, इरोड और त्रिपुर जिलों में फैले नीलगिरी निर्वाचन क्षेत्र में छह विधानसभा की सीटें शामिल हैं. इनमें से चार सीटों पर जहां एआईएडीएमके का दबदबा है, वहीं एमके स्टालिन के नेतृत्व वाली कांग्रेस और डीएमके एक-एक सीट पर काबिज हैं.

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आर. प्रभु यहां से सबसे लंबे समय तक सांसद रहे, उन्होंने 1980 से 1991 तक लगातार चार बार जीत हासिल की और इसके बाद 2004 में कांग्रेस के टिकट पर भी जीते. वो राजीव गांधी सरकार में कैबिनेट मंत्री थे. इस सीट से बीजेपी के मास्टर मथन दो बार जीते हैं.

एसआर बालासुब्रमण्यम, ने 1996 में तमिल मनीला कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में यहां से जीत हासिल की और संसदीय मामलों के कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के केंद्रीय राज्य मंत्री बने. उन्होंने 1991 से 1996 तक तमिलनाडु विधानसभा में विपक्ष के नेता के रूप में भी काम किया. वो अन्नाद्रमुक की ओर से राज्यसभा में वर्तमान संसद सदस्य हैं.

ये सीट सात बार से कांग्रेस के कब्जे में है. इसके अलावा डीएमके ने तीन बार इस सीट पर कब्जा किया है, जयललिता की अगुवाई वाली एआईएडीएमके ने दो बार इस सीट पर जीत हासिल की है, जबकि बीजेपी ने लगातार दो बार इस सीट पर विजय पताका लहराया और एक बार 1971 में एम.के. नन्जा गौडर के नेतृत्व वाली स्वतंत्र पार्टी ने इस सीट पर कब्जा किया.

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डीएमके के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री ए राजा वर्तमान में इस सीट से सांसद हैं. उन्होंने इस सीट से 2009 और 2019 में जीत हासिल की है. राजा की राजनीतिक यात्रा विवादों से भरी रही है, विशेष रूप से 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले को लेकर वो चर्चा में रहे.

ए राजा पहली बार 1996 में लोकसभा के लिए चुने गए और उन्हें ग्रामीण विकास राज्य मंत्री के रूप में प्रतिनियुक्त किया गया, जिस पर वे 2000 तक बने रहे. 2001 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के कार्यकाल के दौरान, उन्हें स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री के रूप में जिम्मेदारी दी गई. दिसंबर 2003 में, DMK गठबंधन से बाहर हो गई और राजा ने अपने अन्य DMK सहयोगियों के साथ मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. 2004 के चुनावों में कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन के जीत हासिल करने के बाद राजा उसी मंत्रालय में बने रहे, इसमें डीएमके भी शामिल थी.

नीलगिरी में 52% ग्रामीण मतदाता और 48% शहरी निवासी हैं. वहीं जनसंख्या के मामले में 90% हिंदू, 5% मुस्लिम और बाकी 5% में अन्य समुदाय के लोग हैं. यहां अनुसूचित जाति (एससी) मतदाता 24.8%, जबकि अनुसूचित जनजाति (एसटी) मतदाता 3.3% हैं.

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